अंतिम प्रयास (कहानी)
अंतिम प्रयास एक विरान से गाँव में एक मंदिर के पुजारी रहा करते थे जो ज़्यादातर धर्म - कर्म के कामों में लगे रहते थे। एक दिन की बात है वे किसी काम से गांव के बाहर थे तभी अचानक उनकी नज़र एक बड़े से अच्छे दिखने वाले पत्थर पे पड़ी। उनके मन में विचार आया कितना विशाल पत्थर है क्यूँ ना मैं इस पत्थर से भगवान की एक मूर्ति बनवाऊ। यही सोचकर पुजारी ने वो पत्थर वहां से उठवा लिया। गाँव लौटते हुए पुजारी ने उस पत्थर के टुकड़े को एक मूर्तिकार को दे दिया जो उस स्थान का बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार था। मूर्तिकार जल्दी ही अपने औजार लेकर पत्थर को काटने में लग गया। जैसे ही मूर्तिकार ने पहला प्रहार किया उसे एहसास हुआ की पत्थर बहुत ही कठोर है। मूर्तिकार ने एक बार फिर से पूरे जोश के साथ प्रहार किया लेकिन पत्थर पर कोई भी असर नहीं हुआ। अब तो मूर्तिकार का पसीना छूट गया वो लगातार हथौड़े से प्रहार करता रहा लेकिन पत्थर टूटा ही नहीं। उसने लगातार 99 प्रयास किये लेकिन पत्थर तोड़ने में कामयाब नही हो पाया। अगले दिन जब पुजारी आये तो उस मूर्तिकार ने भगवान की मूर्ति बनाने से मना कर दिया और सारी बात बताई। पुज