भ्रष्टाचार मुक्त साम्राज्य


"भ्रष्टाचार की अपनी कई वजह है, जिनका अच्छी तरह से अध्य्ययन किया जाना चाहिये और उस आधार को ख़त्म कर देना चाहिए जिस पर भ्रष्टाचार  टिका होता है। भ्रष्टाचार का जन्म इस भावना से होता है कि आप मुझे क्या दे सकतें है? इस सोच को उचित शिक्षा और पारिवारिक परंपरा के जरिये मैं आप को क्या दे सकता हूँ ? में बदल दिया जाना चाहिए।"- डॉ कलाम

          जिस देश में महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और कामराज जैसी विभूतियों ने जन्म लिया और जिन्होंने जीवन मूल्यों पर आधारित जीवन जिया,  उसी देश को अब बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आज कल भ्रष्टाचार जैसी बुराईयों को हर तरफ देखा जा सकता है, वह हर जगह मौजूद है। जब हम सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की बात करतें है तो हम दरअसल राजनीति, राज्य सरकारों, केंद्रीय सरकार. व्यापार और उद्योग में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करतें हैं। अधिकांश सरकारी कार्यालयों में जनता से जुड़े कार्यों के काउंटरों पर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार दिखाई देता है। यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य के लिए घूस नहीं देता, तो निश्चित है कि उसका कार्य किसी कीमत पर नहीं होगा। 
          लोगों के अंदर पैसे की कभी न ख़त्म होने वाली एक भूख पैदा हो चुकी है, और इस भूख को मिटाने के लिए वे किसी स्तर पर जाने को तैयार है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे सैद्धान्तिक रूप से नैतिकता और मूल्यों पर आधारित जीवन के महत्व की बात करतें है, लेकिन वास्तव में यह उनका एक दिखावटी रूप है। उनके अंदर की आवाज़ कुछ और ही कहती है। हमेशा पैसों के लिए हाय तौबा मची रहती है। अक्सर यह भी देखने में आया है कि जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले देखने में नियुक्ति किया जाता है, वे स्वयं ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जातें है। हमारे नेता भी इसी मामले में किसी से कम नहीं है। इस प्रकार भ्रष्टाचार का यह जाल लगातार फैलता चला जा रहा है, और यह बेरोकटोक आगे बढ़ता रहता है।
          यदि हम भ्रष्टाचार के कारणों पर नज़र डालें तो इनमे हमारे यहाँ लागू जरूरत से ज्यादा नियम क़ानून जटिल कर और लाइसेंसिंग प्रणालियाँ, सरकारी विभागों में पारदर्शीताविहीन नौकरशाही और स्वैच्छिक शक्तियां, कुछ चीज़ो और सेवाओं पर सरकार द्वारा निंयत्रित संस्थानों का एकाधिकार और पारदर्शी कानूनों और प्रक्रियाओं की कमी शामिल है।
          हम सभी जानते है कि अपराधियों में किसी प्रकार की नैतिकता नहीं होती है, इसलिए उनमे किसी अच्छे काम की अपेक्षा करना व्यर्थ है। लेकिन पुलिस को क़ानून व व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है, किन्तु उनमे से भी कुछ पुलिस वाले भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जातें है। इसका कारण है कि उन्हें असीमित शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं और उनके विरुद्ध कोई शिकायत मिलती है और उनके द्वारा अपने पद के दुरूपयोग करने नृशंसता बरतने के पर्याप्त प्रमाण होते भी हैं, फिर भी उनके विरुद्ध अक्सर कोई करवाई नहीं की जाती। 
