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नेकी की राह

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दोस्तों, यह आर्टिकल थोडा बड़ा है, आप चाहें तो इसे बुकमार्क कर सकतें है, ताकि समय मिलने पर आप इसे पढ़ सकें।           हम एक ऐसे युग में जी रहें है, जहां कई लोग मानते ही नहीं कि वे जो कुछ करतें है, उसका कोई नैतिक पहलू भी होता है। उन्हें लगता है कि उनके किये किसी काम से सिर्फ सामाजिक या आर्थिक नतीजे आ सकतें है। लोगों की सामान्य सोच यह है कि दुनिया में सही या गलत कोई चीज नहीं होती और हम परिस्थितियों के ग़ुलाम हैं। इसलिए हमें वही करना चाहिए , जो परिस्थितियों के अनुकूल हो। हम सब ने कभी न कभी यह बात अवश्य सुनी होगी -"ठीक है आप अपने ढंग से काम करें।" हम में से कई लोग ऐसे भी है, जो इस तरह से जी रहें हैं, अपनी इच्छा से काम करते हुए।           इसलिए इस प्रश्न से कोई हैरानी नहीं हुई। लेकिन इक बात बता दूं, इससे बेहतर तरीका हम सभी के पास मौजूद है, और वह तरीका है एक नेक जीवन जीने का। " कोई भी एहसास आपकी आत्मा को इतना आनन्द और इतनी ख़ुशी प्रदान नहीं कर सकता जितना उस बात को जान लेने कि नेक जीवन जीने के लिये आप जितना प्रयास कर सकतें है, आप...

समय का सदुपयोग

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भविष्य एक ऐसी चीज़ है, जिसकी ओर हर कोई साठ मिनट प्रति घंटे की गति से ही बढ़ता है, चाहे वह कुछ भी करे, चाहे वह कोई भी हो। --- सी एस लूइस       समय को हमेशा लगातार चलते रहने वाला बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि समय का न तो आदि है, और न ही अंत। फिर भी मानव उसे साल महीने दिन घंटे मिनट और सेकेण्ड में मापने में कामयाब रहा। मनाव ने भूत, वर्तमान और भविष्य जैसे शब्दों को अर्थ दिए। समय कभी नहीं रुकता वह चलता ही रहता है। जो कल था, वह आज नहीं है। आज जो है, वह कल नहीं रहेगा। कल बीत गया। आज यह है, और कल का आना अभी बाकी है।      जैसा की आप सब को पता है, पृथ्वी अपनी धूरी पर 24 घंटे या 1440 मिनट या 86400 सेकेण्ड घूमती है, जिससे दिन और रात बनते हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा भी करती है, जिसके एक चक्कर में उसे करीब एक साल लग जाता है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की एक परिक्रमा होते ही आप की उम्र एक साल बढ़ जाती है। सृष्टी की हर एक गति समय से जुड़ी हुई है। जन्म, विकास और मृत्यु होतें है। एक बच्चा पैदा होता है, फिर समय बीतने के साथ युवा होता है, फिर बूढा होता है। ऋतुएँ भी समय ...

सपनों की महत्ता

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एनतोली फ्रांस के शब्द अपने में बहुत ही सजीवता लिए हुए है-" कुछ बड़ा करने के लिए हमें सिर्फ कुछ करना ही नहीं होता बल्कि सपने भी देखने होतें हैं, सिर्फ इरादे ही नही करना होता , बल्कि भरोसा भी रखना होता है। "        सपने वह नहीं होते जो आप नींद में देखतें है, सपने वह होतें है जो आपको सोने नहीं देते। डॉ कलाम के यह प्रेरक वाक्य सभी युवा मन को मार्गदर्शित करता है। अपने सपने पूरे करने के लिये आप को जागते रहना होता है, पूरी तरह आँखें खोल कर जागते रहना होता है।  आज जितनी सम्भावनाएं है, उतनी अब तक के समूचे इतिहास में कभी नहीं थीं। इक्कीसवीं सदी, ऐसे अनुभव पैदा कर रहीं है, जिन्हें मानव ने विकास की पिछले बीस शताब्दियों में असंभव समझा जाता था। ऐसे महौल में जब प्रोद्योगिकी और नित नई खोज के बल पर मानव सभ्यता तरक्की करती जा रही है। इंसान में छिपी सम्भावनाओं का भी तेजी से विस्तार होता जा रहा है। लेकिन इन अवसरों का अनुभव करने के लिए हमारे पास जो समय है वह उतना का उतना ही है। और आज का युवा वर्ग इसी दुविधा में है। युवा वर्ग यह चाहता है कि उनके सामने जितने किस्म के अनुभ...

