सपनों की महत्ता
एनतोली फ्रांस के शब्द अपने में बहुत ही सजीवता लिए हुए है-"कुछ बड़ा करने के लिए हमें सिर्फ कुछ करना ही नहीं होता बल्कि सपने भी देखने होतें हैं, सिर्फ इरादे ही नही करना होता , बल्कि भरोसा भी रखना होता है।"
सपने वह नहीं होते जो आप नींद में देखतें है, सपने वह होतें है जो आपको सोने नहीं देते। डॉ कलाम के यह प्रेरक वाक्य सभी युवा मन को मार्गदर्शित करता है। अपने सपने पूरे करने के लिये आप को जागते रहना होता है, पूरी तरह आँखें खोल कर जागते रहना होता है। आज जितनी सम्भावनाएं है, उतनी अब तक के समूचे इतिहास में कभी नहीं थीं। इक्कीसवीं सदी, ऐसे अनुभव पैदा कर रहीं है, जिन्हें मानव ने विकास की पिछले बीस शताब्दियों में असंभव समझा जाता था। ऐसे महौल में जब प्रोद्योगिकी और नित नई खोज के बल पर मानव सभ्यता तरक्की करती जा रही है। इंसान में छिपी सम्भावनाओं का भी तेजी से विस्तार होता जा रहा है। लेकिन इन अवसरों का अनुभव करने के लिए हमारे पास जो समय है वह उतना का उतना ही है। और आज का युवा वर्ग इसी दुविधा में है। युवा वर्ग यह चाहता है कि उनके सामने जितने किस्म के अनुभव उपलब्ध हो, वह सब का फायदा उठा सकें, जो की उन्हें मिलना भी चाहिए, लेकिन जैसे जैसे दुनिया का दायर बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे हमारे ऊपर खुद को कुछ खास विषयों के संकरे दायरे में सीमित कर लेना पड़ रहा है। डॉक्टर कलाम का सपना है कि संसार के हर युवा को संसार के वह सारे अनुभव मिल सकें जिनकी उन्हें चाह हो। लेकिन इसे कैसे संभव बनाया जा सकता है ?
इसे संभव बनाने के दो तरीकें है। एक तो यह कि हम कुछ ऐसा करें कि हमारे पास जो समय उपलब्ध है, उसे हम बढ़ा सकें। दूसरा यह कि हमारे पास जो समय है उतने ही समय में जितना काम कर सकतें है, जीतना कुछ हासिल कर सकतें है उसकी मात्रा बढ़ा दें। इन दोनों जीवन लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाये, यह समझ लेने से दूसरी हर चीज़ तक पहूँचने के दरवाज़े खुद ब ख़ुद खुल जायेंगें। यही वह लंबी छलांग है जिसका मानवता को अब तक इंतज़ार था, और जो हमें विकास क्रम के अगले चरण तक पहुँचा सकती है। तो हम इसे कैसे अमल में लाएं ? हम आप को दो सुझाव देतें है- पहले तो सीधे सरल ढंग से पाक साफ जिंदगी जीयें, जिससे कि बुढ़ापे तक तक सेहतमंद रहा सकें। उम्र बीतने के साथ शरीर पर उम्र के असर के साथ कई तरह की बुढ़ापे से जुडी बीमारियाँ घेरने लगती हैं। लेकिन समझने वाली अहम बात यह है कि इनमे से हर एक बीमारी को शरीर पर पकड़ बनाने के लिए दसियों साल लग जातें हैं, और अक्सर कम उम्र में ही इन बीमारियों के बीज पड़ जातें है। इसलिए यही वह समय है जब हमें सेहत मंद रहने की मुहिम छेड़ देनी चाहिए। हर युवा को स्वास्थ्य वर्धक भोजन करना चाहिए, स्वस्थ जीवन शैली अपनानी चाहिये और स्वस्थ विचार रखना चाहिए। आप का जीवन ईश्वर का उपहार है, और दुनिया की कोई दौलत कभी भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता, इसलिए उसे किसी किस्म की लत और बुरी आदतों के चलते क्यों मुरझाने दें। अच्छी सेहत बना कर रखें, बुरी आदतों से दूर रहें, अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और हुनरमन्द बनें। सुयोग्य और सक्षम लोगों के लिए कितने ही अवसर उपलब्ध हैं, इसलिए पूरे जोश से आगे बढ़ कर उनका लाभ उठायें।
