विचार ही , प्रेरणा देते है ।

मेरे विचार ही ,
प्रेरणा देते है,
स्वयं को ।
सत पथ,
बनाये रखते है,
विचलित होते है,
जब पथ से।
नई ऊर्जा,
नया विश्वास देते है।
जब भ्रमित होतें है,
अपने पथ से।
तुम ही सार्थक हो,
जीवन का।
जो निर्थक होने से
वंचित करता है,
सकारात्मक हो जाते है,
जब कभी,
मनोन्माद में होते है।
हे ! विचार ,
धन वैभव हो तुम।
प्रेरणा का अनंत,
श्रोत हो तुम।
बनाये रखना,
साथ सदैव,
अपने धन वैभव का।
                          - विकास पाण्डेय

मनः स्थिति -
              दोस्तों विचार हमारे मन की उपज होती है हम जैसा सोचते है वैसा ही हमारे मन में तेज आता है। कई लोग ईश्वर के अस्तित्व को नही मानते है ,परन्तु जब आप दुःख और विषाद वाली परिस्थितियों में होंगे एक प्रेरणामयी श्रोत आप का मार्ग दर्शन करेगी ।
      दोस्तों ऐसी कोई दैवीय शक्ति ज़रुर है जो हमे दुःख. भ्रमो एवं विषादो से दूर रखती है। हमारे मन की
दो चेतन अवस्थाये होती है। 1. अंतः चेतन अवस्था 2. वाह्य चेतन अवस्था ।
हमारी अंतः चेतन अवस्था , हमारा वास्तविक मार्गदर्शन करती है ,और उसका मार्गदर्शन, वह दैवीय शक्ति करती है । जब कभी हम दुःख, विषादों के साथ निद्रा लेते है ,तो निद्रावस्था में , हमारा वाह्य चेतन ब्रह्मांड में नई ऊर्जा का ग्रहण करता है, और प्रातः एक नई ऊर्जा लिये मस्तिष्क में प्रवेश करता है ।

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