डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के प्रेरक कथन






  • आत्मविश्वास के चार सोपान -
  •     अपना लक्ष्य निर्धारित करें
  •     लक्ष्य की दिशा में कदम उठाएं
  •     तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ते जाएँ 
  •     काम काम और काम करते जाएँ



  • मैं चाहता हूँ कि हर एक युवा की जिंदगी में दो सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य जरूर हो, एक तो यह की वह कुछ ऐसा करे कि उसके पास उपलब्ध समय बढ़ जाये। दूसरा यह कि उसके पास जो समय है, वह उतने ही समय में ज्यादा से ज्यादा काम करके अधिक से अधिक उपलब्धियाँ हासिल करें।



  • संकल्प वह शक्ति है, जो हमें तमाम निराशाओं और विघ्नों से पार करने में मदद करती है। वह इच्छाशक्ति जुटाने में भी हमारी मदद करती है, जो कामयाबी का आधार है।



  • आस्था और संकल्प। जिंदगी में तमाम अवसर इन दो पहियों के बीच से निकलतें हैं।












  • असफलता के बिना सफलता का कोई वजूद नहीं। असफलता बीच बीच में आने वाला अवरोध है। सफलता मंजिल है।



  • जब कभी जीवन में कष्टों से हमारा सामना हो, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कष्ट के नकारात्मक लगने वाले ऊपरी स्तर के नीचे विकास और गहराई तक उतरने की संभावनाएं छुपी रहती हैं।



  • जिस कठिन परिस्थिति का, आप सामना कर रहें हैं, उसे अपनी आध्यात्मिकता का रस लेने और जीवन में कुछ सार्थक कर पाने की नींव के तौर पर इस्तेमाल करें।









  • डर लगने पर भी अपना काम करना चाहिए।
  • आप की सृजनता के पीछे आप का जूनून है।
  • कठिनाइयों के दौर में भी डांटें रहिये।
  • जो सही है उसका पक्ष लीजिये।
  • जान पहचान का मोह छोड़ कर अपना दायर बढ़ाइये।
  • गरिमा और भरोसे के साथ कष्ट सहने की हिम्मत रखिये।



  • साहस दूसरी तमाम अच्छाइयों से ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्यों कि बिना साहस के आप दूसरी अच्छाइयों पर अमल नहीं कर सकते।



  • हमारे अंदर प्रतिक्रिया करने के बजाय अपनी ओर से उचित कदम उठाने का साहस होना चाहिए।



  • जिसके अंदर किनारे को आँखों से ओझल हो जाने देने का साहस हो , सिर्फ वही शख्स नए महासागरों की खोज कर सकता है।



  • मुसिबतों के आगे झुके बिना अगर हम बेख़ौफ होकर उनके बीच से रास्ता बनाने का फैसला कर लें, तो तमाम रूकावटें खुद ब खुद  गायब हो जाती हैं।

  • विपत्ति हमेशा आत्मविश्लेषण के अवसर प्रदान करती है।


  • जब आप शांतिचित्त और भ्रमों से मुक्त होतें है तभी किसी कार्य को बेहतर ढंग से कर पाएं है।


  • हर ठोस वस्तु के भीतर बहुत खाली स्थान होता है और और हर स्थिर वस्तु के भीतर बहुत बड़ी हलचल होती है।


  • साहस की पाँचवी पहचान है अपनी जिंदगी के दायरे को बढ़ना और परिचित परिस्थितियों आगे बढ़कर नए रास्ते खोजना है।


  • सही का साथ देना ही साहस की पहचान है।


  • असंतोष और निराशा किसी चीज़ की कमी की वजह से नहीं होते, बल्कि दूरदर्शी न होने से होते हैं।





  • सफलता प्राप्त करने के लिए पहले आप को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में करने में कामयाबी हासिल करनी होती है।


  • अदम्य साहस की काया दो पैरों पर टिकी है, वह है पक्का इरादा और विज़न।


  • आत्मिक बल सबसे बड़ा सहारा होता है। अगर हम अपने भीतर की गहराइयों में उतर कर गहरी छानबीन करें, तो चाहें रास्ता कितना भी कठिन क्यों न लगे, हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने के लिए वह आतंरिक शक्ति जरूर ढूंढ सकते है।



  • यह ठान लेना कि विकल्प के रूप में भी असफलता का कहीं नामोंनिशां नहीं है, चमत्कारी साबित हो सकता है।





      • ख़ुशी अपनी इच्छाओं को पूरा करने से नहीं, बल्कि किसी बड़े और अच्छे उद्देश्य के प्रति ख़ुद को समर्पित कर देने से हासिल होती है।




