जो स्वावलंबी है , भगवान उसी की रक्षा करते है (कहानी)
एक बार अकबर के दरबार में एक विचित्र समस्या प्रस्तुत हुई। तीन सैनिकों के
बीच झगड़ा हो गया। एक का कहना था कि सबसे बड़ा भगवान है, दूसरे का कहना था कि
जिसके सहायक और लोग हो, भगवान उसी की रक्षा करते है,और तीसरे का
कहना था जो अपनी रक्षा आप करता है, भगवान उसी की रक्षा करते है। अकबर ने
बीरबल से यह समस्या सुलझाने को कहा तो बीरबल ने उचित अवसर पर उत्तर देने का
वायदा किया।
कुछ समय बाद दक्षिण में लड़ाई छिड़ गयी। बीरबल ने तीनों सैनिकों को युद्ध पर भेजा। जिसको यह विश्वास था कि कोई परिश्रम आवश्यक नही है और भगवान स्वयं ही रक्षा कर लेंगे उसे नि:शस्त्र, दूसरा जो सहयोग पर विश्वास रखता था उसके साथ एक सशस्त्र सैनिक और तीसरा जो अपने परिश्रम से परमात्मा की सहायता पर विश्वास रखता था, उसे सशस्त्र सहित भेजा । पहला मृत्यु को प्राप्त हुआ, दूसरा बंदी बना लिया गया और तीसरा अंत तक लड़ा और विजयी हो कर वापस लौटा ।
विजय की ख़ुशी में एक ख़ुशी इस उत्तर को भी जोड़ी गयी। अकबर ने निर्णय सुनाया कि जो अपनी रक्षा करता है, वही अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने में समर्थ होता है।
कुछ समय बाद दक्षिण में लड़ाई छिड़ गयी। बीरबल ने तीनों सैनिकों को युद्ध पर भेजा। जिसको यह विश्वास था कि कोई परिश्रम आवश्यक नही है और भगवान स्वयं ही रक्षा कर लेंगे उसे नि:शस्त्र, दूसरा जो सहयोग पर विश्वास रखता था उसके साथ एक सशस्त्र सैनिक और तीसरा जो अपने परिश्रम से परमात्मा की सहायता पर विश्वास रखता था, उसे सशस्त्र सहित भेजा । पहला मृत्यु को प्राप्त हुआ, दूसरा बंदी बना लिया गया और तीसरा अंत तक लड़ा और विजयी हो कर वापस लौटा ।
विजय की ख़ुशी में एक ख़ुशी इस उत्तर को भी जोड़ी गयी। अकबर ने निर्णय सुनाया कि जो अपनी रक्षा करता है, वही अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने में समर्थ होता है।
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