चाणक्य (विष्णुगुप्त, कौटिल्य) के प्रेरक कथन






जन्म    :       375 ईसापूर्व , पंजाब
मृत्यु        :    225 ईसापूर्व ,पाटलिपुत्र
निवास   :                  पाटलिपुत्र
अन्य नाम  :      कौटिल्य, विष्णुगुप्त
लेख      : अर्थशास्त्र , चाणक्यनीति






  • कोई कार्य आरम्भ करने से पूर्व, स्वयं से तीन प्रश्न अवश्य करें मैं ये क्यों कर रहा हूँ ?, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं? और क्या मैं सफल होऊंगा? और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिलें, तब आगे बढें।
  



  • मनुष्य अकेले पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है, और वह अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल स्वयं ही भुगतता है, और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग को प्राप्त होता है।
  



  • ईश्वर मूर्तियों में नहीं, आपकी अनुभूति ही आपका ईश्वर है, आत्मा ही शरीर का मंदिर है।
  



  • अगर सर्प जहरीला ना भी हो तो उसे स्वयं को को जहरीला दिखाना चाहिए।
  



  • इस बात को कभी भी व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है ?, बुद्धिमानी से इसे रहस्य ही बनाये रखिये, और इस कार्य को करने के लिए सदैव दृढ रहिये।
  



  • शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है, एक शिक्षित मनुष्य हर स्थान पर सम्मान पाता है। शिक्षा, सौंदर्य और यौवन को सदैव परास्त कर देती है।




  • जैसे ही भय आपके पास आये, उस पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर दीजिये।




  • किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं, जितना कि एक अंधे मनुष्य के लिए आईना।




  • जब तक आपकी काया स्वस्थ्य और नियंत्रण में है, और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को सदैव बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप कुछ नहीं कर पाएंगे?




  • कोई मनुष्य अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से ही महान बन कर नहीं आता।




  • सर्प , नृप , शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे,  दूसरों के कुत्तों,  और एक मूर्ख: इन सातों को निद्रा से नहीं कभी नहीं उठाना चाहिए।




  • जिस प्रकार एक सूखे वृक्ष को अगर अग्नि दे दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पूरे परिवार, वंश को बर्बाद कर देता है।




  • सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है:- कभी भी अपने राज़, दूसरों को कभी मत बताएं। ये आपको बर्बाद कर देगा।
  



  • पहले पाच वर्षों में अपने पुत्र को बड़े प्यार से रखें, अगले पांच वर्षों उन्हें डांट-डपट के रखिये, जब वह सोलह वर्षों का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए, आपके  वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं।




  • फूलों की सुगंध केवल विशिष्ठ वायु की दिशा में ही फैलती है, परन्तु एक व्यक्ति की अच्छाई चारों दिशा में फैलती है।




  • संसार की सबसे बड़ी शक्ति युवावस्था और स्त्री की सुन्दरता है।




  • हमें भूत के बारे में पछतावा करनें में समय व्यर्थ नही करना चाहिए, और ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीया करतें हैं।




  • हर दोस्ती के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ अवश्य होता है, ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ उपस्थित ना हो, यह कटू सत्य है।




  • वेश्याएं, निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक दुर्बलों की संगती में नहीं रहा करते, और पक्षी उस वृक्ष पर घोंसला नहीं बनाते जिस पर फल नहीं होता।




  • सर्प के फन, मक्खी के मुख में और बिच्छु के डंक में विष होता है; परन्तु दुष्ट व्यक्ति तो इससे भी ज्यादा खतरनाक होता है।




  • वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सदैव सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों का मूल, लगाव है। इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव त्याग देना चाहिए।




  • वह जो हमारे चिंतन में है वह करीब है, जबकि वह वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो, लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है, वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होतें है।




  • अपमानित होके जीने से बेहतर है मरना। मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान पूरे जीवन में दुःख लाता है।




  • कभी भी उनसे मित्रता न करें, जो आपसे कम या अधिक प्रतिष्ठा के हों। ऐसी मित्रता कभी आपको प्रसन्नता नहीं देगी।




  • जब आप किसी कार्य की शुरुआत करें, तो असफलता से न डरें और उस काम को ना छोड़ें, जो व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करते हैं वो सदैव प्रसन्न रहतें हैं।





  • सेवक को तब परखें जब वह कार्य ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में , और पत्नी को घोर विपत्ति में परिस्थितियों में।




  • संतुलित दिमाग के जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई आत्मिक सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है।





  • यदि किसी का स्वभाव अत्यंत अच्छा है, तो उसे किसी और गुण की क्या आवश्यकता है ? यदि व्यक्ति के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और किसी सिंगार की क्या जरूरत है।





  • हे विवेकपूर्ण लोगों ! अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं क्योकि, बादलों के द्वारा लिया गया सागर का जल सदैव मीठा होता है।





  • पृथ्वी सत्य की से समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है, जो सूरज को चमक और हवा को वेग प्रदान करता है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं।





  • वह जिसका ज्ञान बस पुस्तकों तक सीमित है, और जिसका धन दूसरों के अधिपत्य में है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकतें है और ना धन।





  • जो सुख-शांति मनुष्य  को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है, वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से भी नहीं मिल सकता।




  • एक अनपढ़ मनुष्य का जीवन उसी तरह बेकार है, जैसे की कुत्ते की पूँछ, जो ना उसके पीछे का भाग ढकती है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से ही बचाती है।





  • एक उत्कृष्ट बात जो की सिंह से सीखी जा सकती है, वो यह है कि मनुष्य जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे ह्रदय और लगनता से ज़ोरदार प्रयास के साथ करे।





  • सारस की तरह ही एक विवेकपूर्ण मानव को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए, और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार ही प्राप्त करना चाहिए।





  • जो मानव ईश्वर तक पहुंचना चाहते हैं, उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक नेक दयालु ह्रदय की आवश्यकता होती है।


टिप्पणियाँ