      • कभी न रुकने वाले व्यक्ति के गुण -

            सपने देखें, तय करें और कदम बढ़ाएं


            आत्मविश्वास जगाएं


            हौसला रखें


            जब तक कामयाबी न मिले साहस बनाएं रखें


            जुटे रह कर अड़चनों को दूर करें

            मंजिल को पाने का जुनून



      • तीन ताकतें जो हमारे अंदर समायी हैं। इच्छाशक्ति, प्रवृत्तियाँ, प्रेरणा और आवेग



      •  अपने किस्मत के निर्माता आप खुद ही हैं। हरेक विचार भावना इच्छा और कर्म एक शक्ति पैदा करता है। अच्छा और बुरा हमें दोनों ही प्रभावित करतें है, और तब तक हम पर हावी रहतें है, जब तक की हम उनके बीच संतुलन नहीं पैदा कर देते।




      • सृजनशील व्यक्ति कुछ न कुछ कर गुजरने की इच्छा से प्रेरित रहता है, न की दूसरों को पोछे छोड़ने की चाह से।



      • हमारी प्रवृत्तियाँ और इच्छाशक्ति, कैची के दो फलों की तरह हैं। एक फल अपनी मर्जी करने की आजादी है, और दूसरा फल प्रेरणा और प्रवृत्ति। जब दोनों फल मिल कर चलतें है, तब कैची अपना काम करती है।




      • यह संसार जटिल बौद्धिक और आपस में एक दूसरे से जुड़े तंत्रों से भरा है, जो सभी एक दूसरे को प्रभावित करतें है, और उनके संचालन का कोई केंद्र नहीं है।



      • इंसान अच्छे और बुरे, भद्दे और सुन्दर के भेद की समझ और उनमें से एक को चुनने की क्षमता के दम पर अपनी नियति को समझ बूझ कर एक रूप देने में खुद सक्षम है।




      • हर बार हमारी सभी आकांक्षाएं पूरी हो जाएँ यह जरूरी नहीं, लेकिन अपनी चाहतों का हमारा अनुभव हमें हमेशा किसी न किसी तरह ज़रुर बदल डालता है।



      • अगर हम मेलजोल के साथ रहने की कोशिश करें, और अपनी ऊर्जा सिर्फ अपने ही नहीं, अपने आसपास वालों के लिए भी हालात सुधारने में लगाएं, तो जरूर एक सुन्दर भविष्य उभर कर सामने आएगा।




      • इंसान में व्यक्तिगत भिन्नता प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ठ अनुवांशिक सूत्र के कारण होती है।




      • शैशवकाल व बचपन के दौरान उभरने वाले मनोवैज्ञानिक गुण और व्यवहार संबंधी भिन्नताएं हमारे जीवन से सीखी गयी चीज़ो का परिणाम है।




      • सच्चाई यह है की प्रकृति और परवरिश अलग-अलग और जटिल तरीकों से एक दूसरे पर असर डालतें है, जिसका नतीजा यह है कि हम सब अपनी किस्म के अकेले होतें है, दूसरे किसी से भी बिल्कुल अलग।



      • हम में से हरेक अपने आप में विशिष्ठ है, खास है आप को अपनी इस विशिष्ठता का आनंद लेना चाहिए। आप को किसी दूसरे की तरह होने का दिखावा करने की जरूरत नहीं। अपनी विशिष्ठता को सजों कर रखें। यह एक ऐसा तोहफा है जो क़ुदरत ने सिर्फ आपको दिया है।




      • दूसरों से अलग होने की ख़ूबी आप को उपहार में मिली है, ताकि आप उसका आनंद ले सकें। दूसरोँ के काम आएं अधिक से अधिक लोगों से जुड़े।



      • जीवन में सफल होने और कुछ हासिल करने के लिए आप को तीन शक्तियों को समझना और उनमे महारत हासिल करना बहुत जरूरी है- इच्छा , विश्वास और अपेक्षा।




      • अपने पूरे छात्र जीवन में जिस बात ने मुझे पढ़ाई जारी रखने को लगातार प्रेरित किया, वह था कुछ बड़ा हासिल करने का जज़्बा, एक बेहतर जिंदगी जीने की चाह और अनुशासित जीवन शैली के लिए मेरी प्रतिबद्धता।



      • अनुशासन में रहना जिंदगी में लक्ष्य तय करने और उस तक पहुँचने के बीच किसी पुल की तरह काम करता है।

      • जैसा है, वैसा ही रहने दो या जिसे आम बोलचाल में चलता है का रवैया कहतें हैं, भारत के विकास के लिए काफी धातक सिद्ध हो रहा है।

      • युवाओं को समझौते की स्थिति को या अपनी आशाओं से कमतर किसी चीज़ को स्वीकार नहीं करना चाहिए। वह, समाज जो युवाओं ऐसी स्थितियों को स्वीकार करने पर मजबूर करता है और उनकी आकांक्षाओं पर अपने सिद्धान्तों का बोझ लाद देता है, कभी पनप नहीं सकता।