स्वयं पर भरोसा रखें।

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डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के प्रेरणा, सलाह, मार्गदर्शन, उनकी सोच, उनके जीवन मूल्य, उनके समस्या  समाधान, उनके अपने जीवन की कठिन राह से हमें जीवन का वास्तविक चित्रण मिलता है। कठिन से कठिन डगर पर चलते हुए, वे सच्चाई की कसौटी पर खरे उतरे। वे सबक, जो उन्होंने सीखा है, उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं ।  आइये दोस्तों यह पूरा आर्टिकल पढ़तें है, जो सभी नव जवानों को समर्पित है। उन्ही के मुखारबिंदु से निकले यह वाक्य आप सभी के सामने प्रस्तुत है......       "हर उस अनुभव से जिससे हम सचमुच डर से आँखें चार करने की हिम्मत करतें है, उससे हमें शक्ति साहस और आत्मविश्वास हासिल होता है.... हमें वह जरूर करना करना चाहिए जो हम सोचते है कि हम नहीं कर पाएंगे।" यह कथन वास्तव में एलेनर रूजवेल्ट के है, जो वास्तव में मोती के समान है। हम सभी आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्तियों को पसंद करते है, चाहे वह प्रेरणात्मक भाषण देने वाला वक्ता हो या पूरे आत्मविश्वास से मरीजों को देखने वाला डॉक्टर । वास्तव में आत्मविश्वास जीवन के हर एक पहलू के लिए जरूरी है, फिर भी कितने लोग, इसके लिए जद्दोजहद ...

युवा दिल दिखें , कैसे ?

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दोस्तों, शब्दों में प्रबल उपचरक शक्ति होती है। साइकोएनालिसिस कुछ हद तक शब्दों की उपचारक शक्ति पर आधारित है। अगर कोई मरीज़ अपनी अंदरूनी परेशानियों के बारे में बोलता रहे, सिर्फ़ बोलता रहे तो इसी से, उसे राहत मिल जाती है। ऐसा क्यों होता है? शायद इसलिए क्यों कि बोल देने से हमें अपनी समस्याओं के बारे में बेहतर अंतर्दृष्टि मिल जाती है, बेहतर दृष्टीकोण मिल जाता है। कोई भी पूरा जवाब नहीं जानता। लेकिन हम सब यही बोलतें है कि अपने दिल का ग़ुबार निकाल देने से बोझ हल्का हो जाता है और तुरंत हमें राहत मिलती है।      युवा अनुभव के साथ दिखने के लिये कुछ सम्यकवादी नियमित कर्म करने होंगे जिसे आप घर पर आसानी से कर सकतें है। 1. प्रेरणादायक अध्ययन के लिए एक डायरी या नोटबुक रखें। इसमें वो सारी कवितायेँ छोटी प्रार्थनाएं या प्रेरक वाक्य लिख सकतें है, जो आपको अच्छे लगते हैं और जिनसे आप को प्रेरणा मिलती हो। फिर जब भी आप का मनोबल कम हो और आप उदास हों, तो आपको इस डायरी में निराशा दूर करने का नुस्ख मिल सकता है, यह एक तरह का आध्यात्मिक और शक्ति वर्धक इंजेक्शन है। 2. लोगों में रुचि लें। ऐस...

