भविष्य की तैयारी

 एक राज्य का यह नियम आज्ञा कि जो राजा गद्दी पर बैठे उसे दस वर्ष


बाद ऐसे निविड़ वन में छोड़ दिया जाय जहाँ अन्न-जल उपलब्ध न हो और वहाँ वह भूखा प्यासा तड़प-तड़प कर मर जाए कितने ही राजा इसी प्रकार अपने प्राण गँवा चुके थे और राज्य के दिनों में भी भविष्य की चिन्ता से दुखी रहते थे।


एक बार एक बुद्धिमान राजा गद्दी पर बैठा। उसे भविष्य का ध्यान था। उसने उस निविड़ वन को देख और वहाँ खेती कराने, जलाशय बनाने, पेड़ लगाने तथा प्रजा बसाने का कार्य आरंभ कर दिया। दस वर्ष में वह भयावना प्रदेश अत्यंत रमणीक और आनन्द दायक बन गया। राजा अपनी अवधि समाप्त होते ही वहाँ गया और शेष जीवन सुख पूर्वक व्यतीत किया।


जीवन कुछ दिन का राज है, इसके बाद चौरासी लाख योनियों का कुचक्र फिर तैयार है। जो इस नर तन को पाकर सुकर्मों द्वारा अपना परलोक बना लेते हैं वे ही इस बुद्धिमान राजा की तरह दूरदर्शी होते हैं।

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