सच्चे मेहनत की करामात

प्राचीन समय की बात है। एक किसान के पास दो बैल थे। जिसमे एक बैल ही जीवित रहा, अब किसान केवल अकेल एक बैल की सहायता से पूरे खेत को नहीं जोत सकता था। उसने मन में यह सोचा कि दूसरे बैल के स्थान पर मैं अपनी पत्नी की लगा दूँगा। पूरी तैयारी करने के बाद उसने दूसरे बैल के स्थान पर अपनी पत्नी को लगा दिया। अब बैल और किसान की पत्नी, दोनों मिलकर हल की खींचने लगे। कुछ समय बाद वहाँ के राजा का भ्रमण हुआ और उसने यह सब दशा देखी। उसे रहा न गया और किसान के पास जाकर कहा तुम हमारे घर पर जाकर एक बैल को लेकर आओ, तब तक मैं इनके स्थान पर लग जाता हूँ। अब राजा स्वयं किसान के साथ हल जोतने में सहायता करने लगा, कुछ समय बाद राजा पूरी तरह थक गया और आराम करने लगा। आराम करने के समय ही राजा का बलवान बैल भी आ गया। अब दोनो बैल को एक साथ लगाया गया और किसान हल जोतने लगा। परंतु किसान को हल निंयत्रित करने में कठिनाई हो रही थी। क्यों कि दोनों बैलों का साथ विषम था, क्योकि दोनों के द्वारा लगाये गए बल अलग-अलग थे, परिणाम उचित नहीं था। किसान ने थक कर काम बंद कर दिया और मायूस हो कर बैठ गया। यह सब देख कर राजा को अच्छा न लगा। अब राजा ने पुनः स्वयं उस बैल की जगह लग कर कार्य पूर्ण करवाने की ठानी। राजा पूर्व की तरह ही लगाकर कड़ी मेहनत के साथ, किसान का साथ देता रहा। अंततः कार्य पूर्ण हो गया। इस कार्य में राजा ने स्वयं खूब मेहनत किया था। उसे बहुत अच्छा लगा। 4 महीनों के समय के उपरांत राजा, उस खेत से गुजर रहा था। तो उसे देख कर बहुत आश्चर्य हुआ। जिस जिस स्थान पर बैलों द्वारा हल जोता गया था, वहां फसल उगें है और जिस स्थान पर राजा की मेहनत लगी थी, उस स्थान पर सोना ऊगा है।

          दोस्तों, आप के द्वारा किया गया मेहनत कभी भी व्यर्थ नही जाता, यदि आप उसे सच्चे भाव से लगन के साथ करतें है। यह मेहनत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आप को कर्म के साथ संवारता है। सदैव कर्म के साथ गतिशील रहें क्योंकि बहता हुआ पानी सदैव निर्मल रहता है

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