अध्यापक की सीख (कहानी)

अध्यापक की सीख (कहानी)


एक स्कूल का छात्र था जिसका नाम था
प्रकाश। वह बहुत चुपचाप सा और अकेले अकेले  रहता था। किसी से ज्यादा बात भी नहीं करता था, इसलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं था। वह हमेशा कुछ परेशान सा दिखता रहता था। पर लोग उस पर कभी ध्यान नहीं देते थे।

  एक दिन वह अपने क्लास रूम में पढ़ रहा था। उसे गुमसुम बैठे देख कर अध्यापक  उसके पास आये और क्लास के बाद मिलकर जाने को कहा। क्लास खत्म होते ही प्रकाश अध्यापक  के कमरे में पहुंचा गया। 


  प्रकाश मैं देखता हूँ कि तुम ज़्यादातर बड़े गुमसुम और शांत बैठे रहते हो, ना किसी से बात करते हो और ना ही किसी में रूचि दिखाते हो! 

इसका क्या कारण है ? अध्यापक  ने प्रकाश से प्रश्न किया।

  प्रकाश बोला, मेरा बीता हुआ समय बहुत ही खराब रहा है, मेरे जीवन में कुछ बड़ी ही दुखदायी घटनाएं घटित हुई हैं, मैं उन्ही के बारे में सोच कर परेशान रहता हूँ।

  अध्यापक  ने ध्यान से प्रकाश की बातें ध्यान से सुनी और उसे रविवार को अपने घर पर बुलाया। प्रकाश अपने नियत समय पर अध्यापक  के घर पहुँच गया।

 प्रकाश क्या तुम शिकंजी पीना पसंद करोगे? अध्यापक ने प्रकाश से पूछा। 

जी।  प्रकाश ने कहा।

  अध्यापक  ने शिकंजी बनाते समय जानबूझ कर नमक की मात्रा अधिक डाल दी और चीनी की मात्रा  कम रखी।  

शिकंजी का एक घूँट पीते ही प्रकाश ने अजीब सा मुंह बना लिया।

 अध्यापक  ने पुछा,  प्रकाश क्या हुआ, तुम्हे ये पसंद नहीं आया क्या?

 जी,  इसमे नमक थोड़ा अधिक पड़ गया है मुझे ऐसा लगता है।

 प्रकाश अपनी बात कह ही रहा था की अध्यापक  ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा-ओफ़-ओ, कोई बात नहीं मैं इसे फेंक देता हूँ, अब ये किस काम की !

ऐसा कह कर अध्यापक  गिलास उठा ही रहे थे कि प्रकाश ने उन्हें रोकते हुए कहा, नमक थोड़ा सा अधिक हो गया है तो क्या हुआ, हम इसमें थोड़ी और चीनी मिला दें तो ये बिलकुल ठीक हो जाएगा।

  बिलकुल ठीक प्रकाश यही तो मैं तुमसे सुनना चाहता था। अब इस स्थिति की तुम अपनी जीवन से तुलना करो, शिकंजी में नमक का ज्यादा होना जिन्दगी में हमारे साथ हुए बुरे अनुभव की तरह ही है।

और अब इस बात को समझो, "शिकंजी का स्वाद ठीक करने के लिए हम उसमे से नमक तो नहीं निकाल सकते,

 इसी प्रकार हम अपने साथ हो चुकी दुखद घटनाओं को अपने जीवन से अलग भी नहीं कर पाते, पर जिस तरह हम चीनी डाल कर शिकंजी का स्वाद ठीक कर लेते हैं उसी तरह पुरानी कड़वाहट मिटाने के लिए जिन्दगी में भी अच्छे अनुभवों की मिठास घोलनी पड़ती है।

  यदि तुम अपने बीते हुए जीवन का ही रोना रोते रहोगे तो ना तुम्हारा वर्तमान ही सही होगा और ना ही भविष्य उज्जवल  और प्रकाशमय हो पायेगा। अध्यापक  ने ऐसा कहते हुए अपनी बात पूरी की।"

 प्रकाश को वास्तव में अनुभव हुआ कि मैंने अपने जीवन में अधिकतर समय गड़े मुर्दे निकलने का काम था, उसने मन ही मन प्राण किया कि अब वो ऐसी बातों को कभी नहीं याद करेगा जो उसे दुःख देती है, और हमेशा अपने अध्ययन कार्य में व्यस्त रहेगा, और अपने जीवन में मिठास घोलने की कोशिश करता रहेगा।

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