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श्री मद्भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा कहे गये प्रेरक कथन

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देवनागरी : भगवान श्री कृष्ण सहबद्धता   :  [स्वयं भगवान] आवास  :  वृंदावन , द्वारका , गोकुल , वैकुंठ शस्त्र सुदर्शन चक्र पत्नी  :  रुक्मिणी , सत्यभामा , जांबवती , नग्नजित्ती , लक्षणा , कालिंदी , भद्रा , मित्रवृंदा. वाहन  :  गरुड़ पाठ्य   :  भागवत पुराण , भगवद्गीता : भ्रामक और संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए ख़ुशी ना इस धरा में  है ना ही कहीं अन्य धरा और। :  क्रोध  से  भ्रम  पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है , जब बुद्धि व्यग्र होती है तब आपका तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन शीघ्र हो जाता है। :  मन की गतिविधियों , चेतन , श्वाश , और भावनाओं के बीच से भगवान की शक्ति सदैव आपके साथ है ; और लगातार आपको बस एक माध्यम की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है। : ज्ञानी व्यक्ति सदैव ज्ञान और कर्म को एक रूप में ही देखता है , और वही सही मायने में देखता है। : जो मन को नियंत्रण में नहीं रखते , उनके लिए...

कार्ल मार्क्स के प्रेरक कथन

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नाम  :  कार्ल हेनरिख मार्क्स जन्म  : 5 मई 1818  त्रिएर , प्रशिया में मृत्यु : 14 मार्च 1883 ( उम्र 64) , लंदन , ब्रिटेन में धार्मिक मान्यता  - ईसाई :    बाद में धर्म त्याग दिया (नास्तिक) शैक्षिक   :   मार्क्सवाद , साम्यवाद , समाजवाद , भौतिकवाद अभिरुचि : राजनीति , अर्थशास्त्र , दर्शन , समाजशास्त्र , इतिहास , वर्ग संघर्ष , उल्लेखनीय विचार  : फ्रेडरिक एंगेल्स संग मार्क्सवाद का प्रतिपादन , अतिरिक्‍त मूल्य , ऐतिहासिक भौतिकवाद   व्यक्तियों से प्रभावित : हीगेल , फायरबाख , स्टिर्नर , एडम स्मिथ , डेविड रिकार्डो , ज्‍यां जैक रूसो , गोथे , फौरियर , मोसेस हेस्स , लुइस मार्गन , विलियम शेक्सपीयर , चार्ल्स डार्विन रोसा लक्समबर्ग , व्लादिमीर लेनिन , लियान त्रोत्स्की , माओ त्से-तुंग , चे ग्वेवारा हर व्यक्ति से उसकी क्षमतानुसार , हर किसी को उसकी ज़रुरत के अनुसार। इतिहास स्वयं को दोहराता है , पहले एक त्रासदी के रूप में और दूसरा एक मज़ाक के रूप में। ...