"सदा नही रहते" (कहानी)
एक बार की बात थी। एक राज्य में एक सेठ रहते थे। वे बड़े ही
दानी प्रवृत्ति के थे। यदि उनके पास कोई आता तो निराश नही लौटता था,वह
निःस्वार्थ भाव से सभी की सेवा में तत्पर रहते थे। इस प्रकार उनकी दानी
प्रवृत्ति और यश दिन प्रति दिन बढ़ता ही गया। उनकी प्रसिद्धि इस प्रकार बढ़ी
की सहायता और समस्या के निवारण के लिए कोई राजा के पास अब नही जाता,सब सेठ
की ही शरण लेते थे। इस प्रकार उनका यश पूरे राज्य में फैल गया।
एक बार एक फ़कीर घूमते हुए पर्चे बेच रहा था,परंतु उसे लेने के लिए कोई तैयार नही होता। जब वह सेठ के पास गया तो सेठ ने तुरन्त उसे खरीद के अपने धोती के एक कोने में बांध लिया। उस पर्चे पर लिखा था -'सदा नही रहते'। राजा को इन सब बातों का पता चला। उसके मन में द्वेष आ गया। द्वेष , इर्ष्या में आकर राजा ने उसे बुलया और जेल में बंद करवा दिया। सेठ को यह समझ नही आ रहा था ,उसे जेल में क्यों बंद करवा दिया गया। वह दुखी हो गया, उसका विचार था- राजा ने मुझे बिन वजह ही जेल में बंद कर दिया। लगभग सात दिन बाद उसने पुनः वही लुंगी पहनी ,जो लुंगी उसने फकीर के आने पर पहनी थी। उसमे उसके द्वारा बाधा गया वही पर्चा मिला। उसने उसे बड़ी उत्सुकता से खोला और देखा कि उसमे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था -"सदा नही रहते"। उसने बड़े ध्यान से पढ़ा और मनन करने लगा।
अभी तक मेरे द्वारा बिताये गए पल बहुत ही सुखद थे। अब दुःख की बारी है। यह सब सोचने क बाद वह जोर जोर से हँसने लगा। यह सूचना राजा के पास पहुँची। राजा ने उसे सामने पेश करने का आदेश दिया । सेठ ,राजा के सामने पेश किया गया।
राजा ने सेठ से उसके हँसने का कारण पूछा। सेठ ने हँसते हुए राजा को वह पर्चा दे दिया। राजा ने उसे पढ़ा, उसने इसका अर्थ पूछा। सेठ ने कहा -" महाराज परिस्थितियां सदैव एक जैसी नही रहती है, यदि जीवन में सुख आये है ,तो दुःख भी आएंगे। सुख और दुःख एक ही सिक्को के दो पहलू है।" राजा को अपने द्वारा किये गए संघर्ष और दुःख वाले समय याद आने लगे,और उसने आज और उस समय के स्थिति की तुलना की। उसे सेठ द्वारा कही बात यथार्थ लगी। राजा अपने कृत्य पर शर्मिंदा हुआ, उसने सेठ से क्षमा मांगी और उसे कारागार से ससम्मान मुक्त का दिया।
एक बार एक फ़कीर घूमते हुए पर्चे बेच रहा था,परंतु उसे लेने के लिए कोई तैयार नही होता। जब वह सेठ के पास गया तो सेठ ने तुरन्त उसे खरीद के अपने धोती के एक कोने में बांध लिया। उस पर्चे पर लिखा था -'सदा नही रहते'। राजा को इन सब बातों का पता चला। उसके मन में द्वेष आ गया। द्वेष , इर्ष्या में आकर राजा ने उसे बुलया और जेल में बंद करवा दिया। सेठ को यह समझ नही आ रहा था ,उसे जेल में क्यों बंद करवा दिया गया। वह दुखी हो गया, उसका विचार था- राजा ने मुझे बिन वजह ही जेल में बंद कर दिया। लगभग सात दिन बाद उसने पुनः वही लुंगी पहनी ,जो लुंगी उसने फकीर के आने पर पहनी थी। उसमे उसके द्वारा बाधा गया वही पर्चा मिला। उसने उसे बड़ी उत्सुकता से खोला और देखा कि उसमे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था -"सदा नही रहते"। उसने बड़े ध्यान से पढ़ा और मनन करने लगा।
अभी तक मेरे द्वारा बिताये गए पल बहुत ही सुखद थे। अब दुःख की बारी है। यह सब सोचने क बाद वह जोर जोर से हँसने लगा। यह सूचना राजा के पास पहुँची। राजा ने उसे सामने पेश करने का आदेश दिया । सेठ ,राजा के सामने पेश किया गया।
राजा ने सेठ से उसके हँसने का कारण पूछा। सेठ ने हँसते हुए राजा को वह पर्चा दे दिया। राजा ने उसे पढ़ा, उसने इसका अर्थ पूछा। सेठ ने कहा -" महाराज परिस्थितियां सदैव एक जैसी नही रहती है, यदि जीवन में सुख आये है ,तो दुःख भी आएंगे। सुख और दुःख एक ही सिक्को के दो पहलू है।" राजा को अपने द्वारा किये गए संघर्ष और दुःख वाले समय याद आने लगे,और उसने आज और उस समय के स्थिति की तुलना की। उसे सेठ द्वारा कही बात यथार्थ लगी। राजा अपने कृत्य पर शर्मिंदा हुआ, उसने सेठ से क्षमा मांगी और उसे कारागार से ससम्मान मुक्त का दिया।
दोस्तों, वास्तव में सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलू है ।
दुःख है तो सुख अवश्य आएगा। किसी भी पलों में हमें अपना धैर्य नही खोना
चाहिए , सदैव प्रयासरत रहना चाहिये। समय मूल्यवान होने के साथ साथ बलवान भी
होता है। क्यों कि परिस्थितियां सदा एक जैसी नही रहती। सभी का सम्मान ,सभी
का आदर करें चाहे वो छोटा हो या बड़ा ।
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