एकता
एक बार किसी क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा। एक परिवार के सदस्यों ने
किसी अन्य क्षेत्र में जाने के लिए आवश्यक सामान बाँधा और निकल पड़े। मार्ग में वे पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिए रुके। परिवार के मुखिया ने अपने तीन लड़कों को तीन विभिन्न कार्यों के लिए भेजा। एक पानी, दूसरा ईंधन और तीसरा अग्नि लेकर लौटा। तत्काल चूल्हा जलाया गया। पकाने हेतु पेड़ पर चढ़कर जो भी मिल जाए, वह लाने का निर्णय किया गया। उनकी गतिविधि को पेड़ पर चढ़ा एक देव देख रहा था। उसने उनकी एकता को देखकर उनसे कहा – “इस पेड़ की जड़ में अशरफियों का घड़ा गड़ा है, उसे ले लो और सुख से रहो।" परिवार ने देव की आज्ञा का पालन किया और सुखपूर्वक घर लौट गए। उनके पड़ोसियों को घटना का पता चला तो उन्होंने भी ऐसा ही नाटक करने का प्रयत्न किया, परंतु उनके तीनों लड़के अपने-अपने कार्यों को करने के स्थान पर आपस में ही लड़ने लग गए। देव का आशीर्वाद पाने के स्थान पर वे उसके कोप के भागी बने और जो था, उसे भी गँवा बैठे। एकता ही सफलता का सूत्र है ।
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