दामिनी

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दामिनी तेरा दमन हुआ, हम सब को यही अब गम है। दमके अब तू नक्षत्र सा नभ में, हम सब की आखें नम है। क्या कसूर था तेरा, क्या लिया था तूने किसी का, बस यही की तू एक लड़की थी, या फिर, ये की तूने स्वतंत्र होकर जीना सीखा। बस यही की तू किसी क़ी धाती थी,या फिर, तू बेटी का धर्म निभाती थी। तेरे नयनों के अश्रु चुभते है सीने में, मै भी एक बेटी हूँ सोच कर लगता है , अब क्या रखा है जीने में ? हम जिंदा है , इसलिये नही कि हमें जीना है, तेरे जज़बातों के दहकते अल्फाजो को हमें पीना है । दामिनी तू निर्भया है, वीरांगना है, यह सब देख सब की आहें कम है। दमके तू नक्षत्र सा नभ में, हम सब की आखें नम है।                                      - शिल्पी पाण्डेय

अपने जाग्रत जीवन पल में, पल पल कैसे बढ़ाएं ?

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थकान से अक्सर चिंता पैदा होती है, या इसके कारण चिंता की संभावनाएं बढ़ जाती है। शिकागो के फिजियोलॉजी लैब में विद्यार्थियों को यह बताया जाता था, कि एक तकनीक के रूप में विश्राम का कैसे प्रयोग किया जाये। उनका दावा था कि कोई भी मानसिक परेशानी या नकारात्मक भावनात्मक स्थिति पूर्ण विश्राम की अवस्था में मौजूद रह ही नहीं सकती, इसका मतलब यह है, कि अगर आप विश्राम की अवस्था में हैं तो आप चिंतित नहीं रह सकते। इसलिए दोस्तों अक्सर आराम करें। थकान से पहले ही आराम करें।         यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है ? क्यों कि थकान आश्चर्यजनक तेज़ी से बढ़ती है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि ह्रदय लगातार काम करता रहता है। सच तो यह है कि हर संकुचन के बाद ह्रदय कुछ समय के लिए आराम करता है। सत्तर बार प्रति मिनट की औसत गति से धड़कते समय हमारा ह्रदय दरअसल चौबीस में से सिर्फ नौ धंटे ही काम करता है। कुल मिलाकर यह हर दिन पूरे पंद्रह धंटे आराम करता है।        जॉन डी रॉक फेलर ने दुनिया में दो असाधारण रिकॉर्ड बनाएं। उन्होंने इतनी दौलत इकठ्ठा की, जितनी दुनिया में उस समय त...

आपके पास जो भी है क्या उसके बदले में 10 लाख डॉलर लेना चाहेंगे?

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हमारे जीवन में 90% चीजें सही होती है, बाकि 10% ही गलत होती हैं। अगर हम खुश रहना चाहतें है, तो हमें सिर्फ यह करना है कि हम उन 90% सही चीज़ो पर अपना ध्यान केंद्रित करें और दस प्रतिशत गलत चीजों को अनदेखा कर दें। परंतु अगर हम चिंतित, कटु और पेट अल्सर के साथ रहना चाहते है, तो  हमें सिर्फ यह करना है कि हम उन दस प्रतिशत चीज़ो पर ध्यान केंद्रित कर लें जो गलत हैं और नब्बे प्रतिशत अच्छी चीज़ों को अनदेखा कर दें।               लेखक जॉन नैथन स्विफ्ट, अंग्रेजी साहित्य के सबसे ज्यादा निराशावादी लेखक थे। अपने पैदा होने पर वे इतने दुखी थे कि वे अपने जन्मदिन पर काले कपडे पहनते थे और उपवास रखते थे, परंतु निराशा के बावज़ूद अंग्रेजी सहित्य का परम निराशावादी लेखक ख़ुशी और सुख की स्वास्थ्यप्रद शक्तियों की सराहना करता था। उन्होंने कहा था- दुनिया में सबसे अच्छे डॉक्टर है - डॉक्टर भोजन, डॉक्टर शांति और डॉक्टर खुशदिल।             आपको और मुझे डॉक्टर खुशदिल की सेवाएं 24 घण्टे मुफ्त मिल सकती हैं, बशर्ते हम अपना ध्यान अपनी विश्वसनीय नियामतों पर कें...

