कुछ करने वाले ही भाग्यशाली होते है (कहानी)
एक बैंक में एक नवयुवक बैंकर कार्य करता था। वह लगातार दस
वर्षों से निरंतर बैंक की सेवा में था। ग्यारह वर्षों बाद उसके मस्तिष्क
में विचार आया कि 'मैं लगातार दस वषों से बैंक की सेवा में हूँ। मुझे अब
अपने अध्यक्ष से बात करके अपनी पदोन्नति करवा लेनी चाहिये। पिछले दस वर्षों
से मेरी एक बार भी पदोन्नति नही हुई।' अगले दिन उसने यह बात अपने अध्यक्ष
के सम्मुख रखने की सोची। अगले दिन वह पूरी स्फूर्ति के साथ काम किया और शाम
के समय वह हिम्मत करके अपने अध्यक्ष के सम्मुख गया और कहा 'महोदय, मैं
यहां लगभग दस वर्षों से लगातार कार्य कर रहा हूँ ,इन दस वर्षों में मैंने
ईमानदारी से कार्य किया है ,मैं सदैव समय पर आया हूँ ,मेरा किसी भी प्रकार
का किसी से मत भेद नही हुआ। आप से निवेदन है, कृपया मेरी पदोन्नति कर दे।
अध्यक्ष ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला-'आप ने वही कार्य किया
है, जो आप का कर्त्तव्य इस बैंक के प्रति है। आप ने कुछ विशिष्ठ कार्यों
की विवेचना नही की। आप मुझे वह कार्य बताये, जो किसी ने न किये हो और हमारी
शाखा के लिए गर्व की बात हो ? क्या आप ने कभी बैंक के ग्राहकों की संख्या
की बढ़ोत्तरी के लिए प्रयास किये है? क्या आप ने बैंक के विस्तार में सहयोग
किया है? बैंक के मुख़्य उद्देश्य में यदि आप ने कोई मुख्य भूमिका निभाई हो,
तो आप मुझे बताये। आप ने यह नौकरी ग्रहण करने से पहले घोषणा पत्र में अपने
कर्तव्यों के ईमानदारी पूर्वक पालन करने घोषणा की थी। आप के द्वारा वर्णित
सभी बातें ,इस बैंक के प्रति आप के धर्म के समान है, यदि आप इसका पालन नही
करते तो हानि आप की ही होगी।
इन सभी प्रश्नो के बाद नवयुवक को आभास हुआ कि
वास्तव में उसने आज तक के रिकॉर्ड में कोई ऐसा कार्य नही किया, जिससे पूरे
बैंक को नई पहचान मिली हो। वह संतोष करके अपने पद पर कार्यरत रहा और बैंक को
एक नई उचाईयो पर पहुँचाने की लगातार कोशिश करता रहा और एक दिन वह स्वयं
पदोन्नत हो गया।
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