समय का सदुपयोग
भविष्य एक ऐसी चीज़ है, जिसकी ओर हर कोई साठ मिनट प्रति घंटे की गति से ही बढ़ता है, चाहे वह कुछ भी करे, चाहे वह कोई भी हो। --- सी एस लूइस
समय को हमेशा लगातार चलते रहने वाला बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि समय का न तो आदि है, और न ही अंत। फिर भी मानव उसे साल महीने दिन घंटे मिनट और सेकेण्ड में मापने में कामयाब रहा। मनाव ने भूत, वर्तमान और भविष्य जैसे शब्दों को अर्थ दिए। समय कभी नहीं रुकता वह चलता ही रहता है। जो कल था, वह आज नहीं है। आज जो है, वह कल नहीं रहेगा। कल बीत गया। आज यह है, और कल का आना अभी बाकी है।
जैसा की आप सब को पता है, पृथ्वी अपनी धूरी पर 24 घंटे या 1440 मिनट या 86400 सेकेण्ड घूमती है, जिससे दिन और रात बनते हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा भी करती है, जिसके एक चक्कर में उसे करीब एक साल लग जाता है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की एक परिक्रमा होते ही आप की उम्र एक साल बढ़ जाती है। सृष्टी की हर एक गति समय से जुड़ी हुई है। जन्म, विकास और मृत्यु होतें है। एक बच्चा पैदा होता है, फिर समय बीतने के साथ युवा होता है, फिर बूढा होता है। ऋतुएँ भी समय के अनुसार आती हैं। पौधों में फूल आतें है, और फल लगतें है। एक महीनें में धान नहीं उगता, और न ही एक साल में एक बच्चा, वयस्क हो सकता है। हर चीज़ का समय होता है, और हर एक चीज़ अपने समय से होती है।
समय एक स्वतंत्र शक्ति है। वह किसी का इंतज़ार नहीं करती। आम तौर पर कहा जाता है कि समय और ज्वार नहीं करते किसी का इंतज़ार। समय ही धन है। एक भी मिनट काम के लिए नहीं खर्च हुआ, तो समझें नुकसान हमेशा के लिए हुआ। वह खोया मिनट कभी वापस नहीं मिल सकता। जब लोहा गर्म हो तभी हमें उस पर चोट करनी चाहिए, क्योकि वक्त बीत जाता है तो फिर लौट कर नहीं आता। अगर आप समय को बर्बाद करते है तो वह आप को बर्बाद कर देता है। शेक्सपीयर ने जूलियस सीज़र में बड़ी खूबसूरती से कहा है---
लोगों के काम काज में भी एक ज्वर है
बढ़ते पानी में उतरें तो नसीब शानदार है
पीछे छूटा जो जिंदगी के तमाम सफर में
उथले में फसें तो कष्टों की भरमार है
अब जो चल पड़े खुले समुन्दर में है
बढ़तें रहें जब तक सागर मदतगार है
छूटे तो डूबे ! यही व्यापार है !
रोमन कवि ओविड ने कहा था -- समय सबसे अच्छी दवा है। कहा जाता है कि समय सारे घावों को भर देता है और वह उन घावों को भी भर देता है जिनके हल तर्क से नहीं मिलतें। डर, गुस्सा, ईर्ष्या हम पर हावी हो जाते है, तब हम सोच समझ से काम नहीं ले पातें है, जिसके नतीजे गंभीर हो सकतें है। बाद में जब भवनाएं ठंडी पड़ती है, तो हमें अपने किये पर पछतावा भी हो सकता है। लेकिन जो नुकसान हो जाता है वह हमेशा रह जाता है। लेकिन समय बीतने के साथ वह नुकसान भी ठीक होने लगता है। जो लोग इसमें शरीक़ होतें हैं, वह भी भूल जातें हैं, माफ़ कर देतें है। यही समय की महत्ता है।
यह भी सच ही की समय हमें बहुत कुछ सिखाता है। समय के साथ हर व्यक्ति उम्र में बड़े होने के साथ परिपक्व भी होता जाता है। समय के साथ जो जीवन में अनुभव होतें है उसे सही निर्णय लेने की सीख भी मिलती है।अक्लमंद व्यक्ति वही है जो समय से सीख ले। समय हमेशा हमें याद दिलता है कुछ करने की और कुछ बेहतर करने की। कुछ लोग तो बस यही सोचते रहते है कि अपना समय कैसे बिताएं। समझदार और होशियार लोग अपने समय का पूरा सदुपयोग करतें है। कहा जाता है कि समझदार व्यक्ति सबसे अधिक कम व्यर्थ वक्त बीतने का मनाते हैं।
कुछ लोग समय का महत्व नहीं समझतें, उसे बेकार जाने देतें है, या फिर बिना कुछ किये ही उसे खर्च कर देतें है। एक कहावत है जिसमे कहा गया है कि समय की हत्या करना कत्ल नहीं ख़ुदकुशी है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर समय को बेकार निकल जाने देतें हैं, तो हम किसी दूसरे को नुकसान नहीँ पहुँचा रहे होते, बल्कि अपना ही नुकसान कर रहें होतें है।
कुछ लोग हमेशा इस बात का रोना रोते रहतें हैं कि उनके पास सब कुछ करने के लिए जरूरी समय ही नहीं है। यह ठीक नहीँ है। अगर हम समझदारी के साथ अपने काम की योजना बना कर काम करें तो हर चीज के लिए काफी समय मिल जायेगा। आदमी जो कि कुदरत का हिस्सा है, कभी समय की शिकायत नही कर सकता। आदमी को तो बस वक्त का हर इशारा मानना होता है। समय बहुत बलवान है और वह सभी को जीत लेता है। हर दिन हरेक व्यक्ति को जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करने के लिए वही बराबर के 24 घंटे मिलतें है। जो समय पूरी तरह से उसका अपना है वह बेशकीमती होता है। दोस्तों सर कलाम ने यह बात बहुत पहले ही जान ली थी और समय की धार के साथ बहने के बजाय होशियारी से अपना रास्ता बना लिया था। जिस तरह समय से न पहूँचने पर ट्रेन छूट जाती है, वैसा ही समय के साथ है। अगर आपने समय को एक बार हाथ से निकल जाने या बेकार जाने दिया, तो वह हमेशा के लिए चला जाता है। आप उसे दुबारा नहीं पकड़ सकते और न ही वापिस हासिल कर सकतें है।
समय ही सफलता की कुंजी है। इस पर हमारा अधिकार नहीं है। अगर हम कुछ कर सकतें है तो सिर्फ यही कि अच्छी तरह से इस्तेमाल कर लें। अपने समय को बेकार न जाने दें ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना सीख लें। इन पंख लगे दिनों को यूँ ही न जाने दें।
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