खुश रहने के सात तरीके,जो आप को करने चाहिए।

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पहला तरीका-- अपने मस्तिष्क को शांत,साहस, स्वास्थ्य और आशा के विचारों से भर दें क्यों कि "हमारे विचार से ही हमारी जिंदगी बनती है।" दूसरा तरीका-- हम अपने शत्रुओं से बदला लेने की कोशिश न करे या प्रतिशोध की भावना   न रखें , क्यों कि इससे हम उनके बजाए खुद को ज्यादा नुक़सान पहुँचाते हैं। जिनको हम पसंद नहीं करते, उनके बारे में सोचने में अपना एक मिनट  भी  समय बर्बाद न करें। तीसरा तरीका -- हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि सुख पाने का एक मात्र रास्ता यह नहीं है कि हम कृतज्ञता की अपेक्षा रखें, बल्कि यह है कि हम देने की आनंद के लिए दें। हमें यह याद रखना चाहिये कि कृतज्ञता "विकसित किया गया " गुण है। इसलिए अगर हम अपने बच्चों को कृतज्ञ बनाते है, तो हमें उन्हें कृतज्ञ होने का प्रशिक्षण देना होगा।  कृतघ्नता के बारे में चिंता करने के बजाए हम इसकी उम्मीद करें। चौथा तरीका--अपनी नियामतें गिनें , अपने कष्ट नहीं। पाचवां तरीका-- हम दूसरे की नक़ल न करें, बल्कि अपने असली स्वरुप को पहचानें और उसी रूप में रहें, क्योकि "ईर्ष्या अज्ञान ह...

आप थकते क्यों है? आप इसके लिए क्या कर सकते है।

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दोस्तों, मैं डेल कारनेगी की एक पुस्तक पढ़ रहा था। मुझे यह पुस्तक विचित्र लगी। इस पुस्तक के कुछ विशेष बातें आप सभी से साझा करना करना चाहता हूँ, जो हम सभी के व्यक्तिगत विकास में लाभकारी है। यहाँ मैं एक आश्चर्यजनक और महत्त्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ।              केवल मानसिक श्रम से हम नहीं थकते। हास्यास्पद लगता तो है लेकिन कई वर्ष पहले वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की, कि मानवीय मस्तिष्क अपनी कार्य क्षमता घटाए बिना कितनी देर तक कार्य कर सकता है। परंतु वैज्ञानिकों को यह जान कर आश्चर्य हुआ कि, जब दिमाग सक्रिय होता है, तो इससे गुजरने वाले रक्त में थकान के कोई चिन्ह नहीं होते हैं। अगर आप किसी मजदूर की नस में से रक्त उस समय निकालें जब वह कार्य कर रहा हो, तो आप पाएंगे की उसमे थकान के विषाक्त तत्व और थकान के उत्पाद भरे हुए है। परंतु आप अगर किसी अल्बर्ट जैसे वैज्ञानिक का रक्त ले कर जाँच करवाएंगे तो पाएंगे की उनके रक्त में थकान की विषाक्त तत्व है ही नहीं। तो जहाँ तक दिमाग का सवाल है, यह आठ या बारह घंटे उतनी ही तेजी के साथ काम कर सकता है, जितन...

