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"हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा", "काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ"

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अटल विहारी वाजपेयी जी ने राजनीति में रहते हुए भी अपने जीवन के मानवीय पक्षों को अपने से कभी भी दूर नही किया। वे बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व के प्रगति प्रवर्तक राजनेता ही नही है अपितु एक नेक इंसान और एक महान कवि भी रहे ,अपने प्रसिद्ध रचना "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा", "काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ", जैसीे कविताओं से सभी के ह्रदय को जीतने वाले एक महान रत्न के जीवन के कुछ कविताओं को पढतें हैं।   गीत नया गाता हूँ टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर , पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कूक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं। गीत नया गाता हूँ। टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी? अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी। हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ। गीत नया गाता हूँ। -अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया जलाएं  भरी दुपहरी में अँधियारा, सूरज परछाई से हरा, अंतरतम का नेह निचोड़े, बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर से दिया जलाएं। ...

कहीं आप तो नहीं फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार

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  कहीं आप तो नहीं फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार क्या आपको facebook स्टेटस अपडेट किए बिना नहीं रहा जाता ?      अगर इस प्रकार की आदतें हैं, तो आप फोमो यानी कि फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार हैं।     यदि आप whatsapp, facebook, twitter के बिना नहीं रह पाते, और कुछ ही समय में अपने फोन को स्क्रॉल करते रहते हैं, तो आप फोमो यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार हैं।     आजकल लोगों को सोशल मीडिया की गहरी आदत हो गई है, ऑफिस में या घर में बिना मोबाइल के नहीं रहा जाता। हर समय दिमाग में यह चलता रहता है कि facebook पर आज क्या नया आया है?            किसी के पोस्ट या फोटो पर लाइक और कमेंट आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है, इस प्रकार के लोग यदि ज्यादा देर सोशल मीडिया से दूर रहते हैं तो मन बेचैन हो उठता है। क्या है फोमो?     फोमो एक प्रकार का सोशल एंजाइटी ही है, जिसमें इंसान इंटरनेट से दूर होने पर ऐसा लगता है, जैसे वह पूरी दुनिया से कटा हुआ है । फोमो के ...

अपने अवचेतन मन कि शक्ति को पहचानें

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    अपने अवचेतन मन कि शक्ति को पहचानें हम सभी असीमित दौलत के अथाह समुद्र में रहते हैं। आपका अवचेतन मन आपके चेतन विचारों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है , यह चेतन विचार सांचे की तरह काम करते हैं , जिनमें आपके अवचेतन का असीमित ज्ञान, बुद्धि, जीवन शक्ति और ऊर्जा प्रवाहित होती है। अगर आप सांचे को अधिक सकारात्मक बना दें तो आपको इस असीमित ऊर्जा से अत्यधिक लाभ हो सकता है।     अधिकांश महान वैज्ञानिकों , कलाकारों, कवियों, गायकों, लेखकों और आविष्कारकों को चेतन और अवचेतन मन की कार्यविधि की गहरी समझ थी। इसी वजह से उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने की शक्ति मिली।     एक बार महान ओपेरा गायक एनरिको, मंच पर जाने से घबरा रहे थे। डर के मारे उनके गले की मांसपेशियां ऐँठ गई थी, ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके वाकतंतु को लकवा मार गया हो और वह बेकार हो गए हो। वह मंच के पीछे गायक की पोशाक पहने खड़े थे , और उनके चेहरे पर पसीना बह रहा था। कुछ ही पल बाद उन्हें हजारों प्रशंसकों की भीड़ के सामने मंच पर जाकर गाना था।     कांपते हु...

जो लोग रोकने की कोशिश करते हैं उनसे जरूरत है चैतन्यता पूर्वक बचने की

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जो लोग रोकने की कोशिश करते हैं उनसे जरूरत है चैतन्यता पूर्वक बचने की जब कभी भी हम कोई नया कार्य आरंभ करने का प्रयास करते हैं तो हमारे आसपास के लोग ऐसा करने से हमेशा रोकने की कोशिश करते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि रोकने वाले को स्वयं इसके बारे में कुछ भी पता नहीं होता। एक समय की बात थी। एक बार कुछ महान वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही रोचक प्रयोग किया। उन्होंने 5 बंदरों को एक ही पिंजरे में बंद कर दिया और उसके बीचो-बीच एक लंबी सी सीढ़ी लगा दी और उस सीढी के ऊपर कुछ केले लटका दिए।               अब जैसे ही एक बन्दर की नजर उन लटके केलों पर पड़ी, तो वह उसे खाने के लिए थोड़ा जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां ही चढ़ रहा था, उस पर ऊपर से तेज ठंडी पानी की बौछार डाली गई, उससे डरकर वह बंदर उतर कर वापस भाग गया।     पर शोध करने वाले यही नहीं रुके। वह सभी को ठंडे ठंडे पानी से भिगाते रहे। जो भी ऐसा करता वह ठंडे-ठंडे पानी से भीग जाता। कुछ समय बाद एक दूसरा बन्दर, सीढ़ी की तरफ दौड़ा, लेकिन उसे भी पानी की तेज धार से नीचे गिरा दिया गया। थोड़ी देर...

