चिंता न करे, चिंतन करे।

कल, तुम्हे जो करना हो कर लो,
मैंने आज तो जीना सीख लिया है।
काँटों की इस दुनिया में,
फूलो को चुनना सीख लिया है।
होनी को सत्य समझ कर,
कटु सत्य स्वीकार किया है।
कल, तुम्हे जो करना हो कर लो,
मैंने आज तो जीना सीख लिया है।
दुनिया के सम्मुख आज हम,
आनंदित होना सीख लिया है।
यह नश्वर वस्त्र देह ,
सब के सम्मुख सत्य किया है।
कल, तुम्हे जो करना हो कर लो,
मैंने आज तो जीना सीख लिया है।
तथ्य परख निवारण कर,
विश्लेषण को अंजाम दिया है।
दुविधा की दुनिया छोड़ चले,
आज में जीना जान लिया है।
                         
                             - विकास पाण्डेय


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