रुकें न कदम

राष्ट्र परिवारों से मिल कर बना होता है, और परिवार बनते है व्यक्तियों से। व्यक्ति से राष्ट्र के बीच एक सीढ़ियों जैसा सिलसिला है, जो दोनो तरह से काम करता है- एक दुष्चक्र के रूप में और दूसरा सद्चक्र के रूप में भी - एक जटिल श्रृंखला है, एक दूसरे से जुड़ी घटनाओं की। लोगों के साथ उनके प्रभावों की जानकारी देने का सिलसिला भी चलता रहता है। ये चक्र अपनी गति की दिशा में तब तक चलतें रहतें है, जब तक कि कोई बाहरी कारक इसमें दखल देकर इसे तोड़ नहीं देता। वर्त्तमान में हम जिस दुष्चक्र में फंसें हैं, उन चक्करों को रोकने के लिए क्या करना होगा? कौन इस चक्र को तोड़ेगा ? डॉ कलाम बतातें है इसका उत्तर। आइये खुद पढ़तें है, उन्ही के द्वारा बताई गयी बातें।
          डॉ कलाम बात करते है अनवरत चलने वाले लोगों की, जिसे रोका न जा सके। न रुकने वाले व्यक्तिओं में छह खूबियां होती है।

          पहला है सपने देखना समर्पित होना और क्रियाशील होना। हम सभी के अंदर कोई जुनून, कोई लक्ष्य या कोई सपना तो होता ही है। चाहे वह पुस्तक लिखने का हो, चाहे वह भूखों का खाना खिलाने का हो, पेड़ लगाने के लिए हो, मंदिर मस्जिद या सामुदायिक भवन बनाने के लिए  हो व्यक्ति के अंदर कोई भी इच्छा हो, हम उसके प्रति खुद को समर्पित कर देतें है, तो अब तक विचार के रूप में रही बात मन में ही कर्म का रूप ले लेती है। उसी पल हमें एक लक्ष्य और एक दिशा मिल जाती है। फिर हम अपना जीवन परिस्थितियों के इशारों पर नहीं चलने देतें हैं, बल्कि पतवार पर अपनी पकड़ मजबूत करके अपने जीवन की नौका का रुख मनचाही मंजिल की ओर करके आगे बढ़ने लगते है। अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हुए रास्तों में आने वाले तूफान से हम कैसे लड़ते है, उससे पता चलता है कि हमारे समर्पण में कितनी ईमानदारी है। सिर्फ किसी लक्ष्य के प्रति खुद को समर्पित कर देना ही काफी नहीं है, क्योंकि हो सकता है बाद में खुद पर भरोसा न रहे, आलोचनाओं से डर लगने लगे,निराशाएं और कुंठाएं घेर लें। और जब भी कुछ महत्वपूर्ण हासिल करने की कोशिश की जाती है, तब इसे वास्ता पड़ता ही है, लेकिन अगर हम वास्तव में अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होतें ही हैं, तो फिर हमारे अंदर लक्ष्य को हासिल करने का, पिट बुल नस्ल के शिकारी कुत्तों जैसा पक्का इरादा होना चाहिये। लेकिन दूसरे किसी चीज़ के मुकाबले अपने लक्ष्य को वरीयता देते हुए उसके प्रति समर्पित होना वास्तव में सफलता की कुंजी है, और उसके लिए कुबनियाँ देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
          दूसरी खूबी है अपने आप पर भरोसा अगर आप को सचमुच लगता है कि आप कुछ कर सकतें है, तो वाकई में आप उसे अंजाम तक पहुँचा सकतें हैं। अपने आप पर विश्वास और जिस काम के लिए खुद को समर्पित किया है उसके प्रति विश्वास , इसमें कोई शक नहीं कि इन दोनों बातों से अपने लक्ष्य तक पहुँचने की सम्भावनाएं बढ़ जाती है। मन में यह ठान लेना कि विकल्प के रूप में भी असफलता का कहीं नामोंनिशां नहीं है चमत्कारी साबित हो सकता है।
तीसरा खूबी है आस्था। हम जो कुछ भी करतें हैं आखिरकार अंजाम क्या होगा, उस पर ध्यान लगाने में हमारी आस्था मदद करती है। आस्था का अर्थ है कोई सबूत न होने पर भी मन ही मन हमारा इस बात पर विश्वास बना रहता है कि आखिरकार सब कुछ ठीक हो जायेगा। दिल की गहराई में यह विश्वास बना रहना कि हम अपने लक्ष्य पर नज़रे टिकाये रख कर लगतार उसे संभव बनाने के लिए अपने कम में जुटे रहे, तो हम जैसा चाहतें है वैसा नतीजा हमें जरूर मिलेगा, यही आस्था है।