अनुचित आलोचना, एक छुपी हुई प्रशंसा होती है।

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जीवन में आलोचनाएं हमें सही राह में होने की पुष्टि करता है। आलोचनाएं जबरदस्त तो होती ही है, परंतु याद रखें, कोई भी मृत जीव को लात नही मारता।             इसलिए, जब आप को लात मारी जाये या आप की आलोचना की जाये तो याद रखे, ऐसा अक्सर इसलिए किया जाता है, क्योंकि इससे लात मारने वाले को महत्व का एहसास होता है। इसका अक्सर मतलब यह होता है कि आप कुछ ख़ास हासिल कर रहे है और लोगों का ध्यान अपनी ओर खीच रहें है। कई लोग अक्सर अपने से ज्यादा शिक्षित या ज्यादा सफल लोगों की धज्जियाँ उड़ाने में जंगली संतुष्टी का अनुभव करते है। शापेनहर ने कई वर्ष पूर्व कहा था- "घटिया लोग महान लोगों की ग़लतियों और मूर्खताओं में बहुत आनंद लेते है।"             एक पुस्तक में यू एस सेना के जनरल ग्रांट ने अपना अनुभव लिखा था। उन्होंने सन् 1862 में उत्तरी सेना के पक्ष में बड़ा युद्ध जीता - यह विजय एक ही दोपहर में हासिल की गयी और इसने ग्रांट को रातों रात राष्ट्रीय हीरो बना दिया। एक ऐसा विजय जिसका पूरे यूरोप पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। उनके वरिष्ठ अधिकारी ...

अगर आप को नीबू प्राप्त हो, तो उसका शर्बत बना लें।

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जिंदगी भर लोगों के छुपे हुए संग्रह का अध्ययन करने के पश्चात एक वैज्ञानिक एडलर ने इस रहस्य से पैदा हटाया कि-" इन्सान का एक आश्चर्य जनक गुण यह है कि उसमे नकारात्मक को सकारात्मक में परिवर्तित करने की शक्ति होती है।"एक विदेशी महिला की प्रेरणा प्रद कहानी है, जिसे एक पुस्तक में पढ़ा था।          महिला के पति घने रेगिस्तान में आर्मी ट्रेनिंग के तौर पर तैनात थे। उनकी पत्नी भी उनके साथ रहने की लिए गयी। परंतु उस महिला को उस रेगिस्तान से नफ़रत होती थी। वह सदैव दुखी रहती थी। उस रेगिस्तान का वीरान क्षेत्र और वहाँ की झोपड़ियां उसे झकझोर कर रख देती थी। गर्मी भी असहनीय लगती थी। पति के ट्रेनिंग के समय उसके पास बात करने के लिए भी कोई नही होता, हवा लगातार चलती रहती और जो खाना बनता, और जो साँस लेती सबमें धूल ही धूल भरी रहती।        वह इतनी दुखी हो गयी कि उसे स्वयं पर तरस आता था। उसने अपने पिता जी को पत्र लिखा। जिसमे लिखा था कि वह हार मान रही है और वापस घर को लौट रही है, उसे वहां एक मिनट रहना सहन से बाहर है , इससे तो बेहतर है कि वह जेल में रह जाये। उसके प...

आशावादी बालक (कहानी)

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एक बहुत ही छोटा लगभग सात साल का बालक था । वह बहुत बुद्धिमान था। उसका नाम आलोक था। उसके पिता सेठ धनीराम एक व्यापारी थे। आलोक जब पांच वर्ष का था, तभी उसकी माँ उसे छोड़ के चली गयी। बेचारा आलोक अब हमेशा उदास रहने लगा। उसके पिता को जब व्यापार से समय मिलता, तो उसके साथ समय बिताते थे ।  आलोक के पिता आलोक से बहुत प्यार करते थे, किन्तु मृत्यु के बाद से आलोक को नफ़रत की दृष्टि से देखने लगे थे ।  आलोक को पढ़ाई बहुत अच्छी लगती थी ।  वह हमेशा अच्छी-अच्छी पुस्तको का अध्यान करता था ।  आलोक बड़ा होकर अच्छा  आदमी बनना चाहता था ।  देश के गरीबों, असहायों की मदत करना चाहता था ।  देश, धर्म और राष्ट्र के प्रति आदर्शवान था ।  अब आलोक १२ वर्ष का हो गया था ।            बेचारा आलोक, उसके सपनों को कौन  पूरा कर सकता था ? जब आलोक  अपने  पिता के पास जाता और अपनी कल्पनाओं को सुनाता, तो उसके पिता उसे डांट देते और घर  के कार्यो  में लगा देते थे ।  इस प्रकार आलोक मन ही मन रो लेता था ।  कार्यों को पूरा कर लेने के...

