विचारों की महिमा (कहानी)

एक व्यक्ति था वह बहुत ही निर्धन था। उसके पास रहने और खाने के लिए कुछ भी नही था। फुटपाथ पर सोकर वह वह अपना जीवन यापन करता था। दिन भर थकहार कर आया और एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा। उसे बहुत तेज भूख लगी थी। वह जिस वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहा था ,वह एक मायावी वृक्ष था, जो मांगो वो मिल जाता। यह बात उस व्यक्ति को भी नही पता थी। वह मन ही मन सोचने लगा मेरे पास मेरे मन पसंद के व्यंजन होते तो कितना अच्छा होता। मैं उसे खा कर तृप्त हो जाता। उसके सोचने के बाद ही उसके सामने लज़ीज व्यंजनों से भरी थाल रखी हुई मिली, वह चौंक गया, आखिर  यह आया कहां से । उस भोजन के सामने वह भला और कहाँ सोचता । वह भोजन करके तृप्त हो गया और विश्राम करने लगा। विश्राम करते करते उसके मस्तिष्क में और विचार आने लगे। काश हमारे पास सोने के लिए सोने का बिस्तर होता। कुछ ही समय में उसके विचारानुसार सारी मांग पूरी हो गयी। एक सोने का आरामदेह बिस्तर आ गया। वह यह सब देख कर आश्चर्यचकित हो गया। अब वह सोचने लगा बाहर खुले आसमान के नीचे सोना अच्छा नही होता ,काश हमारे पास एक अपना स्वर्ण का महल होता। कुछ ही देर में वह स्वयं को महल के अंदर पाया। वह यह सब देख कर दंग था। उसने आज तक ऐसा सुख नही देखा था। वह सुकून से मन भर सोया। जब वह सोकर उठा तो पूरा महल सुमसान था ,वहां कोई भी नही था। उसे डर लगने लगा उसके मन में विचार आने शुरु हो गए उसने जैसे ही सोचा की कही मुझे भूत आ के खा न ले, उसकी यह मनोदशा भी वास्तविकता में बदल गयी।
      दोस्तों, यह तो बिल्कुल ही सत्य है, हम जैसा ही सोचते है ,वैसे ही बन जातें है। यह कई महापुरुषों का भी कथन है। दोस्तों, विचार अपने सदैव श्रेठ रखे। विचारो पर किसी की सीमा नही निर्धारित की जा सकती है। सदा सादा जीवन शैली अपनाएं, विचारों की उच्चता में यह सहायता करता है।


 

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