      • हम अपनी संस्कृतियों में होने वाले नित नए परिवर्तनों से निरंतर चुनौतियों का सामना करतें आ रहें है और इसी प्रक्रिया मेँ, मानवता का विकास होता है।

      • नेकी में बहुत सादगी होती है, बहुत सरलता। जिंदगी में हम जिस किसी स्थिति का सामना करतें है उसमें हमारे पास दो ही विकल्प होतें है, सही या गलत। दोनों में से कोई एक रास्ता चुन सकते हैं।

      • किसी गलत काम को करने का कोई सही तरीका नहीं होता। नेकी न केवल अन्य सभी तरीकों से बेहतर है, बल्कि यही एक मात्र तरीका है।

      • भ्रष्टाचार में कमी लाकर न केवल देश का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है बल्कि यह निरंतर विकास की अनिवार्य शर्त से कम नहीं है।

      • परिवार में ही आधारभूत मूल्यों और नैतिकता के बीज पडतें है।

      • परिवार में ही सीखने की क्षमता, आत्मविश्वास और सकारात्मक सामाजिक मेलजोल के गुण मिलतें है।

      • सुदृढ़ परिवार का आधार पा कर ही लोग समाज को बेहतर योगदान दे पातें हैं।

      • परिवार समाज की आधार भूत इकाई है और उसकी मजबूती अर्थव्यवस्था में हर तरह की बेहतरी के लिए बेहद जरूरी है।

      • हम अपने जीवन में जिस स्वतंत्रता का आनंद उठा रहें है, उसके प्रति हमारे अंदर कृतज्ञता की भावना समाप्त हो चुकी है , जिन महान हस्तियों ने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में अपने जीवन की आहुति दे दी, हमारे भीतर भी उनके प्रति भी कृतज्ञता का अभाव है।

      • कृतज्ञता की भावना न होने से मानवीय संबंधों का निरंतर ह्यास हो रहा है, और यह हमारी संस्कृति के भीतर भी एक महामारी का रूप ले रही है, जहां हम अपने कर्तव्यों और  दायित्वों की तुलना में अपनी पात्रता और अधिकारों को अधिक महत्व दे रहें हैं।

      • कृतज्ञता का सम्बन्ध इस धारणा से है कि सदगुण अपना पुरस्कार ख़ुद होतें है और इससे पुरस्कार भी पैदा होतें है।

      • कृतज्ञता मन में संजो कर रखी इन स्मृतियों से ज्यादा ह्रदय में संजोई गयी स्मृतियाँ है - एक ऐसा तरीका जिसे ह्रदय याद रखता है।



      • हालांकि देना एक कठिन चुनौती है, लेकिन तरक्की का यही एक तरीका है। दो ताकि तुम बढ़ सको।

      • देने से आपसी सहयोग और सामाजिक सम्बन्ध की भावना का विकास होता है। जब आप देतें है, तो आप को भी मिलने की संभावना पहले से ज्यादा बढ़ जाती है।

      • देने से कृतज्ञता पैदा होती है। रोजमर्रा की जिंदगी में कृतज्ञता के भाव जगाना अपने अंदर ख़ुशी के भाव बढ़ाने का अच्छा तरीका है।

      • देने की भावना हवा में सुगन्ध की तरह फैलती है। जब हम किसी को कुछ देते है। हम सिर्फ उसका ही भला नही कर रहे होते है। जिसे हम कुछ देतें है, बल्कि पानी में कंकड़ गिरने से पैदा होने वाली तरंगो की तरह इसका असर भी सारे समाज में फैलता है।

      • कला के विषयों की व्यापक शिक्षा बच्चों की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है..... हमें ऐसे विद्यार्थियों की जरूरत है जो गणित और विज्ञान की विषयों के साथ-साथ सांस्कृतिक तौर पर भी सुरक्षित हों।


      • शिक्षा के 3 उद्देश्य---
      1.      छात्रों को नौकरियों के लिए तैयार करना
      2.      छात्रों को जिम्मेदार नागरिक बनाना
      3.      छात्रों में गूढ़ सौंदर्य कि समझ पैदा करना

      • कला रचनात्मक सोच की प्रक्रिया और अनुभव को प्रत्साहित करने का एक तरीका है।

      • जब बच्चों को खुद को अभिव्यक्त करने और कला की रचना का जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो उनमे कुछ नया करने की भावना का विकास होता है, इससे समाज में विचारशील खोजी और रचनात्मक लोगों की पौध तैयार करने में सहायता मिलती है।

      • कुछ बड़ा घटने का इतंजार मत करो। जहां हो वहीं से - जो तुम्हारे पास है, उसी से शुरुआत करो। ऐसा करने से तुम्हारे सामने बेहतरी की रास्ते खुद ब खुद खुल जायेंगे।

