आपके पास जो भी है क्या उसके बदले में 10 लाख डॉलर लेना चाहेंगे?

हमारे जीवन में 90% चीजें सही होती है, बाकि 10% ही गलत होती हैं। अगर हम खुश रहना चाहतें है, तो हमें सिर्फ यह करना है कि हम उन 90% सही चीज़ो पर अपना ध्यान केंद्रित करें और दस प्रतिशत गलत चीजों को अनदेखा कर दें। परंतु अगर हम चिंतित, कटु और पेट अल्सर के साथ रहना चाहते है, तो  हमें सिर्फ यह करना है कि हम उन दस प्रतिशत चीज़ो पर ध्यान केंद्रित कर लें जो गलत हैं और नब्बे प्रतिशत अच्छी चीज़ों को अनदेखा कर दें।
              लेखक जॉन नैथन स्विफ्ट, अंग्रेजी साहित्य के सबसे ज्यादा निराशावादी लेखक थे। अपने पैदा होने पर वे इतने दुखी थे कि वे अपने जन्मदिन पर काले कपडे पहनते थे और उपवास रखते थे, परंतु निराशा के बावज़ूद अंग्रेजी सहित्य का परम निराशावादी लेखक ख़ुशी और सुख की स्वास्थ्यप्रद शक्तियों की सराहना करता था। उन्होंने कहा था- दुनिया में सबसे अच्छे डॉक्टर है - डॉक्टर भोजन, डॉक्टर शांति और डॉक्टर खुशदिल।
            आपको और मुझे डॉक्टर खुशदिल की सेवाएं 24 घण्टे मुफ्त मिल सकती हैं, बशर्ते हम अपना ध्यान अपनी विश्वसनीय नियामतों पर केंदित करें। ऐसी नियामतें, जो अलीबाबा के वैभवशाली ख़जाने से भी ज्यादा कीमती है। क्या आप एक बिलियन डॉलर के लिए अपनी दोनों आँखें बेचेंगे? आप अपने दोनों पैरों के बदले क्या लेंगें? अपने हाथों के बदले में? अपनी सुनने की शक्ति के बदले में ? अपने बच्चों ? अपने परिवार के बदले में?  अपनी संपत्तियों को जोड़े, आप पाएंगे कि आप अपने पास की चीज़े, रॉक फेलर, फोर्ड और मॉर्गन की इकट्ठी दौलत के बदले में भी नही बेचेंगे। परंतु क्या हमें इसका मोल समझ में आता है? नहीं। एक महान दार्शनिक ने कहा है -"हम हमेशा इस बारे में सोचते है कि हमारे पास क्या नहीं है। हम इस बारे में बहुत कम सोचते हैं कि हमारे पास कितना कुछ है।" हाँ, हमारी यही प्रवृत्ति  दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी है कि "हम हमेशा इस बारे में सोचते हैं कि हमारे पास क्या नहीं है? हम इस बारे में बहुत कम सोचते हैं कि हमारे पास कितना कुछ है। इस प्रवृत्ति ने शायद सभी युद्धों और बिमारियों से अधिक दुख दिया है। ईश्वर को धन्यवाद दीजिये, क्यों की आप प्रकृति देख सकते हैं, बुलबुलों में धनुष देख सकते है,पक्षियों की चंचलता, उन्हें उड़ते हुए देख सकतें है। आपको मुझे इस बात पर शर्म आना चाहिये। 
               हम इतनी सुन्दर दुनिया में इतने सालों से रह रहें है, परंतु हम इतने अंधे हैं कि इस सुंदरता को नही देख पाते, हम इतने मूर्ख है कि इसका आनंद नहीं ले पाते।
     इसलिए दोस्तों हमेशा अपनी नियामतें गिनें, अपने कष्ट नहीं।
   

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