सत्य की जीत (कहानी)

एक राज्य में एक अत्यंत न्यायप्रिय राजा था। वह अपने राज्य में सभी का ध्यान रखता था। वह वेष बदल कर अपने राज्य में भ्रमण करता था ,और अपने राज्य संचालन में निरन्तर सुधार का प्रयत्न करता रहता था। कई दिन उसने अपने राज्य में परेशानियां देखी। कुछ दिन बाद उसने अपने राज्य में एक कानून पारित किया कि -'यदि बाजार में किसी का सामान बेचने के बाद रह जाता है,और वह नही बिकता तो उसे राजा खरीद लेंगे।'
         एक दिन की बात थी, एक चित्रकार की चित्र नही बिक रही थी । उस पर शनि देव की चित्र बनी थी। वह राजा के पास गया और राजा ने उसे खरीद लिया। उसने अपने राज महल में शनि देव की स्थापन करवाई। स्थापना के अगले दिन ही राजा के स्वप्न में लक्ष्मी जी आई।लक्ष्मी जी ने कहा -"राजन,आपने अपने महल में शनि देव की स्थापन करवाई है, मैं अब यहां नही रुक सकती, मैं अब यह से जा रही हूँ।  अगले दिन स्वप्न में धर्म आया उसने भी यही कहा और वहां से चल दिया। राजा मन ही मन परेशान हो गया उसके समझ में नही आ रहा था वह क्या करे?
अगले दिन पुनः उसके स्वप्न में सत्य आया उसने भी यही बात कही और जाने लगा, राजा ने अपने कथनानुसार सत्य जा पालन किया था। राजा ने उत्तर में कहा-'देव मैंने अपने कथनानुसार सत्य का पालन किया है, आप का जाना न्याय सांगत नही होगा।' राजा की यह बात यथार्थ थी और सत्य नही गया। कुछ दिनों बाद लक्ष्मी जी और धर्म पुनः वापस आ गए।
        दोस्तों, आज के समय में सत्य बोलने का सबसे बड़ा फायदा यह है की आप के कहे गए वाक्यो को ,आपको याद करने की आवश्यकता नही होती। सत्य हमे आत्मसम्मान दिलाता है ,हमे अपनी ही दृष्टि में उच्च बनाता है।रात को जब हम निद्रा के लिए जाते है, तो अलौकिक आनंद की अनुभूति करता है। दोस्तों, सत्य का प्रयोग करके देखे उत्तर आप के सामने स्वतः ही आ जायेगा।


टिप्पणियाँ

  1. उत्तर
    1. I was not able to understand that why Laxmi ji was going

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    2. पौराणिक कहानी के अनुसार, एक बार शनि देव भगवान विष्‍णु के पास गए। सबसे पहले शनि देव ने उनका अभिवादन किया और इसके बाद मां लक्ष्मी की ओर देखते हुए उन्होंने विष्णु जी से पूछा कि प्रभु हम दोनों आपको कैसे लगते हैं?



      Lor
      इस सवाल पर भगवान विष्‍णु कुछ समय के लिए मौन हो गए क्योंकि इसका जवाब देना उनके लिए आसान नहीं था। एक तरफ उनकी पत्नी थीं और दूसरी ओर एक अप्रिय ग्रह शनि देव थे। भगवान विष्‍णु को पता था कि अगर वह सच्चाई बता देंगे तो शनिदेव नाराज हो जाएंगे। भगवान विष्णु को मौन देख शनि देव ने दोबारा इस सवाल को दोहराया।

      इसी बीच भगवान विष्णु को एक तरकीब सूझी। उन्होंने कहा कि शनि देव आप लक्ष्मी जी के साथ उस सामने वाले वृक्ष तक जाए और उसे स्पर्श कर पेड़ का एक पत्ता लेकर प्रमाण स्वरूप मेरे पास लेकर आए। दोनों में इस बात को जानने की उत्सुकता थी कि भगवान विष्णु आखिर उनके बारे में क्या सोचते हैं?



      जब दोनों पेड़ की ओर जा रहे थे तो उस वक्त भगवान विष्‍णु दोनों को अपलक देखते रहे। कुछ देर बाद दोनों ने वृक्ष को स्पर्श कर प्रमाण स्वरूप एक एक पत्ता लेकर वापस आ गए। अब थी जवाब देने की बारी।

      भगवान विष्‍णु ने कहा कि 'हे शनि! तुम जाते हुए मुझे अच्छे लग रहे थे' और 'हे लक्ष्मी! तुम आती हुई अच्छी लग रही थी'।

      भगवान विष्‍णु द्वारा दिए गए इस जवाब को सुनकर दोनों प्रसन्न हो गए। अब आपको बताते हैं कि इसका अर्थ क्या था? भगवान विष्‍णु के इस जवाब का तात्पर्य यह था कि शनि उतरता हुआ यानी कि जाता हुआ ही शुभ होता है और लक्ष्मी आती हुई अच्छी लगती हैं

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