मन है एक आकृति बनाऊँ

मन है एक , आकृति बनाऊँ,
एक सुन्दर सी कृति बनाऊँ।
जी लूं जीवन का सार मैं,
एक छोटा सा घर द्वार मैं।
मानवता का द्वार सजाऊँ,
मन है एक , आकृति बनाऊँ।
संघर्षों की क्रमबद्ध कृतियाँ,
मानव जीवन की संस्कृतियाँ।
सबका आदर मान दिलाऊँ ,
मन है एक , आकृति बनाऊँ।
जीवन का गीत सारबद्ध,
हो जीवन एक करबद्ध।
एक सुंदर सी कृति बनाऊँ,
मन है एक , आकृति बनाऊँ।
प्रेम भाव हो सब के मन में,
सब कर्मठ हों जीवन में।
ऐसी मर्यादा का मान दिलाऊँ ,
मन है एक , आकृति बनाऊँ।

                           - शिल्पी पाण्डेय



टिप्पणियाँ