सफलता का सद्कथन से सम्बन्ध (एक सच्ची धटना)

दोस्तों ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है। एक ऐसे बालक की कहानी जो दिल का सच्चा और ईमानदार था। ईमानदारी की राह में उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्कूल जाते समय उसने एक कथन पढ़ा "हर प्रक्रिया की अधिकतम सीमाएं होती है।" उसे यह एक बात हमेशा याद रहती थी। इस कथन को उसने अपने जीवन में उतार लिया। उसे यह कथन हमेशा राहत देती थी। सन् 1982 की बात थी। एक कम जोर साधारण सा बालक एक गांव में रहा करता था। पढ़ने में साधारण सा बालक, मासूम सा चेहरा, आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण उसे आर्थिक और सामाजिक तंगी का सामना करना पढता था। सभी प्रक्रिया की अपनी एक सीमाएं है। कथन पढ़ कर यह सोचता -यह परेशानियां ज्यादा दिन तक नही टिक पायेंगी। बाल्यवस्था में ही माँ का देहांत हो गया। अब वह स्वयं को असहाय समझने लगा। पैसों की कमी के कारण वह लगातार एक स्कूल में नहीं पढ़ पाता था। जब कभी स्कूल में पैसा जमा करने की बारी आती तो उसे मजबूरन स्कूल बदलना पड़ता था, क्यों कि उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं होते कि वह शाम का भोजन मन भर कर ले। इस प्रकार कर के वह किसी तरह मैट्रिक की परीक्षा को पास कर लि...