      • अगर महिलायें पुरुषों की नक़ल कर के ही सफल हो सकती है, तो मुझे लगता है कि यह बड़े नुक़सान की बात है। उद्देश्य सिर्फ सफ़ल होना ही नहीँ होना चाहिए, बल्कि अपने नारीत्व को सजों कर रखते हुए इस तरह सफ़ल होना चाहिए कि नारी की गरिमा बढे और समाज पर उसका प्रभाव पड़े।

      • तुम्हे किसी द्वितीय श्रेणी की नक़ल करने के बजाए , खुद अपना ही प्रथम श्रेणी का प्रारूप होना चाहिये। अपने अस्तित्व के सार तत्व को खोज निकालो, क्योंकि उससे तुम जो चाहो हासिल कर सकते हो।

      • अपने आप और किसी दूसरे की बीच फर्क समझना एक भ्रम है। स्त्रियों को कम समझना तो भ्रम का सबसे बीता, गया रूप है।

      • शिक्षा महिला सशक्ति कारण की कुंजी है, और शिक्षा केवल महिलाओं के लिए भी नही बल्कि उनके लिए भी जो खुद को महिलाओं से बेहतर समझते है।

      • अजन्मी बेटियों की जान लेना जीवन के प्रति पाप है। संभवतः यह एक जिंदगी की आस और दूसरे के प्रति निराशा से ज्यादा बेदिली के साथ जीवन के महात्म को दर किनार करने जैसा है।

      • जैसे कोई परिंदा एक डैने से नही उड़ सकता कुदरत का सिलसिला स्त्री और पुरुष के संतुलन के बिना जारी रह नहीं सकता। 

      • मानव जाति के विकास और मानवता की उन्नति के लिए जरूरी है कि स्त्री और पुरुष के बीच टकराव नही, आपसी ताल मेल और सहयोग रहे।

      • स्त्री वास्तव में ईश्वर की रचना का सम्पूर्ण स्वरुप है, और जन्म देने पालने और हर तरह से बदल डालने की शक्ति भी उसी के पास है।

      • माँ की अहमियत का एहसास कर पाना आपके जीवन में वह बिंदु बन सकता है जहां से आगे चल कर उन सभी माँओं की जिंदगी में बदलाव ला सकतें है जिन्हें आप अपने आस पास पातें हैं। इस एहसास को अपने व्यवहार में उतारें, जब हममें से हर एक बदलाव में भागीदार होगा, सिर्फ तभी हम समाज को बदल सकतें है, क्योंकि समाज और कुछ नही बस व्यक्तियों का समूह भर ही तो है।

      • अगर हम चाहतें है कि हमारी पृथ्वी आबाद रहे और मानवता के पतन के बजाए उसका विकास होता रहे, तो हमें बिना समय गवाएँ स्त्री शक्ति उसके गुणों और उसकी सोच को समझ कर असंतुलन हटाने की पहल करनी होगी।

      • जब तक कोई संस्थान आतंरिक प्रतिभाओं के विकास का इरादा नही कर लेती तब तक वह नेतृत्व करने वालों की लगातार कमी का सामना करती रहेगी।

      • नेतृत्व का पद विरासत में मिलता है, लेकिन उसकी क्षमता नहीं उसे विकसित करना पड़ता है।

      • जिंदगी तमाम कारको का बहुत जटिल खेल है, जिसमे छुपे हुए खतरों को स्वीकार कर उनसे निपटते हुए आगे बढ़ते जाना है।

      • आज मुद्दे की बात यह है कि हम खुद को एक राष्ट्र के रूप में नहीं देख पा रहें है।

      • किसी समुदाय की संसाधनों के प्रबंधन की क्षमता का प्रमुख कारक होता है, उस समाज में लोगों के बीच आपसी लगाव और साझा लक्ष्य तय करने और उन्हें प्राप्त करने की क्षमता।

      • जब तक भारत अपने दम पर दुनिया का डटकर मुकाबला नहीँ करता, तब तक कोई हमारा आदर नही करेगा। इस दुनिया में डर के लिए कोई जगह नही है। ताकत सिर्फ़ ताकत का आदर करती है।

      • भारत के बारे में मेरे 3 सपने

      1.      आज़ादी
      2.      विकास
      3.      विश्व का सामना करने की क्षमता।

      • जब राष्ट्र का शरीर कमज़ोर पड़ता है तभी तमाम तरह के बिमारियों के कीटाणु उसकी कौम की राजनितिक, सामजिक, शैक्षणिक या बौद्धिक व्यवस्था में जमा हो जातें है, और बिमारी पैदा करतें है।


      • एक राष्ट्र के तौर पर कम अपनी आध्यात्मिकता से बंधे हुए हैं और अगर हम इसे त्याग दें तो हमारे टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे।







         

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