डाकू और मकड़ी

प्राचीन समय की बात थी। एक बहुत ही भयानक दिखने वाला डाकू, सुमसान से वन में रहता था। वह रोज-रोज वहां से गुजरने वाले राहगीरों को लूटता था, और उसे दूसरे की जान लेने में, उसे बहुत मज़ा आता था। 

वहाँ से गुजरने वाले लोगों के अंदर, उसका बहुत खौफ़ था। समय के साथ वह बूढा हुआ, और पाताल को प्राप्त हुआ। उसके जाने से लोगों में अत्यंत प्रसन्नता की लहर  दौड़ गयी। अब सब खुशियाँ मनाते थे, और प्रेम के साथ रहते थे।
          उसके कर्मों के कारण उसे पाताल की प्राप्ति हुई पाताल में जाकर उसने देखा, चारों तरफ अँधेरा था। वहां जाकर, उसका दम घुटने लगा था, उसे काफी कष्ट सहना पड़ता था। एक दिन की बात है, वह बहुत ही दुखी मन से बैठा तथा तभी, एक महात्मा बुद्ध की दिव्य ज्योति प्रकट होती हुई। उसे देख कर, उस डाकू को बहुत ही राहत मिली। महात्मा बुद्ध प्रकट हुए और उन्होंने उसे पाताल की प्राप्ति होने का कारण बताया। उन्होंने उसके सभी बुरे कर्मों को गलत बताते हुए कहा - "यदि आपने अपने जीवन में एक भी अच्छा कार्य किया है, तो बताइये? मैं आप को यहां से मुक्त कर दूँगा । बहुत सोचने के बाद, डाकू को एक बात याद आई कि, वह एक बार जंगल में जा रहा था, तो रास्ते में एक मकड़ी आई थी तो उसने उसे नही मारा था और उसे उठा कर किनारे कर दिया था। ऐसा सुन कर महात्मा बुद्ध ने कहा-"अभी ऊपर से एक धागा आएगा, जो स्वर्ग की ओर जाता है आप उसके माध्यम से स्वर्ग चले जायेंगे।" इतना कह कर महात्मा बुद्ध अंतर्ध्यान हो गए। 
          थोड़ी ही देर बाद ऊपर से एक रेशम का डोर आती दिखी। डाकू उसे देख कर प्रसन्न ही गया। अब देख कर यह सोचने लगा कि, यह मजबूत तो होगा ही नही मैं इस पर कैसे चढ़ पाऊंगा?  काफी देर सोचने के बाद उसने चढ़ने का अपना पहला प्रयास किया और वह सफल रहा अब वह ऊपर की ओर लगातार चढ़ता गया, कुछ ऊपर चढ़ने के बाद उसे देखा उस डोर पर पहले से ही कई लोग चढ़े जा रहे है। यह सब देख कर वह जोर से चिल्लाया- अरे! तुम सब मत चढ़ो, यह टूट जायेगा, यह डोर बहुत कमजोर है। इतना कहते ही वह डोरी टूट गयी, और सब वापस पाताल में आ गए।
          दोस्तों, हम सभी जो भी करतें है, अच्छा या बुरा इन सभी कर्मो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हम सभी के जीवन और आस पास के सभी लोगों के जीवन में प्रभाव पड़ता है। यदि हम अच्छा करते है तो निःसंदेह , हम दूसरों का भी भला करतें है। अच्छा होना अच्छी बात है, परन्तु अच्छा करना, उससे भी अच्छी बात है। नेक इंसान बन कर, सभी के विकास में सहभागी बनें।

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