कहीं आप तो नहीं फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार
कहीं आप तो नहीं फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार
क्या आपको facebook स्टेटस अपडेट किए बिना नहीं रहा जाता ?
अगर
इस प्रकार की आदतें हैं, तो आप फोमो यानी कि फियर ऑफ मिसिंग आउट के शिकार
हैं।
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आजकल लोगों को सोशल मीडिया की गहरी आदत हो गई है, ऑफिस में या
घर में बिना मोबाइल के नहीं रहा जाता। हर समय दिमाग में यह चलता रहता है
कि facebook पर आज क्या नया आया है?
किसी के पोस्ट या फोटो पर लाइक और
कमेंट आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है, इस प्रकार के लोग यदि ज्यादा
देर सोशल मीडिया से दूर रहते हैं तो मन बेचैन हो उठता है।
क्या है फोमो?
फोमो एक प्रकार का सोशल एंजाइटी ही है, जिसमें इंसान इंटरनेट
से दूर होने पर ऐसा लगता है, जैसे वह पूरी दुनिया से कटा हुआ है । फोमो के
शिकार होने पर सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ शेयर करने का दबाव बना रहता है ।
ऐसे लोग सोशल मीडिया पर यह दिखाना चाहते हैं कि उनका जीवन कितना आनंदमय है ।
कई लोगों को सोशल मीडिया से दूर होते ही ऐसा लगने लगता है जैसे उनकी पहचान
कम हो रही है, ऐसे लोग आत्मसम्मान को लेकर असुरक्षित महसूस करने लगते हैं,
इसलिए सोशल मीडिया से लगातार जुड़े रहते हैं।
जानिए क्या है फोमो के नुकसान
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि फोमो की समस्या तब और बढ़ जाती
है , जब आप सोशल मीडिया पर खुद को दूसरों से आँकने लगते हैं , अगर आपके
लाइक्स या कमेंट किसी दूसरे शख्स से कम है , तो आपको बुरा लगने लगता है, ऐसे मे मन में फियर ऑफ मिसिंग आउट की स्थिति जन्म लेती है । फोमो का प्रभाव
ऐसे लोगों में भी पड़ता है जिन्हें वास्तविक जीवन में टेंशन नहीं होता है,
ऐसे लोग वर्चुअल दुनिया में खुशियां ढूंढते हैं इसी के साथ फोमो के शिकार
लोग वास्तविक जीवन से बिल्कुल अलग हो जाते हैं और प्रतिक्रिया करना उनके बस
में नहीं होता है।
कैसे सुधारें आदत
वर्चुअल दुनिया से बाहर निकले-
डॉ भावना बर्मी (मनोचिकित्सक, नई दिल्ली) कहती हैं , लोगों
में खासकर युवाओं में फोमो का असर बढ़ा है । स्मार्ट फोन और इंटरनेट
फ्रेंडली युवा , वर्चुअल वर्ल्ड को ही अपनी जिंदगी और पहचान मानने लगे हैं।
ज्यादा लाइक और कमेंट से दोस्तों के बीच धाक जमाने वाली धारणा बन रही है ।
यही वजह है कि फोमो का केस बढ़ रहा है , लोग सोशल मीडिया को स्ट्रेस बस्टर
की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं , लेकिन वास्तव में यह स्ट्रेस को बढ़ाता है ।
इससे उबरने के लिए सामाजिक बनने की कोशिश करें, दोस्तों और
परिवार के साथ समय बिताए, नकली जिंदगी से निकलकर असली जिंदगी में जियें और
कुछ ही समय में आप जल्दी ही फोमो से मुक्त हो जाएंगे।
भारत के जाने-माने ब्लॉगर भी फोमो के शिकार थे। उन्होंने इस
स्थिति से उबरने के लिए सोशल मीडिया से 1 महीने की छुट्टी लेने का प्लान
बनाया । एक महीने तक उन्होंने अपने मोबाइल को केवल कॉलिंग के लिए प्रयोग
किया । इसके अलावा उन्होंने पूरा वक्त अपने बेटे और परिवार के साथ बिताया,
एक महीने बाद उनकी जीवनशैली में जो बदलाव हुआ, वह वाकई चौकाने वाला था,
हर मिनट मोबाइल देखने की उनकी आदत छूट गई थी ।
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दोस्तों, मोबाइल, सोशल साइट्स का प्रयोग आवश्यकता के लिये करिये, इसके आदी मत बनिए, अपनी वास्तविक पहचान बनाइये, काल्पनिक नहीं।
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