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अरस्तु के कथन
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एक निश्चित बिंदु के पश्चात, धन का कोई अर्थ नहीं रह
जाता।
किसी मानव का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति उसे विश्वसनीय बनती है।
मित्रों के बिना कोई भी जीना नहीं चाहेगा, चाहे उसके पास बाकि सब कुछ ही क्यों न हो।
मित्र का सम्मान करें, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करें, और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता ज़रूर करें।
मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक पशु है।
कोई भी उस मनुष्य से प्रेम नहीं करता, जिससे वो सदैव डरता है।
बुरे व्यक्ति पश्चाताप से परिपूर्ण होते हैं।
डर बुराई की अपेक्षा के द्वारा उत्पन्न होने वाला दर्द है।
जो सभी का दोस्त होता है वो किसी का दोस्त नहीं होता है।
खुशी सदैव हम पर निर्भर करती है।
संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, परंतु बड़े उम्र के लोगों के लिए धिक्कार।
मनुष्य प्राकृतिक रूप से हमेशा से ही ज्ञान कि इच्छा रखता है।
मनुष्य के अधिकतर सभी कार्य इन सातों में से किसी एक या अधिक वजहों से होते हैं: अवसर, प्रकृति, मजबूरी, स्वाभाव, कारण, जुनून, इच्छा।
हम अपने चरित्र को बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं।
सभी भुगतान युक्त नौकरियां व कार्य दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं।
प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत अवश्य है।
आलोचना से बचने का एक ही मात्र तरीका है : कुछ मत करो, कुछ मत कहो और कुछ मत बनों।
मनुष्य अपनी सबसे अच्छे रूप में सभी जीवों में सबसे अधिक उदार होता है, लेकिन यदि कानून और न्याय न हो तो वो सबसे बुरा बन जाता है।
उचित व अच्छा व्यवहार सभी गुणों का सार है।
शुरुआत अच्छी होने से आधा काम हो जाता है।
शिक्षा बुढ़ापे के लिए सबसे अच्छा व उत्कृष्ठ प्रावधान है।
उत्कृष्टता जीवन की वह कला है जो प्रशिक्षण और आदत से हमारे अंदर आती है। हम इस लिए सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है, बल्कि वह हमारे अन्दर इसलिए हैं क्योंकि हमने सही कार्य किया है। हम वह हैं जो हम बार बार करते हैं, इसलिए उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत ही है।
अपने शत्रुओं पर विजय पाने वाले की तुलना में मैं उसे शूरवीर मानता हूं जिसने अपनी इच्छाओं पर विजय प्राप्त की है; क्योंकि सबसे कठिन विजय अपने आप पर विजय होती है।
कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह इतना भी आसान नहीं है।
शिक्षा की जड़ें कड़वी अवश्य होती है परंतु फल मीठे होते है।
स्वयं को जानना ही ज्ञान की शुरुआत है।
हम वो है जो हम बार बार करते है, उत्कृष्टता कोई तरीका नहीं बल्कि आदत मात्र है।
लोकतंत्र तब है जब किसी अमीर के स्थान पर कोई गरीब देश का शासक हो।
एक मित्र क्या है? दो देह में रहने वाली एक आत्मा।
वास्तव में शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे।
आशा जागते हुए देखा गया ही स्वप्न है।
प्रसन्नता सदैव स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है।
हमारे जीवन के गहनतम अंधकार के वक़्त हमें अपना ध्यान सदैव रोशनी देखने पर केंद्रित करना चाहिए।
बिना पागलपन के स्पर्श के किसी भी महान दिमाग का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं है, हम बिना दर्द के कभी नहीं सीख सकते है।
