कार्ल मार्क्स के प्रेरक कथन
नाम : कार्ल हेनरिख मार्क्स
जन्म : 5 मई 1818 त्रिएर, प्रशिया में
मृत्यु : 14 मार्च 1883 (उम्र 64) ,लंदन, ब्रिटेन में
धार्मिक
मान्यता - ईसाई : बाद में धर्म त्याग दिया
(नास्तिक)
शैक्षिक : मार्क्सवाद, साम्यवाद, समाजवाद, भौतिकवाद
अभिरुचि : राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, समाजशास्त्र, इतिहास, वर्ग संघर्ष,
उल्लेखनीय
विचार : फ्रेडरिक एंगेल्स संग मार्क्सवाद का
प्रतिपादन, अतिरिक्त
मूल्य, ऐतिहासिक
भौतिकवाद
व्यक्तियों से प्रभावित :
हीगेल, फायरबाख, स्टिर्नर, एडम स्मिथ, डेविड रिकार्डो, ज्यां जैक रूसो, गोथे, फौरियर, मोसेस हेस्स, लुइस मार्गन, विलियम शेक्सपीयर, चार्ल्स डार्विन
रोसा
लक्समबर्ग, व्लादिमीर
लेनिन, लियान
त्रोत्स्की, माओ
त्से-तुंग, चे
ग्वेवारा
- हर व्यक्ति से उसकी क्षमतानुसार, हर किसी को उसकी ज़रुरत के अनुसार।
- इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहले एक त्रासदी के रूप में और दूसरा एक मज़ाक के रूप में।
- कोई भी जो इतिहास का ज्ञान रखता है, वह ये जानता है कि महान सामाजिक परिवर्तन महिलाओं के उत्थान के बिना असंभव हैं। सामाजिक प्रगति, महिलाओं की सामजिक स्थिति, जिसमे बुरी दिखने वाली महिलाएं भी उपस्थित हैं; को देखकर मापी जा सकती है।
- लोकतंत्र समाजवाद का पथ है।
- पूँजी मृत सम है, जो प्रेत के रूप में केवल जीवित श्रमिकों, का खून चूस, शोषण कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जीवित रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को शोषित करता है।
- विश्व के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, बिना अपनी जंजीरों के।
- धर्म मनुष्य का अफीम है।
- धर्म, जो मानव मस्तिष्क न समझ सके, उससे निपटने की एक नपुंसकता है।
- शासक वर्ग को कम्युनिस्ट क्रांति के भय से कांपने दें। मजदूरों के पास अपनी जंजीरों के अलावा और कुछ भी खोने को नहीं है । उनके पास जीतने को पूरी दुनिया है, सभी देश के कामगारों एकजुट हो जाओ।
- सामाजिक प्रगति, समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जाती है।
- साम्यवाद के सिद्धांत को एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है: सभी निजी संपत्ति को समाप्त किया जाये।
- नौकरशाह के लिए, विश्व केवल एक हेर-फेर करने की वस्तु मात्र है।
- इतिहास कुछ भी नहीं करता, उसके पास आपार धन नहीं होता, वो लड़ियाँ नहीं लड़ता, वो तो केवल मनुष्य हैं, जो ये सब वास्तविक , जीवित करते हैं।
- शांति का अर्थ साम्यवाद के विरोध का नहीं होना होता है।
- अगर कोई चीज़ निश्चित है, तो ये कि मैं स्वयं एक मार्क्सवादी नहीं हूँ।
- आवश्यकता तब तक की अंधी होती है, जब तक उसे होश न आ जाये, स्वतंत्रता आवश्यकता की चेतना होती है।
- मानसिक दुःख, का एकमात्र मारक शारीरिक पीड़ा है।
- पूंजीवादी उत्पादन टेक्नोलोजी विकसित करता है, और तरह-तरह की प्रक्रियाओं को सम्पूर्ण समाज में घोल देता है, पर ऐसा वो सिर्फ संपत्ति के मूल स्रोतों – मिटटी और मजदूर को शोषित कर कर करता है।
- पूंजीवादी समाज में पूँजी स्वतंत्र और व्यक्तिगत है, जबकि जीवित व्यक्ति आश्रित है और उसकी कोई व्यक्त्तिकता नहीं है।
- बहुत सी उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन का परिणाम बहुत सारे बेकार व्यक्ति होते हैं।
- धनी, गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं परन्तु उनके ऊपर से हट नहीं सकते।
