अटल बिहारी वाजपेयी के प्रेरक कथन





भारत के ग्यारहवें प्रधानमंत्री
भारत के महारत्न 
(प्रथम शासनकाल)
कार्यकाल-
16 मई 1996 – 1 जून 1996

(द्वितीय शासनकाल)
कार्यकाल
19 मार्च 1998 22 मई 2004
जन्म  :  25 दिसंबर 1924
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
राजनैतिक दल : भारतीय जनता पार्टी




  • आज के परिपेक्ष्य में वैश्विक निर्भरता का अर्थ यह है कि विकास के पथ पर अग्रसर देशों में आई आर्थिक आपदाएं विकसित देशों में संकट की स्थिति ला सकती हैं।




  • शीतकालीन युद्ध के बाद आये उत्साह में एक गलत धारणा बन गयी की, संयुक्त राष्ट्र कहीं भी किसी भी समस्या का निवारण कर सकती है।




  • किसी भी देश को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक साझदारी का हिस्सा होने का स्वांग नहीं रचना चाहिए , जबकि वे आतंकवाद को बढाने, उकसाने, और प्रायोजित करने में लगा हुए हो।




  • हमारे परमाणु हथियार और उपकरण विशुद्ध रूप से किसी विरोधी के परमाणु हमले को हतोत्साहित करने के लिए हैं।




  • जो लोग हमसे पूछा करतें हैं कि हम कब पाकिस्तान से वार्ता करेंगे? वो शायद ये नहीं जानते कि पिछले 55 सालों में पाकिस्तान से बातचीत करने के सभी प्रकार के प्रयत्न भारत की तरफ से ही आये हैं।




  • गरीबी बहुआयामी है, यह हमारी कमाई के अलावा स्वास्थ्य,  राजनीतिक भागीदारी, हमारी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति पर भी निसंदेह असर डालती है।




  • जैव विविधता कन्वेंशन ने विश्व के गरीबों को आज के समय में कोई भी ठोस लाभ नहीं पहुँचाया है।




  • भारत में भारी जन-भावना थी कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई सार्थक वार्ता नहीं हो सकती जब तक कि वो आतंकवाद का प्रयोग अपनी विदेशी नीति के एक साधन के रूप में करना नहीं त्याग देता।




  • वास्तविकता ये है कि यू.एन. जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन केवल उतने ही कारगर हो सकते हैं, जितना की उनके सदस्य उन्हें होने की अनुमति दें।




  • संयुक्त राष्ट्र की अद्वितीय वैधता इस सार्वभौमिक धारणा में निहित है कि वह किसी विशेष देश या देशों के समूह के हितों की तुलना में एक बड़े उद्देश्य के लिए कार्य करता है।




  • पहले एक अन्तर्निहित दृढ विश्वास था कि संयुक्त राष्ट्र अपने घटक राज्यों की कुल शक्ति की तुलना में अधिक प्रभावी और शक्तिशाली होगा।




  • हम मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हमेशा के लिए समाप्त करने का दबाव बना सकते हैं।




  • हम उम्मीद करते हैं की विश्व प्रबुद्ध स्वार्थ की भावना से कार्य करेगा।





  • आप अपने जीवन में मित्र बदल सकते हैं परन्तु पडोसी नहीं।

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