श्री मद्भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा कहे गये प्रेरक कथन

देवनागरी : भगवान श्री कृष्ण सहबद्धता : [स्वयं भगवान] आवास : वृंदावन , द्वारका , गोकुल , वैकुंठ शस्त्र सुदर्शन चक्र पत्नी : रुक्मिणी , सत्यभामा , जांबवती , नग्नजित्ती , लक्षणा , कालिंदी , भद्रा , मित्रवृंदा. वाहन : गरुड़ पाठ्य : भागवत पुराण , भगवद्गीता : भ्रामक और संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए ख़ुशी ना इस धरा में है ना ही कहीं अन्य धरा और। : क्रोध से भ्रम पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है , जब बुद्धि व्यग्र होती है तब आपका तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन शीघ्र हो जाता है। : मन की गतिविधियों , चेतन , श्वाश , और भावनाओं के बीच से भगवान की शक्ति सदैव आपके साथ है ; और लगातार आपको बस एक माध्यम की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है। : ज्ञानी व्यक्ति सदैव ज्ञान और कर्म को एक रूप में ही देखता है , और वही सही मायने में देखता है। : जो मन को नियंत्रण में नहीं रखते , उनके लिए...