दोस्त बनना एक जल्दी का कार्य है लेकिन दोस्ती एक धीमी गति से पकने वाला मीठा फल है।
मनुष्य जीवन में मन की ऊर्जा ही जीवन का सार है।
अच्छा इंसान बनना और एक अच्छा नागरिक बनना एक बात नहीं है।
जो एक अच्छा अनुयायी नहीं बन सकता वो कभी एक अच्छा लीडर भी नहीं बन सकता।
ख़ुशी और प्रसन्नता ही जीवन का उद्देशय और अर्थ है।
सभी व्यक्तियों की प्रकृति ज्ञान चाहने वाली होती है।
पैसों के लिए की जाने वाली सभी नौकरियां हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है।
अच्छा लिखने के लिए खुद को एक आम इंसान की तरह व्यक्त करें, परंतु एक बुद्धिमान आदमी की तरह सोचें।
युद्ध जितना पर्याप्त नहीं है जितना शांति स्थापित करना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।
बिना दिल को शिक्षित किए मस्तिष्क को शिक्षित करना, वास्तव में शिक्षा नहीं है।
दुर्भाग्य से, जीवन में उन लोगों का पता चलता है जो वास्तव में आपके दोस्त नहीं है।
सभी मनुष्यों में सही का अनुसरण करने का साहस होना चाहिए न की जो पहले से स्थापित है उसका।
चरित्र को अनुनय का सबसे अधिक कारगर सफल साधन कह सकते है।
बुद्धिमान मनुष्य बोलता है, क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ होता है, जबकि मुर्ख मनुष्य बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है।
धैर्य कड़वा अवश्य है पर इसका फल मीठा मीठा होता है।
महान आदमी सदैव उदास प्रकर्ति के होते है।
प्रकृति बेकार में ही कुछ नहीं करती है।
एक सच्चा दोस्त आपकी दूसरी आत्मा है।
जितना ज्यादा आप जानेंगे, उतना ज्यादा आप यह जानेंगेे की आप कुछ भी नहीं जानते।
हम युद्ध करते है ताकि हम सदैव शांति में रह सके।
वे जो बच्चों को शिक्षित करते हो वे उन्हें पैदा करने वालो से ज्यादा सम्मानीय है क्योकि वे उन्हें केवल ज़िन्दगी देते है जबकि वे उन्हें सही तरीके से ज़िन्दगी जीने की कला सीखाते है।
शिक्षित और अशिक्षित में उतना ही फर्क है जितना की जीवन और मृत्यु में।
पचास दुश्मनो का एन्टीडोट एक सच्चा दोस्त है। (एन्टीडोट - किसी चीज़ के विषैल प्रभाव को ख़त्म करने के लिए दी जाने वाली दवा )
वह जो एकांत में खुश रहता है वह या तो एक जानवर होता है या फिर भगवान।
सम्पूर्ण अपने हिस्सों के कुल योग से ज्यादा है।
नौकरी में खुशियाँ, कार्य में निखार लाती है।
गरीबी ही क्रांति और अपराध का जनक है।
जो अपने डर को सही मायनों में जीत लेता है वो सही अर्थों में मुक्त होता है।
दर्शन (फिलोसोफी) लोगो को बीमार भी बना सकता है।
एक मात्र स्थिर अवस्था वह है जिसमे सभी इंसान कानून के समक्ष बराबर है।
साहस सभी मानवीय गुणों में प्रथम है, क्योंकि यह वह गुण है, जो आप में अन्य गुणों को विकसित करता है।
अनुशासन से ही स्वतंत्रता आती है।
हमें न तो कायर होना चाहिए न ही अविवेकी, बल्कि हमें साहसी होना चाहिए।
बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है, बल्कि दुःख को दूर रखना होता है।
आत्मा कभी भी मानसिक चित्र के बिना नहीं सोचती।
ईश्वर भी मज़ाक के शौक़ीन होते है।
वास्तविक ख़ुशी सदैव आत्म निर्भरता से सम्बंधित होती है।
युवा पीढ़ी आसानी से धोखा खाते है, क्योंकि वे शीघ्रता से उम्मीद लगाते है।
क्रोध जीवन का एक उपहार है।
मनुष्य एक लक्ष्यों की मांग करने वाला प्राणी है उसकी ज़िन्दगी का तभी अर्थ है, जब वहअपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करता रहे और उन्हें प्राप्त करता रहे।
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