जियें ऐसे कि जैसे कल ही दुनिया से चले जाना है। स्टीव जॉब्स(एप्पल के संस्थापक) की घटना पर आधारित

जियें ऐसे कि जैसे कल ही दुनिया से चले जाना है।

स्टीव जॉब्स(एप्पल के संस्थापक) की घटना पर आधारित





जब मैं 17 साल का था, मैंने पढ़ा था कि यदि आप हर रोज़ को ज़िन्दगी
के आखिरी दिन की तरह जियें।, तो आप खुद को साबित कर दिखाएंगे।    

    तब से मैंने हर सुबह उठ कर स्वयं से एक सवाल किया। अगर यह मेरी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वही करता, जो मैं करने वाला हूँ

        जब कई दिनों तक जवाब 'नहीं' होता तो मैं समझ जाता हूँ कि कुछ बदलने की ज़रुरत है।

     मृत्यु को याद रखना मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े फैसले लेने में मददगार  होता है, क्यों कि तब सारी अपेक्षाएं , सारा घमंड, असफलता का डर सब कुछ गायब हो जाता है। बचता वही है जो ज़रूरी है।   
   
    एक समय पता चला कि मुझे पैंक्रियाज का दुर्लभ कैंसर है। डॉ ने बताया कि इसका इलाज संभव नही है, और मैं बस 3 - 6 महीने का मेहमान हूँ। डॉ ने सलाह दी कि मैं घर जाकर सब चीजें व्यवस्थित कर लूँ। 

    शाम को मेरी बायोप्सी हुई, मैं तो बेहोश था। मेरी पत्नी ने बताया कि माइक्रोस्कोप से डॉ मेरे सेल देख कर खुशी से रो पड़ा। वह समझ गया कि मुझे ऐसा कैंसर है जो सर्जरी से ठीक हो सकता है। मेरी सर्जरी हुई और अब मैं  ठीक हूँ।
   
    मौत के इतने करीब जा कर मैं कह सकता हूँ कि मृत्यु एक उपयोगी अवधारणा है, जो ज़िन्दगी को बदलती है। नए का रास्ता खोलती है, समय सीमित है इसलिए इसे व्यर्थ मत कीजिए। अपने अंदर की आवाज़ को डूबने मत दीजिये। आप सच में क्या बनना चाहतें है यह महत्वपूर्ण है , बाकी सब बेकार।
    
   देश में जितने भी संत और विचारक हैं, सभी यही कहतें है, आपको पता होना चाहिए कि आपको कैसे जीना है। आपका जीवन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे खेल खेल में यूं ही बिता देना बेवकूफी होगी। इसी जीवन से कई लोगों ने दिव्यता प्राप्त की है। ऐसे ही लोगो  की आज हम जयंती मनातें है, लेकिन जो लोग जीवन को यूं ही बिता देतें है उनका जीवन कभी जीवन नहीं बन पाता है। 
     
    उसी व्यक्ति को याद किया जाता है जो याद करने योग्य काम करता है। प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार है कि वह अपने जीवन को सही दिशा में ले जाये और उसे यशश्वी बनाये। लेकिन जब मनुष्य विकारों में फँस जाता है, तो कोई भी नैतिक या याद करने वाला कार्य नहीं कर पाता है। वह अपने जीवन का मूल उद्देश्य भूल जाता है। ऐसे लोगों को कोई जीवन में पहचानता है और ही जीवन के बाद याद करता है। 
   
     आपको यह जीवन निश्चित अवधि के लिए मिला है। अब आपकी विशेषता यह है कि इस एक एक पल का उपयोग करें। इन पलों में कोई सार्थक कार्य करें। अब तक बहुत निरर्थक काम कर लिए, घंटों बकवास में समय गवां चुके। अब जो भी समय आपके पास है उसका सही दिशा में प्रयोग करें। 
    
    उपयोग का अर्थ है सार्थक प्रयास जिससे आपके जीवन में फूल खिलेंगे। उपभोग का अर्थ हुआ अनावश्यक व्यय, जो केवल परिताप देता है। जिस प्रकार आप अपनी गाढ़ी कमाई से प्राप्त पैसों को खर्च करने में स्वतंत्र है उसी प्रकार परमात्मा के बैंक में आपका जीवन सुरक्षित है।  इस जीवन को आप गलत दिशा में खर्च करतें है या एक - एक पल का सार्थक उपयोग करतें है यह आपके हाथ की बात है। जो भी करेंगे जीवन तो खर्च  होगा ही। 
  
     जो लोग विवेकशील है उन्हें पता है जीवन  कैसे जीना है। मनुष्य अविवेकी तब बनता है जब वह होश में नहीं रहता, क्योंकि प्रत्येक गलत काम बेहोशी की अवस्था में ही किया जाता है और बेहोशी तब आती है जब मनुष्य बाहर के किसी विकार से प्रभावित हो जाता है। 
     
    उपयोग जीवन का निर्माण है तो उपभोग जीवन का विध्वंस। और ईश्वर के इस जीवन को विध्वंस करने का हमें कोई अधिकार नहीं, क्यों कि यह जीवन हमारा है ही नहीं, हम सभी केवल ईश्वर के आशीर्वाद का संरक्षण करते हैं।

टिप्पणियाँ