          चौथी खूबी है हर हाल में सफल होने का साहस। हमें आलोचनाओं को अपने सपने की राह में आड़े नही आने देना चाहिए। जब लोग दूसरों को कुछ ऐसा करते देखते है, जिसे सामान्य व्यवहार से अलग माना जाता है, तो वह रूखेपन से पेश आ सकती है, कभी कभी लोग निराशाजनक और नकारात्मक बातें करने लगतें है। किसी का बदला हुआ व्यवहार कई बार लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा करता है। लेकिन अगर यह सब हमारे संकल्पों की राह में अड़चन बन जाये तो सब बेकार है, सब कुछ हाथ से निकल गया। आलोचनाओं को पीछे छोड़ आप जो हैं और जो होना चाहतें हैं, लगातार इसी सोच के साथ जीने के लिए भी बड़ा साहस चाहिये।

          पाँचवी खूबी है अपने काम में जुटे रह कर रास्ते में आने वाली अड़चनों से डटकर मुकाबला करना। डॉ कॉलम भी अपने जीवन में अब्राहम लिंकन से बहुत प्रभावित हुए। वह कई बार नाक़ाम रहे और उनके विरोधियों ने ही नहीँ, उनके मित्रों और यहां तक कि परिवार के सदस्यों ने भी जम कर आलोचना की।

          अगर वह इस आलोचना का असर अपने ऊपर हावी होने देते, तो अपने देश के लिए उनका असाधारण सपना बेकार चला जाता। आज संयुक्त राज्य अमेरिका में जो कुछ भी है उसमें बहुत बड़ा हाथ लिंकन की सोच का भी है। बिन डिगे जुटे रहने की बदौलत ही वह आलोचन, असफलता, डर और अपने आप पर शक के बावजूद आगे बढ़ते रहे। यही है डॉटे रहने की ताकत। अपने सपनों के प्रति समर्पित रहने के लिए हमारे अंदर एक आत्मिक बल और अदनरूनी ताकत होनी चाहतें है। 
          छठी खूबी है उदेश्य परक और धुन का पक्का होना कई लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि सच्ची ख़ुशी क्या होती है ? ख़ुशी अपनी इच्छाओं को पूरा करने से नहीं बल्कि किसी बड़े और अच्छे उद्देश्य के प्रति खुद को समर्पित कर देने से हासिल होती है। और हम जो चाहतें हैं उस दिशा में सच्चे मन से काम करना ही खुद से प्यार करना है, जो हमारी जिंदगी को मक़सद और सही मायने देती है। एक बार हम जो खुद को किसी बड़े उद्देश्य के प्रति समर्पित कर देतें हैं, तो हमारा जीवन अर्थपूर्ण हो जाता है। और जब इसमें जुनून के साथ अपनी धुन के पक्के हो कर काम करना भी जुड़ जाये, तो समझिये महान बनने की विधि हमारे हाथ लग गयी है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि रोजमर्रा के काम का भार और जिंदगी के उतार चढ़ाव हमें अपने लक्ष्य से भटका न दें ताकि हम अपने चुने हुए मार्ग से डिगे बिना आगे बढ़ते चले जाएँ।



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