नेकी की राह

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  हम एक ऐसे युग में जी रहें है, जहां कई लोग मानते ही नहीं कि वे जो कुछ करतें है, उसका कोई नैतिक पहलू भी होता है। उन्हें लगता है कि उनके किये किसी काम से सिर्फ सामाजिक या आर्थिक नतीजे आ सकतें है। लोगों की सामान्य सोच यह है कि दुनिया में सही या गलत कोई चीज नहीं होती और हम परिस्थितियों के ग़ुलाम हैं। इसलिए हमें वही करना चाहिए , जो परिस्थितियों के अनुकूल हो। हम सब ने कभी न कभी यह बात अवश्य सुनी होगी -"ठीक है आप अपने ढंग से काम करें।" हम में से कई लोग ऐसे भी है, जो इस तरह से जी रहें हैं, अपनी इच्छा से काम करते हुए।


          इसलिए इस प्रश्न से कोई हैरानी नहीं हुई। लेकिन इक बात बता दूं, इससे बेहतर तरीका हम सभी के पास मौजूद है, और वह तरीका है एक नेक जीवन जीने का।

"कोई भी एहसास आपकी आत्मा को इतना आनन्द और इतनी ख़ुशी प्रदान नहीं कर सकता जितना उस बात को जान लेने कि नेक जीवन जीने के लिये आप जितना प्रयास कर सकतें है, आप वह कर रहें हैं।" - विलियम आर.

