उम्र

उम्र के दराजो ने ,
आज अपना हाथ छोड़ दिया।
जब खुद ने,
खुद का हाथ छोड़ दिया तो,
और क्या हाथ थामेंगे !
अपने उम्र के अनुभव भी ,
आज काम न आ सके।
नये पीढ़ी के लोगों ने,
अनुभवों में ,
मिश्रित अभिव्यक्ति ला दी है।
वो कहते है, जहाँ लक्ष्मी है।
वहाँ सब कुछ है आज।
पर वे भी जान जायेंगे उस समय,
लक्ष्मी की महत्ता को।
पुरानी यादों के सिवा,
कुछ नही मिलेगा।
बस जो है उससे आनंद लो,
कि कल का पश्चाताप न हो ।
                        - विकास पाण्डेय

 मनःस्थिति -

             दोस्तों, वृद्धावस्था एक प्रकार से बाल्यावस्था की तरह ही होता है, दोस्तों, ये वही समय है जब हम अपनी उऋिणता का प्रयास करते है । आधुनिकता के दौर ने हम सभी को स्वार्थी बना दिया है, समय के साथ अनुभव भी बदलते रहतें है, आने वाली पीढियों ने अनुभवों में भी बदलाव लाया है । यह अनुभव एक मिश्रित अभिव्यक्ति के रूप में आ जाती है, परन्तु पुराना अनुभव ही नये की आधारशिला बनती है , इसलिए ये आवश्यक नही की नवीन अनुभव ही सर्वोपरी है।  जीवन में धन की महत्ता है, परन्तु धन से अधिक महत्वपूर्ण है , उस प्राचीन धन का आदर करना, जो आज जीवित है क्यों की आज का जीवित धन अमूल्य यादें है , जो जीवन में चिर अनंत काल तक जीवित रहेगा ,और दुखद परिस्थितियों में प्रेरणा का श्रोत बना रहेगा। जीवन में पल पल का आनंद ले ताकी आने वाला समय आप को पश्चाताप न दे ।
                 "जीवन सुख दुःख का संगम है ,नही किसी को बहुत अधिक, नही किसी को कम है । "


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