पहचान

बादलों से घिरे चाँद को ,बदलों ने सँवारा है ,
वो कितना सुन्दर चाँद ,आज सबका न्यारा है |
पर्वत की उचाइयो में भी घन घटा का साथ है ,
अमावस होते हुए भी , जीवन भर का हाथ है |
शीतल मंद हवाओं में , वो मीठी सी मुस्कान है ,
बदलों के ऊपर , आज भी वो मकान है |
चन्द्र की कलाओं में , अनूठा सा अंदाज है ,
क्रिया का कर्तन देखो , पूर्णिमा ही राज है |
मंद सी महक , कर्ता का व्यवहार है ,
समुद्र शक्ति का , आज भी सत्कार है |
चन्द्र की चंचलता , पानी का मान है ,
तभी तो चन्दा , आज पानी में भी महान है|


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