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स्टीफेन हॉकिन्स के प्रेरक कथन
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ऊपर सितारों की ओर देखिये, अपने पैरों के नीचे
नहीं। जो देखते हैं, उसका मतलब जानने की कोशिश करिये और आश्चर्य करें की क्या है जो ब्रह्माण्ड
का अस्तित्व बनाये हुए है। हमेशा उत्सुक
रहिये।
चाहे ज़िन्दगी जितनी भी कठिन और दुविधापूर्ण लगे, आप सदैव कुछ न कुछ कर
सकते हैं और सफल हो सकते हैं।
मैंने देखा है उन लोगों को जो ये
कहते हैं
कि सब कुछ पहले
से तय है,
और हम उसे बदलने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते, वे
भी सड़क को पार करने से पहले देखते हैं।
बुद्धिमत्ता मानव की बदलाव के अनुरूप
ढलने की क्षमता है।
विज्ञान केवल तर्क मात्र का अनुयायी
नहीं है, बल्कि रोमांस और
जूनून का भी है।
यदि आप यदि सदैव गुस्सा या शिकायत
करते रहतें हैं तो लोगों के पास आपके लिए समय नहीं रहेगा।
अन्य विकलांग लोगों के लिए मेरी सलाह यही होगी
कि, उन चीजों पर ध्यान
दें, जिन्हे अच्छी तरह से करने से आपकी विकलांगता नहीं रोकती,
और उन चीजों के लिए अफ़सोस न करें, जिन्हे करने
में ये बाधा डालती है। आत्मा और शरीर दोनों से विकलांग कभी मत बनें।
अतीत(भूत), भविष्य की तरह ही
अनिश्चित है और केवल सम्भावनों के एक लंबे स्पेक्ट्रम के रूप में उपस्थित है।
हम अपनी लालसा और बेवकूफियों के कारण
खुद को नष्ट करने के खतरे में हैं। हम इस छोटे,
तेजी से प्रदूषित हो रहे,और भीड़ से भरे
ग्रह पर अपनी और अंदर की तरफ देखते नहीं
रह सकते।
मेरा ऐसा मानना है कि ब्रह्माण्ड में
और ग्रहों पर जीवन आम है , हालांकि बुद्धिमान जीवन कम ही है।
कुछ का कहना है इसका अभी भी पृथ्वी पर आना बाकी है।
हम एक औसत तारे के छोटे से ग्रह पर
रहने वाली बंदरों की एक अनंत नस्ल मात्र हैं,
लेकिन हम ब्रह्माण्ड को समझ सकते हैं। ये हमें कुछ ख़ास बनाता है,
दूसरों से अलग।
मैं चाहूंगा न्यूक्लीयर फ्यूज़न हम सभी के एक
व्यवहारिक ऊर्जा का स्रोत बने। यह भविष्य में प्रदूषण या ग्लोबल वार्मिंग के बिना, ऊर्जा की अटूट
आपूर्ति प्रदान करेगा।
जीवन दुखद होगा, अगर ये अजीब ना हो।
जीवन की वस्तविकता यह है कि ,जब किसी की उम्मीद
एकदम ख़त्म हो जाती है, तब वो वास्तव में हर उस चीज की महत्ता
समझ पाता है जो उसके पास पहले से ही है।
मैं बस अब भी एक बालक हूँ जो कभी बड़ा
नहीं हुआ। मैं अभी भी ये ‘कैसे’ और ‘क्यों’ वाले प्रश्न अनवरत पूछता रहता हूँ। कभी-कभार मुझे जवाब मिल भी जाता है।
कर्म आपको अर्थ और उद्देश्य प्रदान
करता है और इसके अभाव में जीवन अधूरा है।
मेरे पास इतना सब कुछ है, जो मैं करना चाहता
हूँ। मुझे समय बर्वाद करने से घृणा है।
कुछ भी नहीं जो जीवन में हमेशा नहीं
