चित्र में चरित्र की खूबसूरती
मैंने एक युवक से पूछा-“ तुम क्या करते हो ?” उसने कहा – “ मैं पढ़ता हूँ। ” मैंने पूछा –“ क्यों पढ़ते हो? ” उसने कहा- “ पास होने के लिए। ” मैंने सवाल किया- “ क्यों पास होना चाहते हो? ” उसका जवाब था –“ प्रमाण पत्र पाने के लिए ” । मैंने फिर पूछा- “ प्रमाण पत्र क्यों चाहते हो ?”, “ नौकरी पाने के लिए ”- उसका जवाब था। फिर मैंने पूछा -“ नौकरी क्यों चाहिए? ”, उसने कहा- “ पैसा कमाने के लिए ”। फिर मैंने पूछा –“ पैसा क्यों चाहते हो? ” । उसने कहा- “ खाने के लिए ”। मैंने फिर पूछा- “ खाना क्यों चाहते हो? ” उसने कहा-“ जीने के लिए ”। जीना क्यों चाहते हो ? मेरे इस प्रश्न पर वह चुप रह गया, क्योकि उसके पास आगे कोई जवाब नही था। दुनिया में ऐसे लाखों -करोड़ो लोग होंगे, जिनके पास इस प्रश्न का आज भी कोई जवाब नही है । पर ध्यान रखिये जिंदगी का यह विकृत और सबसे भद्दा चित्र है। इस चित्र में कोई खूबसूरती नहीं है। जिंदगी की चित्र में चरित्र की खूबसूरती चाहिए। फूलों का सार इत्र है और जीवन का सार चरित्र है।