खोया हीरा

मैंने आज एक हीरा देखा ,
खोज रहा था जो खुद को,
नदी में बहता ,कूड़ो के साथ,
मैंने एक जागीरा देखा ।
खिल खिलाता संभालता,
अपने बोरों को,
हीरों की खोज में जलता हुआ,
मैंने एक कबीरा देखा ।
दुर्गम रास्तों को पाकर,
खुश था वो जान कर ।
आज सोना मिलेगा,
जीवन में एक खिलौना मिलेगा ।
मन भर खेलूँगा,
एक जीवन पिरोलूँगा ।
जीवन फिर भर जायेगा,
सुखद क्षण फिर आयेगा ।
चिंतित था जान कर,
मुझे पहचान कर,
सार्थक न हुआ आना,
कृतियाँ मत बताना !
कल न आ पाउँगा,
कल व्यस्त हो जाऊंगा,
फिर वापस काम पर जाऊंगा ।
ढूढुंगा फिर से हीरा,
आयेगा फिर वही सवेरा।
                      - विकास पाण्डेय






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