जीवन का संघर्ष (कहानी)



जेने टुनी एक प्रदेश के बहुत भयंकर मुक्केबाज थे। उस समय उन से भी भयंकर मुक्केबाज थे -जैक डीम्पसी। जेने टुनी का लगा कि- अब मुझे अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहिए। उन्होंने जैक को लड़ने का न्योता दे डाला। जेने टुनी ये चाहते थे की- हम उनको हरा कर पूरे विश्व में सबसे अच्छे मूक्केबाज बन जायें। जब जैक का इस बात का पता चला, तो उन्होंने जेने टुनी की मनः स्थिति को भांप लिया। उन्हाने ने जेने टुनी का न्योता स्वीकार किया।
    अब दोनों ने मेहनत शुरू कर दी, वे दोनों बहुत मेह्नत करने लगे। लड़ने का दिन भी आ गया। लोग बहुत उत्सुक थे। पूरा मैदान लोगों से भरा था। लड़ाई शुरू हुई। पहली ही लड़ाई में जेने टुनी बार बार मात खा जाता। ऐसा कई बार हुआ, अंततः हार जेन टुनी की हुई। जेने टुनी ने जैसा सोचा नही था, वैसा ही हुआ। बलवान दोनो ही थे, पर ये बात जेने टुनी को समझ में नही आयी, आखिर मै बार बार उससे मात क्यों खा जाता हूँ। उसने इस बात पर चिंतन किया और निष्कर्ष ये निकला की अब वह ध्यान से टी वी पर जैक की मुक्केबजी देखेगा और उसमे अपनी गलतियों को ढूँढने की कोशिश करेगा। उसने ऐसा ही किया , वह बार बार जैक की सी डी देखता पर उसे अपनी कोई गलती नही नजर आती। कुछ समय बाद, उसने फिर से वही सी डी देखी पर फिर भी कोई गलती नही नजर आती। उसने वही सी डी फिर सात –आठ बार देखी, तो उससे एक छोटी से बात पता चली कि – जब वह वज्र प्रहार करता तो, वह अपना बायां हाथ झटकता था। जेने टुनी ने यह बात ध्यान में खा
    कुछ दिनों बाद जेने टुनी ने फिर से, जैक को लड़ाई के लिए निमंत्रित किया। पूरी भीड़ फिर से इकठ्ठा हुई । लोग पिछली बार की तरह, यही अंदाजा लगा रहे थे, की इस बार फिर जैक ही जीतेगा। लड़ाई शुरू हुई, उसे अपने द्वारा की गयी बिन्दुवत बातें याद थी। उसने इसी का ध्यान रखा, अब जैसे ही जैक ने अपना बायां हाथ झटका, जेने टुनी ने रक्षात्मक तरीके से उस पर लगातार मुक्केबाजी की और उसे प्रहार का समय ही नही दिया, अंततः जेने टुनी विजयी हुआ।
   दोस्तों गहरी इच्छाशक्ति और लगन से आप समय को समयानुकूल बना सकते है, जिसमे संघर्ष का बहुत ही बड़ा योगदान होता है। संघर्ष जीवन का इक हिस्सा है। “संघर्षों से डर कर झुकना है मनुष्य का हार,कर्म शील बन कर देखो कितना सुन्दर है संसार।”

“संघर्ष जिंदगी है लड़ना इसे पड़ेगा जो लड़ नही सकेगा आगे नही बढेगा।“

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