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अक्तूबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्मार्ट सिटी की परिकल्पना और हमारे गाँव

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आज हमारे देश में स्मार्ट सिटी की चर्चा ज़ोरों पर हैं। इसी प्रतीक्षा में है,आखिर कैसी होगी हमारी स्मार्ट  सिटी ?            क्या जैसा हमें समाचार-पत्र, न्यूज़ चैनल, मैगज़ीन इत्यादी में दिखाया जा रहा है वैसी ही होगी हमारी स्मार्ट सिटी । जैसा हमें बताया गया है या फिर जैसी हम सब ने कल्पना की है की हमारे घर, स्कूल, अस्पताल,ऑफिस और परिवहन के साधन इत्यादि सभी डिजिटल होंगें ।     सन २००५ में जे एन एन यू आर एम ( जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन ) आरम्भ हुआ, जिसे १० साल बाद २०१५ में स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांस्फोर्मेशन ) जैसे कार्यक्रमों में बदल दिया गया ।     स्मार्ट सिटी मिशन २०१५-१६ से २०१९-२० के बीच १०० से अधिक शहरो को दायरे में लेगा ।   स्मार्ट सिटी मिशन एवं अमृत पर क्रमशः ४८००० करोड़ रूपये और ५०००० करोड़ रूपये खर्च करने हैं ।       मिशन में स्मार्ट सिटी की परिभाषा नहीं दी गयी है, लेकिन इस मिशन का लक्ष्य स्मार...

सफलता का सद्कथन से सम्बन्ध (एक सच्ची धटना)

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दोस्तों ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है। एक ऐसे  बालक की कहानी जो दिल का सच्चा और ईमानदार था। ईमानदारी की राह में उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्कूल जाते समय उसने एक कथन पढ़ा "हर प्रक्रिया की अधिकतम सीमाएं होती है।" उसे यह एक बात हमेशा याद रहती थी। इस कथन को उसने अपने जीवन में उतार लिया। उसे यह कथन हमेशा राहत देती थी।     सन् 1982 की बात थी। एक कम जोर साधारण सा बालक एक गांव में रहा करता था। पढ़ने में साधारण सा बालक, मासूम सा चेहरा, आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण उसे आर्थिक और सामाजिक तंगी का सामना करना पढता था। सभी प्रक्रिया की अपनी एक सीमाएं है। कथन पढ़ कर यह सोचता -यह परेशानियां ज्यादा दिन तक नही टिक पायेंगी। बाल्यवस्था में ही माँ का देहांत हो गया। अब वह स्वयं को असहाय समझने लगा। पैसों की कमी के कारण वह लगातार एक स्कूल में नहीं पढ़ पाता था। जब कभी स्कूल में पैसा जमा करने की बारी आती तो उसे मजबूरन स्कूल बदलना पड़ता था,  क्यों कि उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं होते कि वह शाम का भोजन मन भर कर ले। इस प्रकार कर के वह किसी तरह मैट्रिक की परीक्षा को पास कर लि...