प्रतिशोध की भावना, वास्तव में महंगा सौदा है।

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जब हम अपने शत्रु से नफ़रत करते है, तो हम उन्हें अपने ऊपर हावी होने की शक्ति प्रदान कर रहे होते है। अगर स्वार्थी लोग आप का उपयोग या लाभ उठाने का प्रयास करते है, तो उनका नाम अपनी सूची से काट दें, लेकिन प्रतिशोध की भावना कभी न पालें। जब कभी भी आप बदला लेने का प्रयास करते है, तो आप दूसरे व्यक्ति को जितना  हानि  पहुँचाते है, उससे भी कही अधिक हानि आप स्वयं को पहुँचातें है।        दोस्तों, ईसा मसीह के कहे गए वाक्यों में भी यह उल्लेखित है कि, "अपने शत्रु से प्रेम करो, अपने शत्रु को सात गुना सत्तर बार क्षमा करो, सदैव क्षमाशील बनो।" इस धरा पर कोई भी कृत्रिम शल्य चिकित्सा किसी चेहरे को इतना सुन्दर नही बना सकती, जितना कि प्रेम, कोमलता और क्षमा की भावनाओं से भरा ह्रदय बना सकता है। "प्रतिशोध, भोजन का आनंद लेने की हमारी योग्यता को भी समाप्त कर देती है"-ऐसा वर्णन हमें बाइबिल में भी मिलता है। अगर हम अपने शत्रु या दुश्मनों से प्रेम नहीँ कर सकते, तो हम कम से कम स्वयं से तो प्रेम करें। हमें स्वयं से इतना प्रेम करना चाहिये कि हम अपने शत्रुओं को इस बात की अनुमति न दें कि...

ऑल राउंडर बनाने के बजाय विशेषज्ञ बनें।

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एक नव युवक डॉक्टर था। उसे कार्य करते हुए दो वर्ष हो चले थे। एक स्थान पर त्याग पत्र देने के बाद वह नए नौकरी की तलाश में था। एक अच्छे क्लीनिक में उसने आवेदन किया। आवेदन के अगले दिन वह वहाँ साक्षात्कार के लिए गया। वहां अध्यक्ष ही साक्षात्कार के लिए बैठा था। नव युवक डॉक्टर से अध्यक्ष ने पूछा आप किस क्षेत्र में विशेषज्ञ है? नव युवक ने उत्तर दिया-"श्री मान मैं आल राउंडर हूँ, मुझे सभी प्रकार की चिकित्सायें आती है। मैं किसी भी प्रकार के उपचार को करने में सक्षम हूँ। मैं अपने बैच का गोल्ड मैडलिस्ट हूँ।" अध्यक्ष ने प्रत्युत्तर में कहा मैं आप का सम्मान करता हूँ ,परंतु यदि आप विशेषज्ञ होते तो बेहतर होता। मुझे विशेषज्ञ की आवश्यता है। विशेषज्ञ के आभाव में हम आपातकालीन परिस्थितियों का नियत्रण में नहीं कर पाएंगे। बेहतर है आप ऑल राउंडर की जगह एक विशेषज्ञ बने। आप की पहचान आप की विशेषज्ञता से होगी। आप के आल राउंडर होने से आप के विशिष्ट पहचान बनने में खतरा है।        दोस्तों आल राऊँडर होना आप की विशेषता है, लेकिन विशिष्ठता आप को आप की विशेषज्ञता ही दिलाएगी।       आज के आ...

