इच्छाशक्ति
इच्छाशक्ति
अपने शरीर के कुरूपता के कारण सैमुअल जॉनसन को
किसी भी स्कूल पढने के लिए नौकरी नहीं मिली। बचपन से साथ चली आ रही निर्धनता ने पल्ला नहीं छोड़ा। अंततः उन्होंने नौकरी की आशा ही छोड़ दी औऱ वह पढाई में फिर से लग गए। मेहनत और मजदूरी करके वे अपना गुजारा करते रहे। कुछ ही समय बाद उनकी मेहतन ने चमत्कार दिखाया और एक श्रेष्ठ विद्वान साहित्यकार के रूप में इंग्लैण्ड में ख्याति प्राप्त हुई।
जॉनसन का अंग्रेजी विश्व कोष, दुनिया आज भी एक अमूल्य कृति मानती है। ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय ने उनकी सेवाओं के लिए उन्हें ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि की।
‘टाम काका की कुटिया’ की प्रसिद्ध लेखिका हैरियट
स्टो को परिवार का खर्च चलाने तक के लिए कठिन श्रम करना पड़ता था, गरीबी और मुश्किलों के बीच घिरे रहकर भी उन्होंने थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर पुस्तक पूरी की। अन्तःप्रेरणा से अभिप्रेरित होकर लिखी गयी इनकी यह पुस्तक अमेरिका में गुलामी प्रथा के अन्त के लिए वरदान साबित हुई।
ये दोनों उदाहरण इसके प्रमाण हैं कि सफलता के लिए परिस्थितियों का उतना महत्व नहीं है जितना कि स्वयं की इच्छाशक्ति और मनःस्थिति का। आशावादी दृष्टिकोण, संकल्पों के प्रति सत्यता और आत्मविश्वास बना रहे और प्रयास हमेशा चलता रहे तो लक्ष्य की प्राप्ति कर सकना सभी के लिए संभव है।
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