दूसरे, अपने जीवन के लिए खुद जिम्मेदार बनें। शुरुआत अपने माता पिता का ध्यान रखने से करें। इस्लाम में ईश्वर पर भरोसा करने के बाद जिस बात को सबसे ज्यादा अहमियत दी गयी है, वह है अपने माता पिता को चाहना और उनका ध्यान रखना। मोहम्मद साहब ने अपने शब्दों में कहा था -" तुम्हारी माँ के कदमों में जन्नत है।" इस बात के अलग अलग लोगों ने मायने यही निकले हैं, अपने बच्चों को वह तमाम महजबी बातें और नेक चाल चलन सिखाने की जिम्मेदारी माँ की होती है। जिससे स्वर्ग की प्राप्ति होती है, या फिर इसका मतलब यह भी हो सकता है ताउम्र अपनी माँ की ख़िदमत करने से हमें जन्नत नसीब होता है। दोनों हो तरह से यही जाहिर होता है की मजहब में माँओं के लिये अदब और इज्जत के साथ कितनी अहमियत दी गयी है। एक बार आप उठ कर अपनी जिंदगी और माता पिता के लिए अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग हो जातें है तो सारी कायनात आप का हाथ देने के लिए जुट जाती है। इस मामूली से लगने वाले , लेकिन गहरे सच को लेकर मन में कोई शक नहीं होना चाहिए।
जो भी हो, महज ज्यादा वक्त मिल जाना और अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियाँ निभाना ही अपने आप में काफी नहीं है। आज तो असंख्य नए अवसर और संभावनाएं हमारे सामने हैं। उनका फायदा उठाने के लिए आप को दो चीजों की जरूरत है - आस्था और संकल्प। आस्था और संकल्प दो पहिये है जिनके सहारे जिंदगी में अवसरों की राह पर आसानी से आगे बढ़ सकतें हैं। उनके बिना जीवन के वास्तविक अर्थ तक कभी नहीं पहुँचा जा सकता। बिना आस्था के हम कुछ हद तक बौद्धिक ज्ञान तो प्राप्त कर सकतें हैं, लेकिन सिर्फ आस्था के बल पर ही अपने भीतर की गूढ़ गहराइयों में झांका जा सकता है।
संकल्प वह शक्ति है जो हमें तमाम निराशाओं और विघ्नों से पार पाने में मदत करती है। वही इच्छाशक्ति जुटाने में मदत करती है। जो कामयाबी का मूल आधार है। शस्त्रों और वेदों में कहा गया है कि संकल्प शक्ति का सहारा लिया जाये तो कुछ भी असम्भव नहीं है। जब संकल्पशक्ति में कोई व्यवधान नहीं होता , तो हम निश्चित रूप से इच्छित लक्ष्य प्राप्त कर लेतें है।
धैर्य एक और बहुत बड़ा नैतिक गुण है जिसे आप अंदर विकसित करने की जरूरत है। हम अपनी संकल्प शक्ति, ईमानदारी से की गयी कोशिश , धैर्य नियमितता और स्नेही स्वाभाव का हमेशा ध्यान रखना चाहिये। हमेशा हिशियार रहें ताकि नकरात्मक ताकतें अपना कब्ज़ा न जमा लें। आप को कोशिश करनी चाहिए कि जब कभी हम सभी को कोई रूकावट मिले, हम धैर्य से काम लें। जब हम अपने अचेत मन की थाह लेने जी कोशिश करेंगें तो हम को धैर्य से काम लेना पड़ेगा।
अगर हम बिना निराश हुए जुटे रहेंगे तो हमें दूर से प्रकाश आता दिखाई देगा, अज्ञानता के अन्धकार को मिटा देगा। एक समय आएगा आप वह सब जान लेंगे जो आप को जानना है।
दोस्तों, सपने खुली आँखों से देखें। जब मुश्किलें सामने आएं तो उम्मीद न छोड़ें और अपने काम में जुटे रहें। अपने भरोसे से पर अडिग रहें, चाहे आप की उम्र कुछ भी हो, आप जिंदगी की किसी भी पड़ाव पर क्यों न हों, बेहतर भविष्य के अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कभी न छोड़ें। अपनी व्यवसायिक खूबियों में और सुधार करते रहें , नए तौर तरीकों को अपनाएं, मेहनत से काम करें, और अपने चाल चलन को बढ़िया रखें। डॉ कलाम के अनुभव के अनुसार- "अनुभव जीवन में सबसे ज्यादा आन्दित करने वाले सपनों और सच्चे मन से की गयी उम्मीदों से निकल कर आतें है।" आप को जो अवसर मिलतें है, अगर आप उन्हें यूं ही नही गंवाते , हर अवसर को पूरे मन से थम लेतें है , तो आप बहुत कुछ हासिल कर सकतें है।
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