अपनी शक्तियों को पहचाने : याद रखें आप इस विश्व में सबसे विचित्र है।

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दोस्तों आप अपने कटु अनुभव से ये सीखेंगे - चाहे स्थितियां कैसी भी हो हम जैसे भी है वैसा  ही व्यवहार करना बेहतर है। जेम्स गार्डन के अनुसार - "असली रूप में रहने की इच्छा से सम्बंधित समस्या उतनी ही पुरानी है, जितना की इतिहास और उतनी ही शाश्वत है जितना की मानव का जीवन।"       एक बस चालक की पुत्री ने ये सबक बहुत मुश्किलों के बाद सीखा। वह एक सिंगर बनाना चाहती थी लेकिन उसका चेहरा उसके लिए दुर्भाग्य का कारण था। उसका मुख बड़ा था और दाँत बा हर की ओर निकले थे। जब उसने एक प्रतिष्ठान में लोगों के सामने गाया , तो उसने ऊपरी होठों से अपने बाहर की ओर निकले दाँत को छुपाने की कोशिश की। उसने स्वयं को ग्लैमरस दिखाने की कोशिश की। परिणाम? उसने खुद को मूर्ख साबित किया। उसने असफल होना ही था। उस प्रतिष्ठान में एक व्यक्ति शांति से बैठ कर उस लड़की का गाना सुन रहा था, और उसे लगा की उसमे प्रतिभा है। उसने साफ शब्दों में उसने बता दिया ," मैं आप का गाना सुन रहा था और मैं जानता हूँ कि आप क्या छुपाने की कोशिश कर रही थी। आप को अपने दाँतों पर शर्म आ रही थी।" वह लड़की शरमा गयी। लेकिन उस आदमी न...

चिंता को दें मात, कैसे ?

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दोस्तों , जीवन में परेशानियाँ, दुविधाएँ और कठिनाइयाँ आना स्वाभाविक है, हम अपनी परोस्थितियों को अपने अनूकूल कर सकने में सक्षम नही हो पाते। आइये हम सभी कुछ बिंदु बिन्दुवत करते है जिससे आप परिस्थितियों को अपने अनुकूल कर सकते है और आप चिंता को भी सरलता से जीत सकते है। 1. चिंता का केवल एक ही उपाय है। वह है चिंतन। चिंता कभी न करें, सदैव चिंतन ही करें।   2. आने वाले कल के बोझ को अगर बीते हुए कल के बोझ के साथ आज के दिन उठाया जाये तो शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी लड़खड़ा जायेगा, इसलिए दोस्तों वर्तमान में एक एक दिन जियें यानि की 'एक डे टाइट कम्पार्टमेंट में जीवन जियें'। भविष्य की चिंता में कभी न घुलें।   3. अगर आप के सामने कोई समस्या या बड़ी समस्या आये तो आप स्वयं से पूछे - 'यदि मैं अपनी समस्या नहीं सुलझा पाता, तो मेरे साथ बुरे से बुरा क्या हो सकता है?' और आवश्कता पड़ने पर उस बुरे से बुरे परिणामों के लिए मानसिक रूप से स्वयं को तैयार कर लें।   4. फिर शांत दिमाग से अपने सोचे, बुरे से बुरे परिणामों को सुधारने की कोशिश करें - जिन्हें स्वीकार करने के लिए आप ...

कुछ करने वाले ही भाग्यशाली होते है (कहानी)

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एक बैंक में एक नवयुवक बैंकर कार्य करता था। वह लगातार दस वर्षों से निरंतर बैंक की सेवा में था। ग्यारह वर्षों बाद उसके मस्तिष्क में विचार आया कि 'मैं लगातार दस वषों से बैंक की सेवा में हूँ। मुझे अब अपने अध्यक्ष से बात करके अपनी पदोन्नति करवा लेनी चाहिये। पिछले दस वर्षों से मेरी एक बार भी पदोन्नति नही हुई।' अगले दिन उसने यह बात अपने अध्यक्ष के सम्मुख रखने की सोची। अगले दिन वह पूरी स्फूर्ति के साथ काम किया और शाम के समय वह हिम्मत करके अपने अध्यक्ष के सम्मुख गया और कहा 'महोदय, मैं यहां लगभग दस वर्षों से लगातार कार्य कर रहा हूँ ,इन दस वर्षों में मैंने ईमानदारी से कार्य किया है ,मैं सदैव समय पर आया हूँ ,मेरा किसी भी प्रकार का किसी से मत भेद नही हुआ। आप से निवेदन है, कृपया मेरी पदोन्नति कर दे। अध्यक्ष ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला-'आप ने वही कार्य किया है, जो आप का कर्त्तव्य  इस बैंक के प्रति है। आप ने कुछ विशिष्ठ कार्यों की विवेचना नही  की। आप मुझे वह कार्य बताये, जो किसी ने न किये हो और हमारी शाखा के लिए गर्व की बात हो ? क्या आप ने कभी बैंक के ग्राहको...

