जो लोग रोकने की कोशिश करते हैं उनसे जरूरत है चैतन्यता पूर्वक बचने की

जो लोग रोकने की कोशिश करते हैं उनसे जरूरत है चैतन्यता पूर्वक बचने की


जब कभी भी हम कोई नया कार्य आरंभ करने का

प्रयास करते हैं तो हमारे आसपास के लोग ऐसा करने
से हमेशा रोकने की कोशिश करते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि रोकने वाले को स्वयं इसके बारे में कुछ भी पता नहीं होता।


एक समय की बात थी। एक बार कुछ महान वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही रोचक प्रयोग किया। उन्होंने 5 बंदरों को एक ही पिंजरे में बंद कर दिया और उसके बीचो-बीच एक लंबी सी सीढ़ी लगा दी और उस सीढी के ऊपर कुछ केले लटका दिए। 
      
      अब जैसे ही एक बन्दर की नजर उन लटके केलों पर पड़ी, तो वह उसे खाने के लिए थोड़ा जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां ही चढ़ रहा था, उस पर ऊपर से तेज ठंडी पानी की बौछार डाली गई, उससे डरकर वह बंदर उतर कर वापस भाग गया।

    पर शोध करने वाले यही नहीं रुके। वह सभी को ठंडे ठंडे पानी से भिगाते रहे। जो भी ऐसा करता वह ठंडे-ठंडे पानी से भीग जाता। कुछ समय बाद एक दूसरा बन्दर, सीढ़ी की तरफ दौड़ा, लेकिन उसे भी पानी की तेज धार से नीचे गिरा दिया गया। थोड़ी देर बाद जब तीसरा बंदर केेलों के लिए सीढ़ी चढ़ने लगा  तो बाकी के सारे बंदर, उस पर टूट पडे और उसे केले खाने से रोक दिया।

      अब शोध करने वाले बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बंदर, उस पिंजरे में डाल दिया गया, नया बंदर तुरंत ही केलों की तरफ लपका, पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी। इसके बाद उन लोगों ने एक और पुराने बंदर को निकाला और नया बंदर उस में रख दिया। इस बार भी वही हुआ।

    मजेदार बात यह रही कि पिछली बार आया नया बंदर भी धुलाई करने में शामिल था, जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। प्रयोग के अंत में सभी पुराने बंदर बाहर  निकल दिए गए थे और केवल नए बंदर अंदर थे, जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था पर उनका रवैया भी पुराने बंदरों की तरह ही था।

हमारे समाज में हमें ऐसा ही देखने को मिलता है जब भी कोई नया कार्य आरंभ करने का प्रयास करता है। उसके आसपास के लोग उसे ऐसा करने से रोकतें हैं उसे असफलता का डर दिखाया जाता है , जबकि वास्तविकता यह है कि रोकने वाले को स्वयं इस बात का कुछ पता नहीं होता। यदि आप भी कुछ नया करने का मन बना रहे हैं और आपको भी ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो बिना जाने समझे आप को रोकने की कोशिश करते रहते हैं, तो ऐसे लोगों से और उनके विचारों से बचने की ज़रूरत है । आवश्यकता है चैतंयता पूर्वक कार्य करने और विचार की।

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