रह सकता।
विज्ञान मनुष्य को गरीबी और बीमारी से दूर कर
सकता है। और वो बदले में यह सामाजिक अशांति भी ख़त्म कर सकता है।
क्योंकि गुरुत्वाकर्षण -जैसा एक नियम है , ब्रह्माण्ड स्वयं को
कुछ नहीं से सृजित कर सकता है और करेगा भी।
हम ऐसा सोचते हैं कि हमने सृष्टि के
सृजन की गुत्थी सुलझ रक्खी है। शायद हमें
ब्रह्माण्ड का पेटेंट करा लेना चाहिए,
और सभी से उनके अस्तित्व के लिए रॉयल्टी चार्ज करनी लेनी चाहिए।
मैं एक अच्छा विद्यार्थि नहीं था…मैं कॉलेज में ज्यादा
समय नहीं व्यतीत करता था ; मैं मज़े, मस्ती
करने में बहुत व्यस्त था।
कभी-कभी मुझे अपने जीवन में आश्चर्य
होता है कि क्या मैं अपनी व्हीलचेयर और विकलांगता के लिए उतना ही प्रसिद्ध हूँ, जितना अपनी खोजों के
लिए हूँ।
मुझे मृत्यु से भय नहीं , लेकिन मुझे मरने की
कोई जल्दी भी नहीं है । मेरे पास पहले से ही करने के लिए इतना कुछ है।
जो लोग अपनी आई.क्यू के बारे में
गुमान करतें है , डींगे हांकते हैं वे लूजर होते हैं।
मुझे नहीं लगता कि मानव जाति अगले
हज़ार साल तक भी बची रह पायेगी, जब तक कि हम अंतरिक्ष में अपना विस्तार नहीं कर लेते।
मेरा विश्वास है की चीजें स्वयं को
असंभव नहीं बना सकतीं।
दिव्य रचना से पहले भगवान (ईश्वर) क्या कर रहे
थे?
कोई भी व्यक्ति कुछ दिन आगे से अधिक
मौसम का अनुमान नहीं लगा सकता।
मेरा ऐसा मानना है कि -ब्रह्माण्ड
विज्ञान के नियमों द्वारा संचालित होता है।
हो सकता है ये नियम ईश्वर द्वारा बनाये गए हों , लेकिन ईश्वर इन
नियमों को तोड़ने के लिए हस्तक्षेप नहीं करता।
यदि आप ब्रह्माण्ड को समझते हैं तो एक तरह से आप
इसे नियंत्रित भी करते हैं।
जीवन के वास्तविकता की कोई अनूठी
तस्वीर नहीं होती।
एक शून्य-गुरुत्वाकर्षण उड़ान
अंतरिक्ष यात्रा की ओर विकास का पहला कदम है।
मेरी पहली लोकप्रिय किताब,‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़
टाइम,’ ने लोगों में
काफी रूचि पैदा की , लेकिन कई लोगों को इसे समझने में कठिनाई
भी हुई।
हम यहां क्यों हैं? हम कहां से आते हैं?
परंपरागत रूप से, ये फिलोसोफी के सवाल हैं,
लेकिन फिलोसोफी जीवित नहीं है।
मैं अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहता
हूँ, क्योंकि मैं एक
सार्वजानिक संपत्ति बन जाऊंगा और मेरी कोई गोपनीयता नहीं रहेगी।
ब्रह्मांड से बड़ा या पुराना कुछ इस विश्व में
कुछ भी नहीं।
कई लोगों को ब्रह्माण्ड भ्रामक लगता
है- ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
एक समय ऐसा था जिस समय 'समय-यात्रा' को वैज्ञानिक विधर्म माना जाता था , और मैं इसके
बारे में वास्तव में बात करने से बचता था कि कहीं मुझ पर ‘सनकी’
का लेबल ना लगा दिया जाये।
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