यदि आपको खुशी खुशी जीना है, तो ये सब छोड़ दें।

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यदि आपको खुशी खुशी जीना है , तो ये सब छोड़ दें। अहम   यानी ‘मैं’ भाव। हमारी वही हमारी सबसे बड़ी समस्या है। जो न हमें हमारी गलती को मानने देती है , न ही इस बात को स्वीकार करने देती है कि - सामने वाला हमसे अच्छा वह समझदार है , न हम झुकना चाहते हैं। हमारा अहंकार , हमारी झूठी अकड़ ही हमें ठीक से जीने नहीं देती। जिसके कारण न केवल छोटी-छोटी बातें हमें चुभती हैं , बल्कि बने-बनाए सारे कार्य एवं संबंध , तहस-नहस हो जाते हैं। जिसके कारण हमारा विकास रुक जाता है , और हम अपने आसपास एक नरक निर्मित कर लेते हैं। ईर्ष्या ईर्ष्या एक ऐसी समस्या है , जो इंसान को अंदर से खोखला कर देती है। ईर्ह्या सदा हमें दूसरों से उकसाती है तथा जोह्मरे पास है , जो हमें मिला हुआ है उसे देखने नहीं देती। हमारा मन सदा कुढ़ता रहता है तथा दूसरे के सुकून में , आनंद में विग्न डालने की योजनाएं बनाता रहता है। हम स्वयम को हीन समझने लगते हैं। और जो कुछ भी हमारे पास है , हम ऐसे ही गवां बैठते हैं। एक दिन यही जलन हमें जला देती है और दुख होने लगता हैं। क्रोध -   क्रोध यानि गुस्सा जिस...

अगर आपको सदैव स्वस्थ रहना है, तो इन बातों का रखें ख़याल।

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अगर आपको सदैव स्वस्थ रहना है, तो इन बातों का रखें ख़याल। उम्र चाहे कोई भी हो, हर कोई फिट रहना चाहता है। अगर आप भी फिट रहना चाहतें है तो इन बातों का रखें अच्छे से ख़याल।  रात को देर तक न जागें, सुबह जल्दी उठाना सीखें,( सुबह 4 बजे उठना लाभकारी माना जाता है।) उठाकर खूब पानी पियें, जिसे हम उषापान भी कहतें है। थोडा टहल कर फ्रेश हो लें। फ्रेश होने के बाद नियमित योग करें। योग भली भांति जानने के बाद करे। गलत जानकारी की स्थिति में आपको योग का फायदा नहीं होगा, इसलिए बेहतर है अनुभवी योग शिक्षक, पुस्तक लेकर उसके बारे में भली भांति जानकारी ले लें। योग में बहुत शक्ति होती है इससे आपको दिन भर कार्य करने के लिए उचित ऊर्जा मिल जाती है।   योग करने के बाद, 5 मिनट आराम कर लें, उसके बाद कोई जूस या एक चम्मच शहद को एक गिलास पानी में मिला कर ले लें। सुबह की शुरुआत बेहतरीन नाश्ते से करें। इससे आप खुद को दिन भर ऊर्जावान महसूस करेंगे। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि नींद के दौरान भी हमारे शरीर में उपापचयिक क्रियाएँ होती रहती है, और कैलोरी भी जलती रहती है। जिससे शरीर की ऊर...

जियें ऐसे कि जैसे कल ही दुनिया से चले जाना है। स्टीव जॉब्स(एप्पल के संस्थापक) की घटना पर आधारित

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जियें ऐसे कि जैसे कल ही दुनिया से चले जाना है। स्टीव जॉब्स(एप्पल के संस्थापक) की घटना पर आधारित जब मैं 17 साल का था , मैंने पढ़ा था कि यदि आप हर रोज़ को ज़िन्दगी के आखिरी दिन की तरह जियें। , तो आप खुद को साबित कर दिखाएंगे।         तब से मैंने हर सुबह उठ कर स्वयं से एक सवाल किया। अगर यह मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वही करता , जो मैं करने वाला हूँ ?          जब कई दिनों तक जवाब ' नहीं ' होता तो मैं समझ जाता हूँ कि कुछ बदलने की ज़रुरत है।      मृत्यु को याद रखना मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े फैसले लेने में मददगार  होता है , क्यों कि तब सारी अपेक्षाएं , सारा घमंड , असफलता का डर सब कुछ गायब हो जाता है। बचता वही है जो ज़रूरी है।            एक समय पता चला कि मुझे पैंक्रियाज का दुर्लभ कैंसर है। डॉ ने बताया कि इसका इलाज संभव नही ...