सबसे बड़ा धनी (कहानी)

एक व्यक्ति बड़े दुःखी मन से ,एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। एक व्यक्ति उसे दूर से देख रहा था। वह बहूत ही निराश दिख रहा था। दूसरा व्यक्ति उसके पास गया और उसके दुख का कारण पूछा। प्रत्योत्तर में उसे कहा-" भाई, मेरे पास इस दुनिया में कुछ भीं नही है ,मैं इस दुनिया का सबसे गरीब आदमी हूँ।" दूसरा व्यक्ति मुस्कुराय और उसके पीठ पर हाथ रख कर बोला -"मित्र मेरे पास बहुत धन है ,मैं तुमसे कुछ खरीदना चाहता हूँ जो अभी भी तुम्हारे पास है।" यह बात सुन कर वह आश्चर्य चकित हो गया,सोचने लगा मेरे पास तो कुछ था ही नही! इसे क्या दिख गया मेरे पास ? दुसरे व्यक्ति ने कहा -" तुम मुझे अपना कान दे दो मैं तुम्हे दो हज़ार रुपये दूंगा।" निराश व्यक्ति ने कहा भला मैं आप को अपना कान क्यों दूँ? यह मेरी अमानत है। उसने फिर से कहा - 'अच्छा चलो तुम अपनी आँखें ही दे दो मैं तुम्हे इसके चार हजार दूँगा।' निराश आदमी ने कहा -" तुम पागल हो गए हो क्या? दूसरे व्यक्ति ने कहा अच्छा चलो तुम अपना हाथ ही दे दो । मैं इसके तुम्हे दस हज़ार रूपये दूंगा। निराश व्यक्ति ने कहा -'तुम कैसी बात कर रहे हो?' दूसरे व्यक्ति ने कहा -' मित्र, इस संसार में नियति ने तुम्हे अमूल्य रत्न दिये है। ये स्वयं ही तुम्हारे लिये अमूल्य धन है इसकी महत्ता को समझो यही तुम्हारे धनी होने का साधन है, और इस संसार में तुम पहले से ही बहुत धनाढ्य हो। स्वयं को पहचानो मित्र।
        दोस्तों, मनुष्य की पहचान उसके कर्मो से होती है। महान व्यक्ति की पहचान उसके परिधान से नही की जा सकती है। वास्तविक धनी होना धनाढ्य होने से  नही होता, ह्रदय का धनी होना ही वास्तविक धनाढ्य होना कहलाता है। इसलिए दोस्तों अपने ह्रदय में सदैव सच्चाई रखें ,यही सही मायने में आप के व्यक्तित्व को निखरता है।

टिप्पणियाँ