गुणों की मल्लिका - कृतज्ञता

कृतज्ञता हमें हमसे बाहर लाती है, जहाँ हम खुद को कहीं बड़े और जटिल इंटरनेट के एक हिस्से एक रूप में देख पाते है।- रॉबर्ट एमन्स

          इन दिनों कृतज्ञता, नैतिक व्यवहार का हिस्सा नहीँ रह गयी है और इसी कारण सामूहिक रूप से हम बहुत दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति में पहुँच गए है। रोमन दार्शनिक सिसरो ये यह कहा था कि- कृतज्ञता सभी गुणों की देवी है, तो निश्चित रूप से उनके कहने का अर्थ यह कदापि नही था कि कृतज्ञता अपने निजी सुख की ओर किया गया एक प्रयास है। कृतज्ञता नैतिक रूप से एक जटिल प्रवृत्ति है, और इस गुण को अपना मूड सुधारने के लिए या खुश होने की भावना को महसूस करने के लिए एक तकनीकी या रणनीति में परिवर्तित कर देना भी उचित नहीं होगा। 

विचारों के इतिहास में कृतज्ञता को एक क्रिया माना जाता है। उदाहरणार्थ किसी की कृपा का उत्तर देंना, न केवल अपने आप में एक सद्गुण है, अपितु यह समाज के लिए भी बहुमूल्य है। किसी को प्रत्युत्तर देना अच्छी बात है। सिसर ने कहा था दयालुता के बदले में दयालुता दिखना आवश्यक है। और सेनेका का कहना था जो व्यक्ति कोई लाभ प्राप्त करते हुए आभार जताता है तो वास्तव में अपने ऋण की पहली क़िस्त का भुगतान करता है। समय के साथ कृतघ्नता को गम्भीर अवगुण के रूप में देखा जाने लगा है। वास्तव में कृतज्ञता जितना बड़ा गुण है कृतघ्नता उससे कही ज्यादा बड़ा अवगुण है। जर्मन दार्शनिक मैनुअल कैंट ने लिखा था कि कृतघ्नता, दुष्टता का मूल है। स्कॉटिक दार्शनिक डेविड ह्यूम का विचार था कि कृतघ्नता किसी व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला सबसे अप्राकृतिक और जघन्य अपराध है।

           कृतज्ञता ख़ुशी के लिए अत्यंत महत्व रखती है, क्योकि यह ख़ुशी प्रदान करती है। ब्रूस लिप्टन ने अपनी पुस्तक बायोलॉजी ऑफ़ बिलिव में कृतज्ञता और ख़ुशी के बीच के सम्बन्ध को दर्शाया है। उन्होंने प्रमाणों के आधार पर लिखा कि बचपन से लेकर बुढ़ापे तक मनोवैज्ञानिक शारीरिक और सम्बन्धपरक लाभों की व्यापक श्रृंखला का सम्बन्ध कृतज्ञता से होता है। कृतजयता न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योकि इसकी वजह से लोग अच्छा महसूस करतें है, बल्कि इससे हमें अच्छे काम करने की प्रेरणा मिलती है। कृतज्ञता इंसान को स्वस्थ करती है। उसे ऊर्जा प्रदान करती है, और कई मायनो में इस धरणा के साथ लोगों को बदल कर रख देती है कि- सदगूण अपने आप में एक पुरस्कार है और इससे अन्य पुरस्कार भी पैदा होतें है। 

