गुणों की मल्लिका - कृतज्ञता
कृतज्ञता हमें हमसे बाहर लाती है, जहाँ हम खुद को कहीं बड़े और जटिल इंटरनेट के एक हिस्से एक रूप में देख पाते है।- रॉबर्ट एमन्स इन दिनों कृतज्ञता, नैतिक व्यवहार का हिस्सा नहीँ रह गयी है और इसी कारण सामूहिक रूप से हम बहुत दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति में पहुँच गए है। रोमन दार्शनिक सिसरो ये यह कहा था कि- कृतज्ञता सभी गुणों की देवी है , तो निश्चित रूप से उनके कहने का अर्थ यह कदापि नही था कि कृतज्ञता अपने निजी सुख की ओर किया गया एक प्रयास है। कृतज्ञता नैतिक रूप से एक जटिल प्रवृत्ति है, और इस गुण को अपना मूड सुधारने के लिए या खुश होने की भावना को महसूस करने के लिए एक तकनीकी या रणनीति में परिवर्तित कर देना भी उचित नहीं होगा। विचारों के इतिहास में कृतज्ञता को एक क्रिया माना जाता है। उदाहरणार्थ किसी की कृपा का उत्तर देंना, न केवल अपने आप में एक सद्गुण है, अपितु यह समाज के लिए भी बहुमूल्य है। किसी को प्रत्युत्तर देना अच्छी बात है। सिसर ने कहा था दयालुता के बदले में दयालुता दिखना आवश्यक है। और सेनेका का कहना था जो व्यक्ति कोई लाभ प्राप्त करते हुए आभार जताता है तो वास्तव में अपने ऋण