ऑल राउंडर बनाने के बजाय विशेषज्ञ बनें।

एक नव युवक डॉक्टर था। उसे कार्य करते हुए दो वर्ष हो चले थे। एक स्थान पर त्याग पत्र देने के बाद वह नए नौकरी की तलाश में था। एक अच्छे क्लीनिक में उसने आवेदन किया। आवेदन के अगले दिन वह वहाँ साक्षात्कार के लिए गया। वहां अध्यक्ष ही साक्षात्कार के लिए बैठा था। नव युवक डॉक्टर से अध्यक्ष ने पूछा आप किस क्षेत्र में विशेषज्ञ है? नव युवक ने उत्तर दिया-"श्री मान मैं आल राउंडर हूँ, मुझे सभी प्रकार की चिकित्सायें आती है। मैं किसी भी प्रकार के उपचार को करने में सक्षम हूँ। मैं अपने बैच का गोल्ड मैडलिस्ट हूँ।" अध्यक्ष ने प्रत्युत्तर में कहा मैं आप का सम्मान करता हूँ ,परंतु यदि आप विशेषज्ञ होते तो बेहतर होता। मुझे विशेषज्ञ की आवश्यता है। विशेषज्ञ के आभाव में हम आपातकालीन परिस्थितियों का नियत्रण में नहीं कर पाएंगे। बेहतर है आप ऑल राउंडर की जगह एक विशेषज्ञ बने। आप की पहचान आप की विशेषज्ञता से होगी। आप के आल राउंडर होने से आप के विशिष्ट पहचान बनने में खतरा है।
       दोस्तों आल राऊँडर होना आप की विशेषता है, लेकिन विशिष्ठता आप को आप की विशेषज्ञता ही दिलाएगी।
      आज के आधुनिक युग में विशेषज्ञों की ज्यादा मांग है। ऐसा क्यों है ? वास्तव में एक सामान्य व्यक्ति के पास पूणता नही होती, परंतु एक विशेष समूह मिलकर पूणता के समीकरण को सहमत कर सकती है। विशेषज्ञता में पूर्णता की प्रतिशतता अधिक होती है, और इसके आधार पर हम सभी शून्य त्रुटि सिद्धान्त ( जीरो डिफ़ेक्ट कांसेप्ट) पर कार्य कर सकते है। इसलिए बेहतर है, ऑल राउंडर बनाने के बजाय विशेषज्ञ बनें।

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