          किसी व्यक्ति के स्वाभाव का अंग बन चुकी कृतज्ञता का सम्बन्ध सकारात्मक गुणों जैसे- सहानुभूति, क्षमा और दूसरों की मदद करने की इच्छा से है। उदाहरण के लिए जिन लोगों के पास कृतज्ञता स्वभाव में है, वे अपने कार्य स्थल पर सौहार्दपूर्ण व्यवहार प्रदर्शित करतें है, और अपने मित्रों को भावनात्मक सहारा देतें है। इस विषय पर कई अध्ययन किये गए है, और पाया गया है कि- जो लोग कृतज्ञता प्रकट करते है। उन्हें ज्यादा मददगार ज्यादा मिलानसार ज्यादा उम्मीदों से भरा माना जाता है। 
          मोटे तौर पर कृतज्ञता ऐसा धागा है, जो सरे समाज को एक सूत्र में बाधे रखता है। कोई व्यक्ति कृतज्ञता के बिना मानव सम्बन्धों की कल्पना मात्र कर सकता है। समाज तभी फलता फूलता है जब कृतज्ञता को इसकी नैतिक पूँजी के तौर मूलभूत घटक के तौर पर लिया जाता है। कृतज्ञता आपसी सम्बन्ध में पैदा होने वाली बिगाड़ के विरुद्ध एक सुरक्षा दीवार है। मित्रता और शिष्टता में भी इसका सकारात्मक योगदान रहता है। कृतज्ञता, ज़हर भरी भावनाओं कम करती है और समाज विरोधी आवेगों और एक दूसरे को नुकसान पहुँचाने वाले बर्ताव को रोकती है।
कृतज्ञता के लिए कठिन प्रयास करने की जरूरत होती है। यही भावना इतनी इतनी आसानी से या अपने आप से नही आती है, इसके लिए कृतज्ञता पूर्ण होने की सोच और वैसा की व्यवहार अक्सर सैद्धातिक अवधारणाएं बन कर रह जाती है। इन सैद्धातिक अवधारणाओं को व्यावहारिक अमल में लाने केे लिए पूरी इच्छा शक्ति और सोच विचार के साथ की गयी कोशिश की जरूरत होती है। ऐसे सामाजिक टीकाकारों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनका मानना है कि आधुनिक युग में लोगों में कृतज्ञता जैसे गुणों की कमी होती जा रही है और इतिहास को देखें तो शायद पहले के दौर के मुकाबले अब हम कृतज्ञता की भावना से दूर होते जा रहें है।
          आज मानवीय संबंधो में कृतज्ञता की भावना का निरंतर ह्यास हो रहा है और यह बात हमारी संस्कृति के भीतर एक महामारी का रूप ले रही है। जहाँ हम अपने कर्तव्यों और दायित्वों की तुलना में अपनी पात्रता और अधिकारों को प्राथमिकता दे रहें है।
          ऐसी स्थिति में आश्चर्य नही होना चाहिये कि यदि आज माता पिता के मन में अपने बच्चों के लिए सबसे बड़ा डर है- हताश और असंतोष का, जो बच्चों में तब उत्पन्न होते है जब वे समझतें है कि जिंदगी से उम्मीदें रखने का उन्हें हक़ है, लेकिन वे उम्मीदें पूरी नहीँ हो पाती।

सही मायनो में कृतज्ञता का वास्ता बातोँ को याद रखने से है इसलिए जब भी समय हो आप अपने आदरणीय या श्रद्धेय से जरूर मिले। यदि वर्त्तमान समय में कृतज्ञता का कोई संकट है, तो वह इसलिए है, क्योकि आज हम सामूहिक रूप से चीज़ो को भूल गए है। हम अपने जीवन में जिस स्वतंत्रता का आनंद उठा रहें है, उसके प्रति हमारे अंदर कृतज्ञता की भावना  समाप्त हो चुकी है, जिन महान हस्तियों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने जीवन की आहुति दे दी, हमारे भीतर उनके प्रति कृतज्ञता का अभाव है। आज हम जितनी भी चीज़ो से भौतिक लाभ प्राप्त कर रहें है, उन सब के लिये हमारे ह्रदय में कृतज्ञता जैसी कोई भावना नहीं है। जबकि दूसरी ओर कृतज्ञ व्यक्तियों ने अपने मन में दूसरों द्वारा उन पर दर्शायी गयी दया की सकारात्मक स्मृतियाँ सजों रखी है। कृतज्ञता मन में रखी गयी स्मृतियों से ज्यादा ह्रदय में संजोई गयी स्मृतियां है- एक ऐसा तरीका जिसे ह्रदय याद रखता है। ह्रदय में संजोई गयी स्मृतियों में उनकी स्मृति भी शामिल है जिन पर हम निर्भर है, क्योंकि हम अपनी अनिच्छा के कारण अथवा दूसरों द्वारा हमे प्रदान किये गए लाभों को याद न रख पाने के कारण इस निर्भरता को भूल गए है।
         हम इस दुनिया में एक विशिष्ठ प्राणी के रूप में आएं है, जिसे कल्पना करने की शक्ति प्रदान की गयी है। हरेक इंसान से यह उम्मीद की जाती है कि वह इस ब्रह्माण्ड के इस जीवों की एकात्मकता को समझे। संसार की प्रत्येक वस्तु एक दूसरे से जुडी हुई है और एक दूसरे को सम्बल प्रदान करती है। इस बात को महसूस किये बिना जीवन सार्थक हो ही नही सकता। हम सभी प्राणी जिस मार्ग पर चल रहें है, वह विकास का मार्ग है अर्थात हम दिन प्रति दिन हम एक बेहतर इंसान बन रहें है। इसलिए आप अपनी ओर से जीतन कुछ दे सकतें है वह देना जारी रखें क्यों कि आगे, केवल यही मार्ग है। अच्छे कार्यों के लिए अपना समय दें और जो लोग दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों के शिकंजे में जकड़े हुए है उनकी मदद करे, अगर और कुछ भी नही है तो अपनी आसपास की उपस्थिति को सम्मान दें, उन्हें अनदेखा करने की कोशिश न करें। शीघ्र ही आप महसूस करेंगे कि यदि आपके प्रयासों से अन्य लोगों में बदले में आप के प्रति कृतज्ञता पूर्ण भाव नहीं पैदा होगा तो यह वास्तव में उनकी असफलता और आप उनकी परीक्षा लेने के एक माध्यम के रूप में कार्य कर रहें है।


टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 28 नवम्बर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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