- अनुभव सबसे प्रसन्नचित्त लोगों की प्रशंसा करता है, वे जिन्होंने सबसे अधिक लोगों को प्रसन्न किया।
- लोगों की प्रसन्नता के लिए पहली आवश्यकता, धर्म का अंत ही है।
- इसमें कोई दू मत नहीं है कि मशीनों ने समृद्ध आलसियों की संख्या बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा दी है।
- यह असंभव है कि प्रकृति के नियमों से ऊपर उठा जाए या अनदेखी की जाये, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों में बदल सकता है, वह मात्र वो रूप है, जिसमें ये नियम स्वयं को क्रियान्वित करते हैं।
- पूँजी मजदूर की स्वास्थ्य या उसके जीवन की लम्बाई के प्रति लापरवाह है, जब तक की उसके ऊपर समाज का कोई दबाव ना हो।
- धर्म दीन प्राणियों का एक विलाप है, बेरहम विश्व का ह्रदय है और निष्प्राण परिस्थितियों का प्राण है।
- समाज मानव से नहीं बना होता है, बल्कि स्वयं को अंतर संबंधों के योग के रूप में दर्शाता है, वो सम्बन्ध जिनके मध्य में मानव खड़ा होता है।
- हमें ये नहीं कहना चाहिए कि एक व्यक्ति के एक घंटे की कीमत दूसरे व्यक्ति के एक घंटे के बराबर है, बल्कि ये कहें कि एक घंटे के दौरान एक आदमी उतना ही मूल्यवान है, जितना कि एक घंटे के दौरान कोई अन्य व्यक्ति, समय ही सब कुछ है, इंसान कुछ भी नहीं : वह अधिक से अधिक समय का शव मात्र ही है।
- पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास ही रहा है।
- कारक सदैव से ही अस्तित्व में रहे हैं, लेकिन सदैव उचित रूप में नहीं।
- ज़मींदार, और सभी लोगों की तरह, वहां से काटना पसंद करते हैं जहाँ उन्होंने कभी बोया ही नहीं गया।
- उपयोग की वस्तु हुए बिना किसी चीज की कीमत नहीं होती।
- क्रांतियाँ ही इतिहास के इंजिन रहीं हैं।
- जीने और लिखने के लिए एक लेखक को धनार्जन चाहिए, परन्तु किसी भी स्थिति में उसे पैसा कमाने के लिए जीना और लिखना नहीं चाहिए।
- एक प्रेत यूरोप को सता रहा है वह है– साम्यवाद का प्रेत।
- ये कहा जा सकता है कि मशीनें विशिष्ट श्रम के विद्रोह को दबाने के लिए पूंजीपतियों द्वारा लगाए गए एक प्रकार का हथियार हैं।
- शासक वर्ग के विचार हर युग में सत्तारूढ़ विचार होते रहें हैं, यानि जो वर्ग समाज की भौतिक वस्तुओं पर शासन करता आया है, उसी समय में वह उसके बौद्धिक बल पर भी शासन करता रहा है।
- मानसिक श्रम का उत्पाद – विज्ञान। हमेशा अपने मूल्य से कम ही आँका जाता है, क्योंकि इसे पुनः उत्पादित करने में लगने वाले श्रम-समय का इसके मूल उत्पादन में लगने वाले श्रम-समय से कोई भी सम्बन्ध नहीं होता।
- चिकित्सा बीमारी के साथ साथ दोनों को ठीक करती है।
- सभ्यता और सामान्यतौर पर उद्योगों के विकास ने सदैव से खुद को वनों के विनाश में इतना सक्रिय रखा है कि उसकी तुलना में हर एक चीज जो उनके संरक्षण और उत्पत्ति के लिए की गयी है, वह नगण्य ही है।
- लेखक इतिहास के किसी आन्दोलन को शायद बहुत अच्छी तरह से बता सकतें है, परन्तु निश्चित रूप से वह इसे बना नहीं सकतें।
- कंजूस मात्र एक पागल पूंजीपति है और पूंजीपति एक तर्कसंगत कंजूस मात्र है।
- लोगों के विचार ही उनकी भौतिक स्थिति के सबसे अच्छे प्रत्यक्ष उद्भव हैं।
- जितना ही अधिक श्रम का विभाजन और मशीनरी का उपयोग बढ़ता है, उतना ही श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढती जाती है, और उतनी ही उनका वेतन कम होता जाता है।
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