          नेकी में बहुत सादगी है, बहुत सरलता है। जिंदगी में हम जिस किसी भी स्थिति का सामना करतें हैं। उससे हम सही कदम उठा सकतें है या ग़लत कदम उठा सकतें हैं। अगर हम सही कदम उठातें हैं, तो हम दरअसल नेकी के कामों के सिद्धान्त के अनुसार अपने काम को अंजाम देतें है, जिसमें ईश्वर की दी हुई शक्ति भी शामिल होती है और यदि हम ग़लत कदम उठातें हैं तो उस स्थिति में हम पूर्णतया अकेले होते है। कोई हमारे साथ नहीं होता और ऐसे में असफलता हमारी नियति बन जाती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि हम यह कैसे जानें कि क्या सही है और क्या गलत है। ऐसे में हम प्रार्थना का सहारा लेतें है, जिसकी रचना एक ऐसे प्रणाली के रूप में की गयी है, जिसकी सहायता से हम इंसान के मन में सच्चाई की अवधारणा पहुंचातें हैं। ईश्वर हमारे अन्तः करण , रूह या आत्मा के माध्यम से हमारे मन को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है। वह हमें ऐसी स्पष्ठता देता है, जिससे हम सत्य की अवधारणाओं को समझने की शक्ति प्राप्त करतें है। इस तरीके से ईश्वर हमें गलत कार्यों के उदाहरण से सही कार्य करने की शिक्षा देता है। यदि हम ईश्वर के तरिकों को सीखने और उन तरीकों\ को पालन करने के इच्छुक होतें हैं, तो हमें सही और गलत के बीच के अंतर को जानने के लिए अनुमानों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। बल्कि हमें निश्चित रूप से इनके अंतर का स्वतः ही ज्ञान हो जायेगा।
          हम में से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की अपनी विशिष्ठ स्थितियाँ होती हैं, जिनके साथ वह जीता है। हमारे जीवन में स्वास्थ्य, धन, शिक्षा , कुँवारेपन, अकेलेपन उत्पीड़न दुर्व्यवहार स्थापित नैतिक मूल्यों के उल्लंघन जैसी कई चुनौतियाँ है, और ऐसी परिस्थितियों का एक अंतहीन सिलसिला है, जिसका सामना हमें करना पड़ रहा है। इन सभी चुनौतियों का बस एक ही समाधान है - और वह है नेकी। नेकी में आस्था और आशा की पूर्ति निहित होती है। ईश्वर का प्रत्येक आशीर्वाद जिसे ईश्वर अपने नियमों और आज्ञाओं का पालन करने पर अपने बच्चों को प्रदान करता है, अत्यंत महत्व रखता है। यही आशीर्वाद हमें नेक इंसान बनाता है और इसी नेकी के बल पर हम ईश्वर के आशीर्वाद को प्राप्त करने पात्र बन जातें हैं।
ईश्वर परोपकारी है, उसकी इसी कृपा से हमें पश्चाताप का सिद्धान्त मिलता है, यानि एक अवसर। जब कबि हम ईश्वर के नियमों और उनकी आज्ञाओं का उलंघन करतें है। तो हमारे सामने पश्चाताप का एक विकल्प खुला होता है। यदि हम इस अदभुत नियम पर अमल करतें है, तो ईश्वर हमें हमारी अवज्ञाओं के लिए क्षमा कर देता है, और हम पहले से कहीं ज्यादा नेक बन जातें है। इस प्रकार पश्चाताप हमें नेकी के मार्ग पर ले आता है। दरअसल नैतिकता के सम्बन्ध में जो चुनौतियाँ हमारे सामने आती है, उसका समाधान पश्चाताप में छिपा होता है, जिसकी रणनीति होती है नेकी में। विश्व के सभी धर्म हमें इसी बुनियादी सत्य की शिक्षा देतें हैं।
          नेकी के साथ जीवन जीने की कोशिश में बहुत आनंद और सुख है। सरल शब्दों में कहें तो अपने बच्चों के लिये ईश्वर का यही यत्न होता है कि वे इस धरती पर आएं और ईश्वर के नियमों का पालन करते हुए जीवन जीना सीखने के लिए जो कुछ कर सकते हैं, वह अब करें। इससे आतंरिक शांति व सुख मिलता है, यह जान कर कि हम जो कर सकतें हैं वह करने से हमारे द्वारा ईश्वर की इच्छा पूरी होगी। कोई भी यह अहसास आप की आत्मा को इतना आनंद और इतनी ख़ुशी नहीँ दे सकता, जितना यह अहसास कि नेकी के साथ जीने के लिये आप जितना कुछ कर सकतें है, वह कर रहें हैं।
          एक ऐसी दुनिया में जहां स्थापित मूल्यों की अवहेलना, भ्रष्टाचार और आतंकवाद, पुरुषों और महिलाओं में डर पैदा कर देतें है, वहाँ हम अपने बचाव और सुरक्षा के लिए कहाँ जा सकतें है ? क्या कर सकतें है ? नेकी के अलावा और कहीं बचाव और और सुरक्षा नहीं है। इनसे डर कर छिपने का कोई स्थान नहीं है। ऐसी कोई दीवार नहीं है, जो विरोधियो और विरोध में किये गए उनके कार्यों को बाहर रख सके। नेकी को छोड़ कर कोई अन्य चीज़ अनिश्चित और अज्ञात से आपकी रक्षा नहीं कर सकती। जब हम यह समझ लेंगे कि सही और नेक कर्म करने से ही ईश्वर की संरचना के सही नियम के मुताबिक चल रहें है तभी हमारे मन में डर की जगह शांति का वास होगा। क्यों की सही और नेक काम करने से ही हम ईश्वर से अपने को जोड़तें हैं।
          किसी गलत काम को करने का कोई सही तरीका नहीं होता। नेकी न केवल अन्य सभी तरीकों से बेहतर है, बल्कि यही एक मात्र तरीका है। नेकी में इतनी शक्ति है कि वह हमें आनंद और सुख देती है, और ऐसी सुरक्षा दे सकती है, जिसकी मनुष्य जीवन भर इच्छा करता रहता है और उसे पीढ़ी दर पीढ़ी तलाशता रहा है। यह वास्तव में बहुत सीधा-साधा सा समाधान प्रतीत होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इसे पाना बहुत कठिन है क्यों की शैतान इस धरती पर हर जगह मौजूद है और वह लोगों को हमेशा धोखा देता रहता है। नेकी के रास्ते का अवरोध है। लेकिन सच यह है कि इस दुनिया में सही और गलत दोनों का वजूद है, और हमारे किये हर नैतिक काम के परिणाम निश्चित रूप से सामने आतें है।
          नवीन जीव विज्ञान विषयक अपनी अभूतपूर्व पुस्तक 'द बायोलॉजी ऑफ़ बिलीफ' में ब्रूस लिप्टर ने विस्तार से समझाया है कि विशाल स्तनधारी जीवों के मनुष्य के रूप में परिवर्तित होने की विकास प्रकिया में 'आत्म-चेतना' नाम की नई चेतना का जन्म हुआ है। हालाँकि हमारा अवचेतन मन अपना रास्ता खुद ही तलाशता है, लेकिन हमारी चेतनाएं हमारे ही निंयत्रण में रहती है। अवचेतन मन बहुत ही शक्तिशाली सूचना संसाधक यानि की 'इनफार्मेशन प्रोसेसर' है। यह अपने आस पास की दुनिया तथा शरीर की आतंरिक चेतना दोनों पर ग़ौर करता है। चैतन्य मन के साथ ताल मेल बैठता है। यह सब चैतन्य मन की मदद देखरेख और यहां तक की उसकी जानकारी के बिना कर लेता है। जरूरत है तो केवल अपने अवचेतन मन को मजबूत बनाने, उसके संपर्क में रहने और उसका अनुशरण करने की। प्रार्थना के जरिये ऐसा किया जा सकता है। आधुनिक परिचर्या के क्षेत्र की अग्र दूत फ्लोरेंस नाईटेंगेल ने लिखा है, "अक्सर जब लोग चेतना विहीन लगतें है तब प्रार्थना के बोल उन तक पहूँच जातें हैं।" प्रार्थना में हमें हमारे अवचेतन मन से और अधिक गहराइयों से जोड़ने की शक्ति होती है और जब हम अवचेतन मन के दिखलाये मार्ग का अनुशरण करतें है, तब हम नेकी की राह पर होतें है।

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