बैठे रह गये

तरुवर की छांव, शांति की तलाश में, हम बैठे रह गये। वो आये मुस्कुराये और , चलते रह गये। दुनिया से बेखबर, किसी की आस में, हम गंगा की भांति, बहते रह गये। वो आये मुस्कुराये और , चलते रह गये। निर्द्वन्द चिंता हीन हम, खो गये कही, उनकी यादो में , आहें भरते रह गये। वो आये मुस्कुराये और , चलते रह गये। भावना से भरी, इस ह्रदय में, हम कल्पना के तार में, बुनते रह गये। वो आये मुस्कुराये और, चलते रह गये। तरुवर की छांव, शांति की तलाश में, हम बैठे रह गये। काटों से भरी, इस डगर में, हम खुशियों के फूल , बस चुनते रह गये। वो आये मुस्कुराये और, चलते रह गये।