अरस्तु के कथन
एक निश्चित बिंदु के पश्चात, धन का कोई अर्थ नहीं रह जाता। किसी मानव का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति उसे विश्वसनीय बनती है। मित्रों के बिना कोई भी जीना नहीं चाहेगा, चाहे उसके पास बाकि सब कुछ ही क्यों न हो। मित्र का सम्मान करें, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करें, और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता ज़रूर करें। मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक पशु है। कोई भी उस मनुष्य से प्रेम नहीं करता, जिससे वो सदैव डरता है। बुरे व्यक्ति पश्चाताप से परिपूर्ण होते हैं। डर बुराई की अपेक्षा के द्वारा उत्पन्न होने वाला दर्द है। जो सभी का दोस्त होता है वो किसी का दोस्त नहीं होता है। खुशी सदैव हम पर निर्भर करती है। संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, परंतु बड़े उम्र के लोगों के लिए धिक्कार। ...