रविन्द्र नाथ टैगोर के प्रेरक कथन



जन्म  :  7 मई, 1861 ,कोलकाता, भारत
मृत्यु  : 7 अगस्त, 1941 कोलकाता,  भारत



  • सिर्फ तर्क करने वाला मस्तिष्क एक ऐसे हथियार की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से रक्त निकाल देता है।





  •  आयु सोचती है, युवावस्था करती है।






  •  पंखुडियां तोड़ कर आप पुष्पों की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा कर सकते। 







  • मृत्यु प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि प्रातः हो गयी है।








  • मित्रता की प्रगाढ़ता परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।







  • किसी बालक की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में जन्म हुआ है।








  • मिटटी के बंधन से मुक्ति वृक्ष के लिए स्वतंत्रता नहीं है।








  • हर बालक इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है।


 




  • हर एक कठिनाई जिससे आप मुख मोड़ लेते हैं,एक प्रेत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी।






  • जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है ; यदि हम उसे लेने की क्षमता रखते हैं।





  • तथ्य कई होते हैं पर सत्य एक है।


 


  • आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है।





  • मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं तो भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं।





  • वो जो अच्छाई  करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता हैं।






  • मैं एक आशावादी होने का अपना ही संस्करण बन गया हूँ. यदि मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाता तो दूसरे से जाऊंगा- या एक नया दरवाजा बनाऊंगा। वर्तमान चाहे जितना भी अंधकारमय हो कुछ शानदार सामने आएगा।






  • मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है, मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है, मैंने सेवा की और पाया कि सेवा ही आनंद है।





  • यदि हम सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद करके रखेंगे तो सच बाहर रह जायेगा।


 


  • कला में व्यक्ति स्वयं को उजागर करता है कलाकृति को नहीं।




  • हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें, बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में सदैव निडर रहे।

 


  • जीवन हमें प्राप्त हुआ है, हम इसे देकर कमाते हैं।




  • प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता है, बल्कि स्वतंत्रता दिलाता है।

 


  • केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये केवल एक भावना नहीं है, यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में रहता है।





  • संगीत दो आत्माओं के मध्य के अनंत को भरता है।




  • जब मैं खुद पर हँसता हूँ, तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम होता जाता है।




  • तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है।




  • अकेले फूल को कई काँटों से इर्ष्या करने की कभी ज़रुरत नहीं होती।




  • उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में भी लाती है।





  • बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है बल्कि महान सत्य सदैव मौन रहता है।





  • जिनके स्वामित्व बहुत होता है, उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है।




  • पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का  प्रयास हैं ये पेड़-पौधे।




  • हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं, जब विनम्रता में महान होते हैं।





  • स्वतंत्र हम तब होते हैं, जब हम पूरी कीमत चुका देते हैं।
 




  • कला क्या है ? यह इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया है।




  • सिर्फ खड़े होकर पानी, देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते।





  • आपकी मूर्ती का टूट कर धूल में मिल जाना इस बात को साबित करता है कि इश्वर की धूल आपकी मूर्ती से महान है।

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