          भ्रष्टाचार पर आधारित धन अर्जित करने और सम्पत्ति के वितरण की व्यवस्था ऐसे किसी कोशिश को बढ़ावा नहीं देती जिससे सचमुच धन दौलत पैदा की जा सके। इसके बजाए घूसखोरी और दूसरे तरीकों से उन भ्रष्ट लोगों को प्रभावित करने में सारी ताकत झोक दी जाती है, जिनके हाथ में फैसले लेने का अधिकार होता है। इससे न सिर्फ संपत्ति में व्यक्तिगत निवेश करने के निर्णय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है बल्कि इसका असर इससे भी कहीं ज्यादा होता है।
         भ्रष्टाचार से ( सम्भवतः भूमि, खनिज, टेलिकॉम स्पेक्ट्रम या किन्ही अन्य परिसंपत्तियों  से सम्बंधित ) अधिकारों के अनुचित आवंटन को बढ़ावा मिलता है। ऐसी व्यवस्था में जिन व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है, वे आम तौर पर वही होते है जो सबसे ज्यादा भ्रष्ट और घूस लेने में सक्षम होतें है, न कि इसलिए कि वह आवंटित परिसंपत्तियों का उपयोग करने में सक्षम होतें है। इस प्रकार संसाधनों का दूरूपयोग होता है और परिणाम जो होना चहिये उससे कहीं कम होता है इस प्रकार नुकसान पूरे देश को भुगतना पड़ता है।
          भ्रष्टाचार का आधार - ज़रूरत भी हो सकता है और लालच भी। बेहतर शासन व्यवस्था से स्पष्ठ नीतियों और प्रक्रियाओं से अपनी परियोजना और व्यवसाय के लिए अनापत्ति और मंजूरी लेने व नवीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी और सुव्यवस्थित हो जायेगी। इससे कम से कम भ्रष्टाचार पर नियत्रित रखने में सहायता मिल सकती है। बेहतर शासन व्यवस्था से लालच पर आधारित भ्रष्टाचार को भी काबू में किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि बेहतर शासन व्यवस्था वाले देश में भ्रष्ट लोगों को बहुत ही कारगर ढंग से व् शीघ्र दंड दिया जा सकेगा। 
इस समूची स्थिति में सुधार लाने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाया जाना ज़रूरी है। सरकारी कर्मचारियों के लिये अपनी संपत्तियों की घोषणा करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिये और भ्रष्टाचार पर निंयत्रण रखने के लिए नियमित जाँच करने के साथ साथ नियमित अंतराल पर निरीक्षण किया जाना चाहिये और छापे मारे जाने चाहिए।
          हालांकि भ्रष्टाचार पर निंयत्रण पाना बेहद कठिन प्रतीत होता है लेकिन यह असंभव नहीं। यह न केवल सरकार की जिम्मेदारी है बल्कि उत्तरदायित्व भी है। कई देशों ने व्यवस्था में हर और फैले भ्रष्टाचार को एक ऐसे समाज में बदल डालने में सफलता पायी है जहाँ ईमानदारी और मेहनत को बढावा मिलता है।
          यदि हम भ्रष्टाचार को जड़ समेत उखाड़ फेकना चाहतें हैं तो हमें मिलकर प्रयास करने चाहिए। इसके लिए हमें कुछ सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए, जिससे की हम आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर सकें। हमें भ्रष्टाचार से पूर्णतया मुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रतिज्ञा लेनी चाहिए। एक मनुष्य के रूप में यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
          भ्रष्टाचार को ख़त्म करने की ताकत हमारे देश के युवा वर्ग के पास है। नौजवान समाज में अच्छी आदतों क पक्ष ले कर परिवर्तन ला सकते हैं। यदि प्रत्येक घर में बच्चे अपने माता पिता को घूस लेने या प्रदान करने से रोक सकें तो हमारा समाज शीघ्र ही भ्रष्टाचार से मुक्त समाज बन सकता है। भ्रष्टाचार की शुरुआत सबसे पहले परिवार से होती है। इसलिए समाज को साफ करने के आंदोलन की शुरुआत भी हमारे परिवार से ही होनी चाहिए। एक अच्छा पारिवारिक वातावरण और हाल ही में संसद में स्वीकृत लोकपाल विधेयक भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में मददगार साबित होंगे।

   

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