बेटे की ईमानदारी

 बेटे की ईमानदारी


रामू अपने गाँव के सबसे बड़े चोरों में से
एक चोर था। रामू रोजाना जेब में छूरा डालकर रात को लोगों के घर में चोरी किया करता था। पेशे से चोर था, लेकिन हर व्यक्ति चाहता है कि उसका पुत्र अच्छे स्कूल में पढाई करे। तो यही सोचकर बेटे का दाखिला एक अच्छे स्कूल में करवा दिया।

रामू का बेटा पढाई में बहुत होशियार और तेज़ था, लेकिन धन के अभाव में बारहवीं के बाद नहीं पढ़ पाया।  कई जगह नौकरी के लिए भी चक्कर लगाया, लेकिन कोई उसे उसके पिता जी के बदनामी के कारण नौकरी पर नहीं रखता था।

 एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल बारहवीं पास इसलिए कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब वह बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही खाली बैठा रहता। रामू को अपने बेटे की चिंता सताने लगी तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया दिया जाये। जैसे मैंने चोरी करके अपना पेट पाला है, उसी तरह ये भी गुजर बसर कर लेगा।

 यही सोचकर रामू एक दिन अपने बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात्रि का समय था दोनों चुपके से एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई ढेर सारे कमरे थे सभी कमरों में अच्छी रौशनी थी, देखकर लग रहा था कि किसी अमीर व्यक्ति की ईमारत है।

रामू अपने बेटे से बोला – आज हम इस ईमारत में चोरी करेंगे, मैंने इस जगह पहले भी कई बार चोरियाँ की है और खूब माल भी मिलता है इस जगह पर।


 लेकिन उसका बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइटों देखे जा रहा था। रामू बोला – अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई हम दोनों को देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहारे जा रहा था और वो करुणमयी स्वर में बोला – पिता जी मैं चोरी कभी नहीं कर सकता।

रामू – तेरा दिमाग तो सही  है ना जल्दी अंदर चल।

बेटा – पिता जी, जिसके यहाँ से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी ईमारत में रौशनी ही 
रौशनी है, और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी के धन से इनका घर आज भी रौशन है, और हमारे घर में पहले भी अंधकार था और आज भी है।


 मैं ईमानदारी और मेहनत से कमाई करना चाहता हूँ, और उस धन के दीपक से मेरे घर में भी प्रकाश होगा। मुझे जीवन में अंधकार भरने वाला काम कभी नहीं करना। रामू की आँखों से आंसू निकले जा रहे थे। उसके बेटे की पढाई भी आज सार्थक होती दिख रही थी।

 दोस्तों ! बेईमानी और चोरी से आदमी कुछ पल के लिए तो सुखी रह सकता है, लेकिन उसके जीवन में सदा के लिए पाप और अंधकार भर जाता है। हमेशा अपने काम को मेहनत और ईमानदारी से करना चाहिए। 


 बेईमानी की कमाई से बने पकवान भी ईमानदारी की सुखी रोटी के आगे फीके हो जातें हैं।

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