सोची उम्मीदें

इन कंधो पर उम्मीदों का साया है ,
पर ईश्वर को तो  कुछ और  ही  भाया है। 
होना कुछ  और था, हुआ कुछ और ,
यही तो सब ईश्वर की माया है। 
आज फिर एक नई सुबह हुई,
किरणे नई उम्मीदे लेकर आया है। 
आज कुछ नया करने का मन बनाया है ,
सोंचा था जीवन को एक नई दिशा देंगे,
सोच को नई उड़न देंगे,
पर जीवन ने तो सदा झुकना सिखाया है। 
मन  जीवन से विरक्तता को चाहता है ,
पर कर्म के घेरे ने ऐसा फँसाया  है ,
कि फिर उसी स्थान पर माया समय है। 






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