विवेकानंद तुम जीते जग हारा (कविता)
विवेकानंद तुम जीते जग हारा,
तेरे कारण धन्य हो गया,
भारत वर्ष हमारा।
विवेकानंद तुम जीते जग हारा।
पूज्य हुआ संपूर्ण विश्व में,
हिंदू दर्शन सारा,
संतो के सिरमौर तुम्हें ही
जब सब ने स्वीकारा।
विवेकानंद तू जीते जग हारा।
शहर शिकागो प्रणत हो गया,
सबने कसा किनारा,
तुमने सबके बीच बहा दी।
सम्मोहन की धारा।
विवेकानंद तुम जीते जग हारा।
हे! युग पुरुष, विश्व विजय तू,
हे! भारती दुलारा,
हे नरेंद्र, हे भारत नंदन,
वंदन नमन तुम्हारा।
विवेकानंद तुम जीते जग हारा।
- जितेंद्रनाथ पांडेय
पूर्वी जिलाध्यक्ष शिक्षक संघ,
नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज,
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
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