बापू के कम कपडे में रहने की जिद (संस्मरण)

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सन् 1916 की बात है। नवाबों की नगरी लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा था। बापू भी उस अधिवेशन में आये थे। वहां उन्हें राज कुमार शुक्ल मिले और उन्होंने बिहार के चंपारण में रहने वाले किसानो का कष्ट उन्हें बताया। यह सब कष्ट सुन कर उनसे रहा न गया। वे और कस्तूरबा, चंपारण के तिहरवा गांव पहुंच गए। जब कस्तूरबा वहां पहुंची तो उन्होंने देखा वहां जितनी भी औरतें थी , वे सभी गंदे कपड़े पहने हुई थी। उन्होंने गाँव की सभी औरतों को इकठ्ठा किया और समझाने लगी कि गंदे कपड़े पहनने से बहुत सी बीमारियां होती है इसलिए सभी को स्वच्छ रहना चाहिए और अपने आस पास के वातावरण को भी साफ रखना चाहिए। इस बात पर एक गरीब औरत,  जिसके कपड़े बहुत ही गंदे थे और जो एक किसान की पत्नी थी उठी और उन्हें अपनी छोटी सी झोपडी में ले कर गयी और बताने लगी - आप स्वयं ही देख लीजिये मेरे घर में कुछ भी नही है, केवल मेरे देह पर यही एक साड़ी है। आप स्वयं ही बताइये मै स्नान के समय क्या धारण कर के साड़ी साफ करूँ और क्या अपने वस्त्र साफ रखूँ? आप बापू जी से कह कर एक साड़ी दिलवा दें तो फिर मैं रोज़ अपने वस्त्र साफ रखूँ।  ...

जो स्वावलंबी है , भगवान उसी की रक्षा करते है (कहानी)

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एक बार अकबर के दरबार में एक विचित्र समस्या प्रस्तुत हुई। तीन सैनिकों के बीच झगड़ा हो गया। एक का कहना था कि सबसे बड़ा भगवान है, दूसरे का कहना था कि जिसके सहायक और लोग हो, भगवान उसी की रक्षा करते है,और तीसरे का कहना था जो अपनी रक्षा आप करता है, भगवान उसी की रक्षा करते है। अकबर ने बीरबल से यह समस्या सुलझाने को कहा तो बीरबल ने उचित अवसर पर उत्तर देने का वायदा किया।       कुछ समय बाद दक्षिण में लड़ाई छिड़ गयी। बीरबल ने तीनों सैनिकों को युद्ध पर भेजा। जिसको यह विश्वास था कि कोई परिश्रम आवश्यक नही है और भगवान स्वयं ही रक्षा कर लेंगे उसे नि:शस्त्र, दूसरा जो सहयोग पर विश्वास रखता था उसके साथ एक सशस्त्र सैनिक और तीसरा जो अपने परिश्रम से परमात्मा की सहायता पर विश्वास रखता था, उसे सशस्त्र सहित भेजा । पहला मृत्यु को प्राप्त हुआ, दूसरा बंदी बना लिया गया और तीसरा अंत तक लड़ा और विजयी हो कर वापस लौटा ।       विजय की ख़ुशी में एक ख़ुशी इस उत्तर को भी जोड़ी गयी। अकबर ने निर्णय सुनाया कि जो अपनी रक्षा करता है, वही अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने...